स्वाइन फ्लू (H1N1) के बारे में ज्यादातर लोगों को पता होगा। 10 साल पहले दुनिया में लोगों के सामने तेजी से फैली इस बीमारी ने हजारों लोगों को अपना शिकार बनाया था। अप्रैल 2009, में H1N1 यानी स्वाइन फ्लू का वायरस अमेरिका में सबसे पहले देखा गया था, जो अब दुनियां भर में फैल चुकी है। H1N1 स्वाइन फ्लू क्या है? हम इससे कैसे बच सकते हैं? हैलो स्वास्थ्य आपके इन सवालों का जवाब यहां पर दे रहा है।
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स्वाइन फ्लू (H1N1) क्या है?
स्वाइन फ्लू को एच1एन1 या शूकर इंफ्ल्यूएंजा भी कहते हैं। इसकी बीमारी शूकर इंफ्ल्यूएंजा विषाणु वाले जानवरो से फैलती है। शूकर इंफ्ल्यूएंजा विषाणु दुनिया भर के सुअरो में पाया जाता है। H1N1 का संक्रमण तभी फैलता है, जब सुअरों के बीच में रहा जाए या संक्रमित सुअर का मांस खाया जाए। जब H1N1 का संक्रमण किसी मनुष्य में फैलता है, तो वह वायरल फ्लू का रूप ले लेता, जो धीरे-धीरे उसके संपर्क में आने वाले किसी को भी हो सकता है। इससे बचने के लिए स्वाइन फ्लू वैक्सीन लगवाएं।
स्वाइन फ्लू (H1N1) के लक्षण
स्वाइन फ्लू (H1N1) के पीड़ितों को अक्सर निम्नलिखित लक्षणों का सामना करना पड़ सकता हैः
- बुखार (कभी कभार)
- ठंड लगना
- खांसी और गले में खाराश
- नाक का बहना
- शरीर या सिर दर्द
- थकावट महसूस होना
- उबकाई और उल्टियां आना
- कंपकपी लगना
- सासं लेने में कठिनाई
- बार-बार चक्कर आना
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ज्यादादर मामलों में लोगों को स्वाइन फ्लू (H1N1) के लक्षण बहुत देर से समझ आते हैं। क्योंकि, इसके शुरुआती लक्षण किसी साधराण से बुखार की तरह बहुत ही आम होते हैं। हालांकि, स्वाइन फ्लू (H1N1) का वायरस शरीर में प्रवेश करने के एक से तीन दिन के अंदर ही खतरे को अधिक बढ़ा देता है। स्वाइन फ्लू के मामले अब पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में यह बेहद ही गंभीर बन जाता है, जैसेः
- गर्भवती महिलाएं, जिनका आठवां या नौवा महीना चल रहा हो
- 65 की उम्र से बड़े बुजुर्ग
- पांच साल से छोटे बच्चे
- नवजात बच्चे
- अस्थमा, इम्फीसेमा, डायबिटीज और दिल के मरीज
- लिवर के मरीज
- एचआईवी के मरीज
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स्वाइन फ्लू (H1N1) का इलाज
स्वाइल फ्लू (H1N1) के उपचार के लिए घरेलू नुस्खें काफी कारगार होते हैं, जिन्हें आप अपना सकते हैः
- घर से बाहर नहीं जाएं।
- भीड़भाड़ से दूर रहें।
- शरीर को आराम दें, क्योंकि शरीर को जितना आराम मिलेगा इम्यून सिस्टम को इस बीमारी से लड़ने में उतना बेहतर काम करेगा।
- पानी, नारियल पानी और फलों के जूस का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें और डिहाइड्रेशन से बचें।
- बुखार तेज होने पर डॉक्टर की सलाह से दवा लें।
- छींक आने पर टीसू से नाक को ढकें और हाथों को अच्छे से धुलें।
- घर से बाहर जाते समय या परिवार के लोगों के बीच आने सर्जिकल मॉस्क पहनें।
- जानवरों से दूर रहें।
साल 2010 के अगस्त में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वाइन फ्लू (H1N1) को बतौर महामारी घोषित के रूप में घोषित किया था। स्वाइन फ्लू के मामले लगभग सभी देशों में देखे गए हैं। 2010 से वैज्ञानिकों ने वायरस का नाम भी बदला। इसके बाद H1N1 वायरस को अब H1N1v के नाम से जाना जाता है। वी, वैरिएंट के लिए खड़ा है जिसका अर्थ है कि H1N1 के वायरस आमतौर पर जानवरों में घूमता है लेकिन, मनुष्यों में भी H1N1 का असर हो सकता है।
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स्वाइन फ्लू (H1N1) से बचने के लिए घरेलू उपचार क्या हैं?
