एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) वो समस्या जिसमें आर्टरीज के अंदर प्लाक (Plaque) बन जाता है। प्लाक खून में पाई जाने वाली चीजों, फैट, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम आदि से बना होता है। समय के साथ यह प्लाक सख्त हो जाता है और आर्टरीज को तंग कर सकता है। इसके कारण सही से ब्लड फ्लो होने में समस्या होती है। एथेरोस्क्लेरोसिस कई बीमारियों का कारण बन सकती है जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक, पेरीफेरल वैस्कुलर डिजीज (Peripheral Vascular Disease) आदि। एथेरोस्क्लेरोसिस के एक प्रकार को हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) कहा जाता है। जानिए, क्या है हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस और किस तरह से संभव है इसका उपचार?
हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस क्या है? (Hyaline Arteriolosclerosis)
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमें कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं या चुनौतियों से गुजरना पड़ता है जैसे हार्ट डिजीज, डायबिटीज, आर्थराइटिस आदि। ऐसी ही एक समस्या है हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस(Hyaline Arteriolosclerosis)। लेकिन, आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है कि छोटे शिशु में भी यह समस्या हो सकती है। लेकिन, बुजुर्गों को इसके होने का जोखिम अधिक रहता है। इसे आर्टरीयोलर हायलिनोसिस (Arteriolar Hyalinosis) भी कहा जाता है। यह टर्म आर्टरीज के थिक और मोटा होने की तरफ इशारा करती है जिसका कारण है आर्टरीज वॉल्स में जमने वाले शीशे की तरह की चीज, जिसे प्लाक कहा जाता। इस बीमारी के बारे में शायद ही आपने सुना होगा। ऐसा भी कहा जा सकता है कि कई बार माइक्रोस्कोप के नीचे हायलिन एक ग्लास की तरह दिखाई देता है। ब्राउन यूनिवर्सिटी ऑफ़ यू.एस. (Brown University of U.S.) के अनुसार हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस को धमनियों की वाल्स की शीशे की तरह थिक प्लाक के रूप में जाना जाता है यह समस्या बुजुर्गों में अधिक देखी गयी है फिर चाहे उन्हें हायपरटेंशन और डायबिटीज की समस्या हो या न। हालांकि, डायबिटीज और हायपरटेंशन से पीड़ित लोगों में यह समस्या अधिक देखी गई है।
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हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण (Causes of Hyaline Arteriolosclerosis)
हमारी ब्लड स्ट्रीम में कई तरह के प्रोटीन तैरते रहते हैं। इसमें कई प्रोटीन्स को c3 की तरह कॉम्प्लीमेंट प्रोटीन कहा जाता है। यह प्रोटीन्स हमारे इम्यून सिस्टम में शामिल होते हैं। जब यह c3 आर्टरी वॉल्स में जाती है तो यह अन्य प्रोटीन में बदल जाती है जिसे C3b कहा जाता है। समस्या यह है की यह आर्टेरिअल वॉल (Arterial Wall) खासतौर पर सबएंडोथेलियम (Subendothelium) में हायऐल्युरोनिक एसिड (Hyaluronic Acid) बहुत अधिक होता है। सबएंडोथेलियम (Subendothelium) इस वॉल का एक हिस्सा है। हायऐल्युरोनिक एसिड (Hyaluronic Acid) एक तरह का चीनी के जैसा तत्व होता है जो बायडिंग और लुब्रिकेटिंग एजेंट की तरह काम करता है। एनर्जेटिक बायोकेमिकल रिएक्शन की वजह से C3b हायऐल्युरोनिक एसिड के साथ बाइंड हो जाता है और जिससे ग्लास के जैसा हायलिन बनता है। यह तत्व पहले छोटी जगह पर बनना शुरू होता है और उसके बाद आर्टरीज में गहराई तक जम जाता है। इसे हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) कहा जाता है। हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) छोटी आर्टरीज में पाया जाता है और उसके बाद इन ऑर्गन्स और टिश्यूज में फैल सकता है:
- स्प्लीन (Spleen)
- किडनी (Kidneys)
- लिवर (Liver)
- ब्रेन (Brain)
- पैंक्रियाज (Pancreas)
- एड्रेनल ग्लैंडज (Adrenal glands)
- इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Intestinal Tract)
- रेटिना (Retina)
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आर्टरीज वो ब्लड वेसल्स होते हैं जो हार्ट से ब्लड को पूरे शरीर तक पहुंचाती हैं। यह एंडोथेलियम (Endothelium) नामक कोशिकाओं की एक पतली परत द्वारा लायंड होते हैं। इससे खून को आर्टरीज़ के अंदर सही से फ्लो होने में आसानी होती है। लेकिन एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण एंडोथेलियम को नुकसान होता है। इस नुकसान के कारण आर्टरीज में प्लाक का निर्माण हो सकता है। हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) के सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
- मोटापा (Obesity)
- डायबिटीज (Diabetes)
- उम्र का बढ़ना (Aging)
- स्मोकिंग (Smoking)
- कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol)
जब आर्टरी वॉल्स में प्लाक बनता रहता है, तो हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या बदतर होती जाती है और इसके कारण धमनियों का ब्लॉक होना सामान्य है। इसके कारण मरीज को न केवल स्ट्रोक बल्कि कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। जानिए क्या हैं इस समस्या के लक्षण?
