ऑटोइम्यून डिजीज आम सी लगने वाली खतरनाक बीमारियों का समूह है। जो पिछले कई सालों से अपने पैर पसारती जा रही है। क्योंकि ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune disease) के लक्षण दबे पांव हमारी जिंदगी में आते हैं। तब तक हमारे शरीर का अंग ऑटोइम्यून डिजीज से प्रभावित हो चुका होता है। पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका भी एक ऑटोइम्यून डिजीज है। जिसमें गर्दन और कंधे की मांसपेशियां प्रभावित होती है।
और पढ़ें : जानें ऑटोइम्यून बीमारी क्या है और इससे होने वाली 7 खतरनाक लाइलाज बीमारियां
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia Rheumatica) क्या है?
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जो रूमेटाइड जैसी ही है। पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका में गर्दन, कंधे और हिप्स की मांसपेशियों में दर्द (Muscles pain) और जकड़न होती है। ‘मायाल्जिया’ एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब जोड़ों में दर्द (Joints pain) होना है। पुरुषों की तुलना में पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है। 50 में से एक महिला पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका से पीड़ित होती है।
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका में वजन का घटना, कमजोरी, बुखार आदि समस्याएं होती हैं। ये ऑटोइम्यून डिजीज रात में ज्यादा प्रभावित करता है। पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका से ग्रसित व्यक्ति को कुछ अन्य डिसऑर्डर भी हो जाते हैं, जैसे की टेम्पोरल आर्थराइटिस।
टेम्पोरल आर्थराइटिस में सिर की त्वचा, गर्दन और हाथों की नसें सूज जाती है। इसके साथ ही सिरदर्द (Headache), जबड़ों में दर्द और दृष्टि दोष भी होता है।
और पढ़ें : सर्वाइकल डिस्टोनिया (स्पासमोडिक टोरटिकोलिस) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
पोलिमेल्जिया रुमेटिका के लक्षण क्या है? (Symptoms of Polymyalgia Rheumatica)
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का सबसे सामान्य लक्षण गर्दन और कंधे में दर्द होना है। दर्द इतना कि गर्दन और कंधे में जकड़न हो जाती है। जिस कारण से हाथ भी नहीं घुमाया जाता है। ये लक्षम शरीर को एक तरफ से नहीं बल्कि दोनों तरफ से प्रभावित करता है।
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका के कुछ अन्य लक्षण भी हैं –
- एनीमिया या रेड ब्लड सेल काउंट का कम होना
- थकान
- हल्का बुखार होना
- बेचैनी
- अचानक से बिना वजह के वजन का घटना
- भूख न लगना
- हिलने-डुलने में दिक्कत होना
- डिप्रेशन
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका के लक्षण काफी तेजी से विकसित होते हैं। वहीं, रात में पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका के लक्षण ज्यादा सामेन आते हैं। वहीं, तड़के सुबह यह लक्षण बद से बदतर होने लगते हैं। दर्द और जकड़ने होना तो सबसे ज्यादा सामान्य है।
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका होने से आसान सा काम भी करना भारी लगने लगता है। जैसे- कपड़े पहनना, कुछ पकड़ के खड़े होना, कार चलाना आदि। वहीं, रात में लक्षण सामने आने के बाद ठीक से पीड़ित व्यक्ति सो भी नहीं पाता है।
और पढ़ें : जानें ऑटोइम्यून बीमारी क्या है और इससे होने वाली 7 खतरनाक लाइलाज बीमारियां
पोलिमेल्जिया रुमेटिका होने का कारण क्या है? (Cause of Polymyalgia Rheumatica)
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका के होने के कारणों की सटीक जानकारी अभी नहीं है। पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia Rheumatica) किसी भी तरह की दवा के साइड इफेक्ट से नहीं होता है। कुछ वैज्ञानिकों ने इसके होने की वजह संक्रमण बताई। लेकिन आगे हुए शोधों में ये बात साफ हो गई कि पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका के होने का कारण इंफेक्शन नहीं है।
हाल ही में हुए एक रिसर्च में पाया गया कि महिलाओं में पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia Rheumatica) होने का खतरा पुरुषों के तुलना में दोगुना है। जहां, 6.4 % महिलाएं ऑटोइम्यून डिजीज से ग्रसित रहती हैं, वहीं पुरुषों में 2.7 % इस डिजीज की समस्या पाई जाती है। हमारा इम्यून सिस्टम हमारे गर्दन और कंधे की मांसपेशियों पर अटैक करने लगता है, जिसे पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका होने की एक वजह मानी गई है। इसके अलावा अन्य कारण भी इस डिजीज के लिए जिम्मेदार होते हैं:
- पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका आनुवंशिकता के कारण भी हो सकती है। अगर माता-पिता में इस रोग के जीन हैं तो बच्चे को होने के भी चांसेस रहते हैं।
- कभी-कभी पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका पर्यावरण के कारण भी होता है। पर्यावरण में बदलाव या कुछ वायरस भी इस रोग को पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
और पढ़ें : बार्बी डॉल के नए फीचर में दिखी विटिलिगो बीमारी, विविधता और समानता दिखाना उद्देश्य
पोलिमेल्जिया रुमेटिका (Polymyalgia Rheumatica) का पता कैसे लगाया जाता है?
