क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease), जिसे COPD भी कहा जाता है, प्रोग्रेसिव लंग डिजीज का एक समूह है, जिसके कारण सांस लेने में समस्या हो सकती है। एम्फिसीमा (Emphysema) इन्हीं लंग डिजीज में से एक है। इस रोग में लंग में मौजूद एयर सैक्स (Air Sacs) को नुकसान पहुंचता है और जिसके कारण शरीर के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। COPD जिसमें एम्फिसीमा (Emphysema) भी शामिल है, कई लोगों को प्रभावित करती हैं और इनमें से अधिकतर लोगों को यह पता भी नहीं होता कि उन्हें यह बीमारी है। आज हम बात करेंगे COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) के बारे में। शुरुआत करते हैं क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) से।
और पढ़ें : Emphysema: वातस्फीति क्या है?
COPD क्या है ? (COPD)
जब कोई व्यक्ति सांस लेता है तो हवा एक ट्यूब के माध्यम से लंग तक ट्रेवल करती है, जिन्हें ब्रोन्कियल ट्यूबस (Bronchial Tubes) या एयरवेज कहा जाता है। यह ट्यूब्स कई छोटे-छोटे पाथवेज में स्प्लिट हो जाते हैं, जिन्हें ब्रोंकिओल्स (Bronchioles) कहा जाता है। यह ब्रोंकिओल्स छोटे-छोटे एयर सैक्स के समूह में समाप्त होते हैं। ऑक्सीजन एयर सैक्स की वॉल से खून ले जाने वाली केपिलरीज (Blood-carrying Capillaries) तक जाती है। जब ऐसा होता है तो केपिलरीज वेस्ट गैस कार्बन डाइऑक्साइड को वापस एयर सैक्स में स्थानांतरित कर देती हैं ताकि इसे बाहर निकाला जा सके।
स्वस्थ लोगों में ब्रोन्किओल्स और एयर सैक्स लचीले होते हैं। जैसे व्यक्ति सांस लेता है तो हर सांस के साथ हर एक एयर सैक्स एक छोटे से गुब्बारे की तरह फूलता है और जब सांस छोड़ी जाती है, तो यह डिफ्लेट हो जाता है। लेकिन COPD में यह प्रक्रिया आसानी से नहीं हो पाती और एयरवेज से कम हवा बहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि:
- एयरवे और एयर सैक्स लचीले नहीं रह पाते और उनमें पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं भर पाती।
- एयरवेज की वॉल्स थिक हो जाती हैं और सूज जाती है।
- एयरवे अतिरिक्त बलगम के साथ बंद हो जाता है।
- एयर सैक्स की वॉल्स नष्ट हो जाती हैं।
COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) की जल्दी स्क्रीनिंग से लंग फंक्शन में अधिक नुकसान होने बचा जा सकता है। स्मोकिंग छोटे से इसका रिस्क कम हो सकता है। अब जानते हैं कि क्या है एम्फिसीमा?
और पढ़ें : World COPD Day: स्मोकिंग को बाय-बाय बोल कर सीओपीडी से बचें
एम्फिसीमा क्या है? (Emphysema)
एम्फिसीमा की मुख्य समस्या यह है कि इसमें एयर सैक्स की वॉल्स को नुकसान पहुंचता है। इसके कारण सैक्स की इनर वॉल्स कमजोर हो सकती हैं या फट सकती हैं। जिसके कारण एयर को होल्ड करने के लिए अधिक जगह बन सकती है। इससे लंग्स का सरफेस एरिया कम हो जाता है और कम ऑक्सीजन केपिलरीज़ के माध्यम से रक्तप्रवाह में प्रवेश कर पाती है। एयर सैक्स में नुकसान की वजह से, पुरानी हवा लंग में नहीं रह पाती। जिसके कारण पुरानी हवा की जगह फ्रेश एयर ले लेती है। इससे शरीर को नई ऑक्सीजन मिलने की समस्या बढ़ जाती है। जानिए क्या हैं COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) के लक्षण?