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हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण (Symptoms of Hyaline Arteriolosclerosis)
हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) ह्यूमन शरीर में सबसे सामान्य, न रोके जा सकने वाला बदलाव है। इसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। एक महीने के नवजात शिशु के स्प्लीन में भी इस समस्या के सबूत मिल चुके हैं। हालांकि इस समस्या के कोई खतरनाक परिणाम सामने नहीं आते हैं। खासतौर पर स्वस्थ और छोटी उम्र के लोगों में। लेकिन बुजुर्गों और किन्हीं हेल्थ कंडीशंस के शिकार लोगों के लिए यह जोखिम भरा रोग हो सकता है। इसके लक्षण भी आमतौर पर नजर नहीं आते हैं। लेकिन आर्टरीज के ब्लॉक होने पर यह समस्याएं हो सकती हैं:
- एरिथमिया (Arrhythmias) जो एक असामान्य हार्टबीट है।
- शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द या प्रेशर (Pain or Pressure in Upper Body), इसमें छाती, बाजु, गला और जबड़े आदि शामिल हैं।
- सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
इस समस्या के कारण वो आर्टरीज ब्लॉक हो सकती हैं, जो दिमाग तक ब्लड पहुंचाती हैं, इसके कारण पैदा होने वाले लक्षण इस प्रकार हैं:
- बाजु और टांगों में कमजोरी या सुन्न होना (Weakness in legs and Arms)
- बोलने में समस्या (Problem in Speaking)
- पैरालिसिस (Paralysis)
- गंभीर सिरदर्द (Severe Headache)
- एक या दोनों आंखों से देखने में समस्या (Problems in Eyes)
इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- चलते हुए टांग में दर्द (Pain in leg While walking)
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
- किडनी फेलियर (Kidney Failure)
यह तो थी इस समस्या के लक्षण और कारण। अब जानिए इसके रिस्क फैक्टर्स के बारे में। यानि, कौन सी स्थितियों में यह रोग जोखिम भरा हो सकता है?
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हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस के रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors of Hyaline Arteriolosclerosis)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि यह समस्या छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी हो सकती है। लेकिन, बुजुर्गों को यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा भी माना गया है की चालीस की उम्र के बाद यह रोग होने की संभावना पचास प्रतिशत बढ़ जाती है। कुछ स्थितियों में यह समस्या होने का जोखिम बहुत अधिक बढ़ जाता है और यह स्थितियां इस प्रकार हैं:
- एब्डोमिनल ओबेसिटी (Abdominal Obesity)
- डायबिटीज (Diabetes)
- अधिक शराब का सेवन (High Alcohol intake)
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
- हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol)
- फलों और सब्जियों का सेवन न करना (Not Eating Fruits and Vegetables)
- रोजाना व्यायाम न करना (Not Exercising Regularly)
- स्मोकिंग (Smoking)
- तनाव (Stress)
ऐसा में जरूरी है इन जोखिमों से बचना। इन रिस्क फैक्टर से बचने के साथ ही आप इस रोग के जोखिम को कम कर पाएंगे। इसके बाद जानिए हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) के निदान के बारे में।
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हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस का निदान (Diagnosis of Hyaline Arteriolosclerosis)
हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर रोगी से लक्षणों के बारे में जानते हैं और इसके साथ ही शारीरिक जांच की जाती है। वो आपकी आर्टरीज को सुनते हैं और कमजोर और पल्स के न होने की जांच करते हैं। इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर कई टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे
- एंजियोग्राम (Angiogram) : इस टेस्ट में डॉक्टर आर्टरीज में डाई का प्रयोग करते हैं, ताकि आर्टरीज को एक्स-रे के माध्यम से देखा जा सके।