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का पता लगाना थोड़ा कठिन है। क्योंकि इसके लक्षण गठिया की तरह होते हैं। जिसमें जोड़ों, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द रहता है।
परीक्षण के दौरान गतिविधि की सिमा का पता लगाने के लिए डॉक्टर आराम से आपकी गर्दन, हाथों और पैरों को हिलाने की कोशिश करेंगे। जिसका पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहते हैं। इसके अलावा आपको एरेथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट, सी-रिएक्टिव प्रोटीन और सीआरपी टेस्ट करवाने की भी सलाह दी जा सकती है।
लेकिन इन टेस्ट से भी पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि टेस्ट में रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं।
आपके डॉक्टर जोड़ों और ऊतकों में सूजन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहेंगे। अल्ट्रासाउंड में उच्च तरंगों वाली साउंड रेडिएशन की मदद से शरीर के अलग-अलग अंगों के सॉफ्ट टिशू की विस्तृत तस्वीर बनाई जाती है। इसकी मदद से पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका और टेम्पोरल आर्टेराईटिस के बीच अंतर करने में मदद मिलती है।
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका और टेम्पोरल आर्टेराईटिस के बीच संबंध होने के कारण आपके डॉक्टर बायोप्सी करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। बायोप्सी एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसमें धमनियों के ऊतकों का छोटा-सा नमूना निकाला जाता है।
इसके बाद नमूने को टेस्ट के लिए लैब भेज दिया जाता है जहां सूजन के लक्षणों की जांच की जाती है। बायोप्सी केवल तभी की जाती है जब डॉक्टर को रक्त वाहिकाओं में सूजन के लक्षण दिखाई देते हैं।
और पढ़ें : ये हैं 12 खतरनाक दुर्लभ बीमारियां, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का इलाज क्या है? (Treatment for Polymyalgia Rheumatica)
फिलहाल तो पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का कोई सटीक इलाज नहीं है। अगर आपके डॉक्टर को यहोने का संदेह होता है या आपकी रिपोर्ट इस बीमारी का जिक्र होता है तो डॉक्टर आपको लो-डोज कॉर्टिस्टेरॉइड देते हैं, जैसे- प्रीड्निसॉन। ये दवा तुरंत आराम पहुंचाती है। इसके अलावा नैप्रॉक्सेन और आईब्यूप्रोफेन जैसे पेनकीलर भी दिए जाते हैं। लेकिन कॉर्टिस्टेरॉइड का लंबे समय तक प्रयोग करने से कुछ रिस्क फैक्टर भी हैं :
- हाय ब्लड प्रेशर
- हाय कोलेस्ट्रॉल
- वजन का बढ़ना (Weight gain)
- डिप्रेशन (Depression)
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
- मोतियाबिंद
- शुगर लेवल (Sugar level) का हाई हो जाना या डायबिटीज होना
दवाओं के साइड इफेक्ट को कम करने के लिए डॉक्टर आपको रोजाना कैल्शियम का सेवन करने की सलाह देंगे। इसके साथ ही आपको विटामिन डी (Vitamin D) सप्लीमेंट्स भी लेने के लिए कह सकते हैं। इसके अलावा फिजियोथेरिपी से भी डॉक्टर आपको राहत पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
और पढ़ें : ये हैं 12 खतरनाक दुर्लभ बीमारियां, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia Rheumatica) के साथ जीवन कैसे व्यतीत जा सकता है?