COPD और एम्फिसीमा के लक्षण (Symptoms of COPD and Emphysema)
COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) के अधिकतर लक्षण सामने आने में समय लेते हैं। आमतौर पर यह लक्षण तब नजर आते हैं, जब लंग डैमेज होने लगते हैं। इनके लक्षण इस प्रकार इस प्रकार हैं:
- सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
- छाती में कसाव (Tightness in Chest)
- छाती में सीटी जैसी आवाज आना या व्हीजिंग (Wheezing or Whistling Sound in Chest)
- गंभीर खांसी (Chronic Cough)
- नीले होंठ या नाखून (Blue lips or Nails)
- लगातार सर्दी-जुकाम या रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (Frequent Colds or Respiratory Infections)
- एनर्जी की कमी (Lack of Energy)
- अचानक वजन कम होना (Unexplained Weight Loss)
यह लक्षण समय के साथ बदतर हो सकते हैं। खासतौर पर अगर व्यक्ति धूम्रपान करना जारी रखता है या धुएं या प्रदूषण के संपर्क में आता है। अब जानिए क्या हैं इनके कारण?
और पढ़ें : Chronic Obstructive Pulmonary Disease (COPD) : क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज क्या है?
COPD और एम्फिसीमा के कारण (Causes of COPD and Emphysema)
हालांकि, हर व्यक्ति में COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) का कारण सिगरेट स्मोकिंग नहीं होता। सेकंड हैंड स्मोकिंग के भी स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। जो लोग धुएं या प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं, उनमें भी यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है। यही नहीं जीन भी COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) की समस्या या इसे बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। जानिए किस तरह से संभव है इनका निदान?
COPD और एम्फिसीमा का निदान (Diagnosis of COPD and Emphysema)
COPD के सभी प्रकारों (जिसमें एम्फिसीमा भी शामिल है) का निदान करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन, जल्दी निदान से बीमारी के बढ़ने की संभावना कम हो सकती है। अधिकतर लोगों में इस समस्या का निदान तब तक नहीं हो पाता, जब तक उनके लंग्स में कोई समस्या न हो जाए। इसके निदान के लिए डॉक्टर व्यक्ति से लक्षणों, फैमिली और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही वो उन चीजों के बारे में भी जानेंगे, जो इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा कुछ टेस्ट भी निदान में मदद कर सकते हैं, जैसे
- स्पिरोमेट्री टेस्ट (Spirometry Test) : यह टेस्ट सबसे सामन्य लंग फंक्शन टेस्ट (Lung function test) है। इसमें व्यक्ति को एक मशीन में सांस लेना पड़ता है। यह मशीन यह मापती है कि आपके फेफड़े कितनी एयर को होल्ड कर सकते हैं और व्यक्ति लंग्स के माध्यम से कितनी तेजी से ब्लो कर सकता है।
- चेस्ट एक्स-रे या सीटी स्कैन (Chest X-Ray or CT Scans) : यह दोनों इमेजिंग टेस्ट एम्फिसीमा (Emphysema) की समस्या का निदान करने में मदद कर सकते हैं। यह अन्य बीमारियों जैसे कैंसर और हार्ट फैलियर को भी पहचान सकते हैं। नेशनल इंस्टीटूट्स ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) के अनुसार किसी मरीज में एम्फिसीमा के खास लक्षण हों या न हों, COPD के निदान के लिए सीटी स्कैनिंग आवश्यक है।
- ब्लड गैस एनालिसिस (Blood Gas Analysis) : यह ब्लड टेस्ट ब्लड में ऑक्सीजन और कार्बन-डाइऑक्साइड को मापने के लिए किया जाता है। इससे पता चलता है कि आपके लंग्स कितने अच्छे से काम कर रहे हैं।
- अन्य ब्लड टेस्ट (Other Blood Tests) : ब्लड टेस्ट से COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) का निदान नहीं हो सकता। लेकिन, यह अन्य स्थितियों के निदान और बीमारी के कारण को जानने के लिए काम में आ सकता है। इस तरह से संभव है इन समस्याओं का उपचार।
- अन्य लंग फंक्शन टेस्ट्स (Other Lung Function Tests): यह टेस्ट्स इस बात को माप सकते हैं कि व्यक्ति हवा की कितनी मात्रा को शरीर के अंदर ले जा सकता है और बाहर निकाल सकता है।
और पढ़ें : क्या आप जानते हैं कि COPD के कारण वजन बढ़ता नहीं, बल्कि कम हो जाता है?