स्वाइन फ्लू (H1N1) से बचाव करने के लिए आप निम्न घरेलू उपचार अपना सकते हैंः
आमतौर पर स्वाइन फ्लू (H1N1) या अन्य फ्लू के लक्षणों के उपचार के लिए इनके लक्षणों को कम करने का प्रयास किया जाता है। फ्लू के अधिक लक्षण सांस संबंधी स्थितियों के कारण हो सकते हैं। अगर आपको सांस से संबंधी कोई पुरानी बीमारी है, तो आपके डॉक्टर आपके लक्षणों को दूर करने के लिए आपको H1N1 की दवाओं के साथ-साथ अन्य दवाओं के इस्तेमाल की भी सलाह दे सकते हैं।
मौजूदा समय में स्वाइल फ्लू (H1N1) से बचाव करने के लिए एफडीए द्वारा चार एंटीवायरल दवाएं को निर्देशित किया गया है। जो स्वाइन फ्लू के गंभीर और हल्के लक्षणों में इस्तेमाल की जा सकती हैं। इसमें शामिल है:
- ओसेलटामिविर (टेमीफ्लू) (Oseltamivir)
- जनामिविर (रेलेंजा) (Zanamivir)
- पेरामिविर (रेपिवैब) (Peramivir)
- बालोकाविर (Baloxavir)
हालांकि, इन दवाओं के सुरक्षित इस्तेमाल की सलाह देने से पहले डॉक्टर निम्न स्थियों की जांच करते हैं। अगर निम्न लक्षण पाए जाते हैं, तो डॉक्टर इन दवाओं के इस्तेमाल की सलाह नहीं देते हैंः
- लंबे समय से किसी स्वास्थ्य स्थिति का उपचार चला रहा हो तो
- 2 साल से कम उम्र का छोटा बच्चा होने पर
- 65 साल या उससे अधिक उम्र होने पर
- गर्भवती होने पर
- अस्थमा, हृदय रोग, डायबिटीज (मधुमेह), न्यूरोमस्कुलर रोग, किडनी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं या लिवर के रोग होने पर
- एचआईवी एड्स होने पर।
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स्वाइन फ्लू (H1N1) होने पर इन घरेलू चीजों की लें मदद
लहसुन
लहसुन का इस्तेमाल आमतौर पर इडियन कुकिंग में खाने में स्वाद डालने के लिए किया जाता है। लहसुन का बोटेनिकल नाम एलियम सैटिवम (Allium sativum) है, जो कि प्याज की फैमिली (Amaryllidaceae) से संबंध रखता है। इसमें एंटीवायरल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीफंगल गुण होते हैं। इसके अलावा इसमें विटामिन, मैंगनीज, कैल्शियम, आयरन आदि पोषक तत्व होते हैं। लहसुन में एलिसिन की उपस्थिति शरीर में एंटीऑक्सिडेंट की गतिविधियों को उत्तेजित करती है और उन्हें आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए बढ़ावा देती है। स्वाइन फ्लू (H1N1) से बचाव के लिए रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की दो कच्ची कलियां गर्म पानी के साथ खा सकते हैं।
तुलसी
तुलसी एक जड़ी बूटी है। हालांकि, भारतीय परंपरा में तुलसी को पूज्यनीय माना जाता है। वहीं, इसके लाभकारी गुणों की वजह से आयुर्वेद में इसे जड़ी बूटियों की रानी तक कहा जाता है। तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-पायरेटिक, एंटी-सेप्टिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण होते हैं। इसमें विटामिन ए, विटामिन के, कैल्शियम, आयरन और मैगनीज की मात्रा होती है जो शरीर को फिट रखने में मदद करती है। तुलसी गले और फेफड़ों को साफ रखती है और आपकी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करके उसे संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। इसके जड़, पत्ते, तने और बीज सभी का प्रयोग आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर किया जाता है।
इसके अलावा जब भी आपको स्वाइन फ्लू (H1N1) के लक्षण नजर आए तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लें और स्वाइन फ्लू पाए जाने पर फ्लू वैक्सीन का टीका जरूर लें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।