- एंकल-ब्रेकियल इंडेक्स (Ankle-Brachial Index) : इस टेस्ट के माध्यम से लोअर लेग और बाजु के ब्लड प्रेशर की तुलना की जाती है ।
- ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests) : ब्लड टेस्ट्स को उस चीजों की जांच करने के लिए किया जाता है जो एथेरोस्क्लेरोसिस के रिस्क को बढ़ा सकती हैं जैसे ब्लड शुगर या कोलेस्ट्रॉल।
- चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) : चेस्ट एक्स-रे से हार्ट फेलियर के लक्षणों को जांचा जा सकता है।
- सीटी स्कैन या मैग्नेटिक रेजोनेंस एंजियोग्राफी (CT Scan or Magnetic Resonance Angiography) : इन टेस्ट्स के माध्यम से आर्टरीज के सख्त या तंग होने की जांच की जा सकती है।
- स्ट्रेस टेस्ट (Stress test) : स्ट्रेस टेस्ट के माध्यम से यह जाना जाता है कि जब रोगी कोई शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करता है तो उसकी हार्ट रेट (Heart Rate), ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) और ब्रीदिंग (Breathing) पर क्या प्रभाव पड़ता है।
इसके साथ ही डॉक्टर रोगी की स्थिति के अनुसार कुछ अन्य टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं। अब जानिए हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) का उपचार कैसे किया जाता है?
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हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस का उपचार कैसे संभव है? (Treatment of Hyaline Arteriolosclerosis)
आर्टरीज में होने वाली ब्लॉकेज को दूर नहीं किया जा सकता है। लेकिन कुछ दवाईयों का प्रयोग और जीवनशैली में बदलाव से प्लाक का बनना कम या बंद हो सकता है। यही नहीं, इसे कुछ उपचारों की मदद से थोड़ा शरिंक किया जा सकता है। यह उपचार के तरीके इस प्रकार हैं:
लाइफस्टाइल में बदलाव (Lifestyle changes): अगर आप हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) को बढ़ने से रोकना या बंद करना चाहते हैं तो रिस्क फैक्टर्स के ध्यान रखें। इसका अर्थ है कि हेल्दी खाएं, एक्सरसाइज करें और स्मोकिंग करने से बचें। इसके साथ ही तनाव से बचाव और पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है। हालांकि, इनसे ब्लॉकेज तो ठीक नहीं होगी लेकिन हार्ट अटैक (Heart Attack) और स्ट्रोक के खतरे से बचने में मदद मिलेगी।
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दवाईयां (Medication): हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) और ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) के लिए दवाईयां हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) की समस्या कम कर सकती हैं। इनसे भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जोखिम कम हो सकते हैं। इसके साथ ही इस समस्या के कारण हुई ब्लॉकेज को दूर करने के लिए डॉक्टर कुछ अन्य तरीके भी अपना सकते हैं जैसे।
- एंजियोग्राफी और स्टेंटिंग (Angiography and stenting)
- बायपास सर्जरी (Bypass surgery)
- एंडाटेरेक्टॉमी (Endarterectomy)
- फाइब्रिनोलिटिक थेरेपी (Fibrinolytic therapy)
इन तरीकों से रोगी को कई समस्याएं हो सकती हैं। इनका प्रयोग केवल उन्ही मरीजों पर किया जाता है जिनमें गंभीर लक्षण या जटिलताएं हों।
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यह तो थी हायलिन एथेरोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) के बारे में विस्तृत जानकारी। यह समस्या आमतौर पर गंभीर नहीं होती है। लेकिन, किन्हीं स्थितियों में यह जानलेवा हो सकती है और कई गंभीर हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions) का कारण बन सकती है जैसे हार्ट स्ट्रोक या हार्ट अटैक आदि। ऐसे में इसका कोई भी लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से सलाह और मेडिकल हेल्प लेना अनिवार्य है। खुद को दिल की इस बीमारी से बचाने या संपूर्ण रूप से स्वस्थ रहने के लिए अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाएं। सही खाएं, व्यायाम करें, तनाव से बचें और पर्याप्त नींद लें। इससे आपको हेल्दी रहने में मदद मिलेगी।
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