COPD और एम्फिसीमा का उपचार (Treatment of COPD and Emphysema)
COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) का इलाज संभव नहीं है। लेकिन, इसका उपचार इस बीमारी को बढ़ने से रोक सकता है और इससे लक्षणों को मैनेज करने में मदद मिलती है। इसके ट्रीटमेंट्स में मेडिकल, सर्जिकल और थेराप्यूटिक तरीके शामिल हैं। जानिए इन तरीकों के बारे में विस्तार से:
मेडिकल उपचार (Medical Treatments)
COPD और एम्फिसीमा(COPD and Emphysema) के मेडिकल ट्रीटमेंट्स में इनहेल्ड और ओरल दवाइयां दोनों शामिल हैं। इसके उपचार इस प्रकार है:
- ब्रोन्कोडायलेटर्स (Bronchodilators) : रोगी इन दवाइयों को सामान्यतया इनहेल करते हैं। यह लंग के आसपास के मसल्स को आराम पहुंचाती हैं, खांसी और सांस लेने की समस्या को दूर करते हैं
- स्टेरॉयड्स (Steroids) : स्टेरॉयड्स को ओरल तरीके से लेने या इनहेल करने से COPD को बदतर होने से बचाया जा सकता है
- एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) : COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) से पीड़ित व्यक्ति को लंग इंफेक्शन होने की संभावना भी होती है। ऐसे में, ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) या निमोनिया (Pneumonia) के उपचार में भी इन दवाइयों का प्रयोग किया जाता है
और पढ़ें : फेफड़ों की बीमारी के बारे में वाे सारी बातें जो आपको जानना बेहद जरूरी है
पल्मोनरी थेरेपी (Pulmonary Therapy)
डॉक्टर इन समस्याओं के उपचार के लिए कुछ थेरेपीज की सलाह भी दे सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- रेस्पिरेटरी थेरेपी प्रोग्राम (Respiratory Therapy Program) : इसमें थेरेपी से मरीज की ब्रीदिंग सुधरती है और उसकी एक्सरसाइज करने की क्षमता भी बढ़ती है। इसका उद्देश्य व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है।
- सप्लीमेंटल ऑक्सीजन (Supplemental Oxygen): क्षतिग्रस्त फेफड़ों के लिए रोगी को इसकी आवश्यकता हो सकती है।
सर्जरी (Surgery)
COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) के मामले में कुछ लोगों को अपने जीवन की गुणवत्ता को सुधारने और इसके लक्षणों को मैनेज करने के लिए सर्जरी की जरूरत भी हो सकती है। इसके विकल्प इस प्रकार हैं:
- लंग ट्रांसप्लांट (Lung Transplant) : सर्जन इस सर्जरी में डैमेज्ड फेफड़ों को स्वस्थ फेफड़ों से बदल देते हैं। हालांकि, यह तरीका यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि इसमें कई साइड इफेक्ट शामिल हैं।
- लंग वॉल्यूम रिडक्शन (Lung Volume Reduction) : यह डैमेज्ड फेफड़े के टिश्यू को रिमूव करके लंग वॉल्यूम को कम करता है। यह फेफड़ों को एक्सपेंड करने के लिए अधिक जगह बनाता है।
- बुलेक्टॉमी (Bullectomy) : इसमें बुलै (Bullae) नामक बड़े एयर स्पेस को हटाना शामिल है जो फेफड़ों में तब बनते हैं जब एयर सैक्स डैमेज हो जाते हैं। बुलै को रिमूव होने एयर फ्लो में सुधार करने में मदद मिलती है।
और पढ़ें : फेफड़ों में इंफेक्शन के हैं इतने प्रकार, कई हैं जानलेवा
COPD और एम्फिसीमा की स्थिति में जीवन में क्या बदलाव लाने चाहिए? (Management of COPD and Emphysema)
COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) दोनों ही स्थितियां मरीज की जीवन शैली को प्रभावित करती हैं। ऐसे में, जरूरी है अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाना। यह बदलाव इस प्रकार हैं:
- स्मोकिंग छोड़ दें (Quitting Smoking) : स्मोकिंग COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) का कारण हो सकता है और इससे इन रोगों के लक्षण बदतर हो सकते हैं। इसलिए जितनी जल्दी हो सके स्मोकिंग छोड़ दें।
- हेल्दी आहार का सेवन करें (Eat Healthy) : पौष्टिक और संतुलित आहार शरीर को निरोगी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे न केवल स्ट्रेंथ मेंटेन करने बल्कि इम्युनिटी को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। इसलिए अपने आहार में फल, सब्जियों, साबुत अनाज आदि को अवश्य शामिल करें। हायड्रेट रहना भी इस समस्या से बचने में मदद कर सकता है।
- पर्याप्त व्यायाम करें (Getting Plenty of Exercise) : एक्टिव रहने से लंग फंक्शन को सही रखने और बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही रोजाना फिजिकल एक्टिविटी करने से मूड, स्ट्रेंथ और बैलेंस सुधरता है।
- प्रदूषकों से बचें (Avoid pollutants) : सेकंडहैंड स्मोक और अन्य प्रदूषकों से बचना बेहद जरूरी है। जिस दिन हवा की गुणवत्ता पुअर हो उस दौरान घर के अंदर रहना ही बेहतर है।
COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) से पीड़ित व्यक्ति को हमेशा डॉक्टर की सलाह का प्लान करना चाहिए, सभी बताई दवाइयां लेनी चाहिए और नियमित रूप से चेकअप करना भी जरूरी है। जानिए, कब जरूरी है डॉक्टर की सलाह:
World Lungs Day: क्या ड्रग्स जितनी ही खतरनाक है धूम्रपान की लत?
डॉक्टर की सलाह कब लें?
COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) के लक्षणों का पता लगाना और मेडिकल हेल्प लेना कई लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है। लेकिन अगर आप पहले से ही मेडिकल हेल्प ले रहे हैं और इन समस्याओं के यह लक्षण अनुभव करते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें:
- सांस लेने में समस्या जो बदतर हो जाए (Shortness in Breath)
- बलगम के रंग, मात्रा और थिकनेस में बदलाव (Changes in Mucus)
- बलगम के साथ खून आना (Mucus Becomes Bloody)
- खांसी और व्हीजिंग का बढ़ना (Increase in Coughing or Wheezing)
- वजन का बढ़ना (Weight Gain)
- सिरदर्द और चक्कर आना (Headaches or Dizziness)
- बुखार (Fever)
- अचानक गंभीर कमजोरी महसूस होना (Severe Weakness)
अगर कोई व्यक्ति सांस लेने में समस्या महसूस करता है जो डॉक्टर द्वारा बताई दवाइयों से भी नहीं कंट्रोल होती है तो भी तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
और पढ़ें : Lung Cancer: फेफड़े का कैंसर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज
यह तो थी COPD और एम्फिसीमा के बारे में पूरी जानकारी। COPD को कई तरह की लंग डिजीज के रूप में जाना जाता है जिनमें एम्फिसीमा भी एक है। COPD और एम्फिसीमा जानलेवा हो सकती हैं। लेकिन, स्मोकिंग छोड़ना, हेल्दी हैबिट्स को अपनाना आदि COPD और एम्फिसीमा (COPD and Emphysema) के विकास को मैनेज करने में मददगार साबित हो सकते हैं। ऐसे में रोगी के लिए जरूरी है इनके लक्षणों को पहचानना, उन्हें मैनेज करना और सही समय पर मेडिकल हेल्प लेना।