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि इस रोग में कंधे, गर्दन और हिप्स में जकड़न रहती है। लेकिन, आप अपनी लाइफस्टाइल को बदल कर इस ऑटोइम्यून डिजीज के साथ आराम से जी सकते हैं। अगर आपकी लाइफस्टाइल खराब रही तो आपको हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure), हाय ब्लड शुगर लेवल (High blood sugar level), वजन बढ़ना (Weight gain), अनिद्रा, ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis), मोतियाबिंद जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए आप डॉक्टर से रूटीन चेकअप हर महीने कराते रहें। साथ ही डॉक्टर द्वारा दी गई दवा को नियमित रूप से खाते रहें।
इलाज की प्रक्रिया के दौरान दुष्प्रभावों की आशंका को कम करने के लिए डॉक्टर आपको कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट (Vitamin D Supplements) का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर आपकी स्ट्रेंथ और मोशन की रेंज को बढ़ाने के लिए शारीरिक व्यायाम करने की भी सलाह देंगे।
स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने से भी दुष्प्रभावों को आशंका को कम करने में मदद मिलती है। स्वस्थ आहार के साथ नमक का कम सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। रोजाना नियमित व्यायाम करने से शरीर की हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत बनी रहती हैं और वजन भी नहीं बढ़त है।
[mc4wp_form id=”183492″]
आपके डॉक्टर इलाज की पूरी प्रक्रिया के दौरान आपको अच्छे से मॉनिटर करेंगे और समय-समय पर ब्लड टेस्ट करवाने के लिए भी कहेंगे। इसकी मदद से आपके कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर के स्तर के बारे में पता चलेगा। इसके साथ ही डॉक्टर आपको आंखों के परीक्षण की भी सलाह दे सकते हैं।
आपको ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों की जांच के लिए जरूरत पड़ने पर बोन डेंसिटी टेस्ट भी करवाना पड़ सकता है।
इलाज की प्रक्रिया के साथ लक्षणों में सुधार आने पर डॉक्टर 3 से 4 हफ्तों के बाद आपकी दवाओं की खुराक को कम करने लगेंगे।
और पढ़ें : Measles Immunization Day: मीजल्स (खसरा) कितना होता है खतरनाक, जानें कैसे करें बचाव
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia Rheumatica) में क्या खाएं?
इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखने के लिए आपको अपनी डायट सुधारनी होगी। इसके लिए आपको अपने खाने में हेल्दी फैट्स को शामिल करना होगा। खास कर के आपको ओमेगा-3 (Omega 3) की मात्रा को अपने डायट में शामिल करना चाहिए। निम्न फूड्स में ओमेगा-3 पाई जाती है :
इसके अलावा अन्य फूड्स जो आपको दर्द से राहत दिलाएंगे :
और पढ़ें : डायबिटिक फूड लिस्ट के तहत डायबिटीज से ग्रसित मरीज कौन सी डाइट करें फॉलो तो किसे कहे ना, जानें
विटामिन डी और कैल्शियम के लिए आप निम्न चीजें खा सकते हैं :
इसके अलावा खूब पानी पिएं, क्योंकि पानी सौ मर्ज की एक दवा है। पानी पीने से आपके शरीर के टॉक्सीन बाहर आते रहते हैं, जिससे आपको दर्द से राहत मिल सकती है।
और पढ़ें : मछली खाने के फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान, कम होता है दिल की बीमारियों का खतरा
पोलिमेल्जिया रुमेटिका (Polymyalgia Rheumatica) में क्या नहीं खाएं?
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका में कुछ फूड्स को नहीं खाना चाहिए इससे आपकी बीमारी बद से बदतर हो जाएगी।
- रेड मीट, जैसे- चिकन, मछली या टोफू
- प्रोसेस्ड मीट
- सलाद
- व्हाइट ब्रेड
- पेस्ट्री
- फ्रेंच फ्राई
- शुगर मिले हुए फूड्स
और पढ़ें : Frozen Shoulder: कंधे की अकड़न क्या है?
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia Rheumatica) की जटिलताएं
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका के लक्षण रोजाना की गतिविधियों में बाधा डाल सकते हैं । खासतौर से यदि स्थिति का इलाज ना करवाया जाए। इलाज न करवाने पर दर्द और अकड़न बढ़ती जा सकती है जिसके कारण अंग गंभीर रूप से गतिहीन बन सकता है।
धीरे-धीरे आपको आसान कामों में भी मुश्किलें आने लगेंगे, जैसे की नहाना, कपड़े पहनना और बाल बनाना। इसके कारण जोड़ की समस्या बड़ने लगती है और फ्रोजन शोल्डर होने का खतरा बढ़ जाता है।
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका से ग्रस्त लोगों में पेरीफेरल आर्टरी डिजीज होने का खतरा भी अधिक होता है। इस स्थिति में ब्लड सर्कुलेशन अनियंत्रित हो जाता है जिससे पैरों में दर्द और अल्सर की समस्या उतपन्न होने लगती है।