यह तो हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में 206 हड्डियां होती है। हड्डियों के बिना शरीर की फंक्शनिंग के बारे में हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हड्डियां हमारे शरीर को सपोर्ट देने के साथ ही शेप में रहने में भी मदद करती हैं। हमारी हड्डियां प्रोटीन के फ्रेमवर्क से बनी होती हैं जिन्हें कोलेजन (Collagen) कहा जाता है जिसमें कैल्शियम फॉस्फेट नामक खनिज होता है, जो फ्रेमवर्क को हार्ड और मजबूत बनाता है। यह तो थी हड्डियों की बात। क्या आपने हड्डियों से जुड़ी एक समस्या जिसे पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) कहा जाता है, उसके बारे में सुना है? अगर नहीं, तो जानिए क्या है पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) और इसके साथ ही इसके उपचार के बारे में जानें।
पैथोलॉजिक फ्रैक्चर क्या है? (Pathologic Fracture)
पैथोलॉजिक फ्रैक्चर हड्डियों के टूटने की उस स्थिति को कहा जाता है, जिसमें हड्डी चोट की वजह से नहीं बल्कि किसी बीमारी के कारण टूटती है। कुछ स्थितियां हड्डियों को कमजोर कर सकती हैं, जिससे वो टूटने की कगार पर पहुंच जाती है। इन बीमारियों के कारण कमजोर हुई हड्डियां रोजाना के कुछ काम जैसे खांसी करना, गाडी से बाहर निकलना या झुकने पर भी टूट सकती है। अगर किसी की हड्डियां मजबूत होती हैं तो आमतौर पर गिरने या चोट लगने पर हड्डी नहीं टूटी है लेकिन अगर किसी की हड्डियां कमजोर हो तो उनमें बड़ी आसानी से हड्डियां टूट सकती हैं। कई बार पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) के कारण स्पष्ट होते हैं लेकिन कई बार इसके कारण स्पष्ट नहीं होते कि यह फ्रैक्चर किस कारण से हुआ है। अधिकतर पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) इन जगहों पर होते हैं:
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- सबट्रोकैनेटरिक फीमर (Subtrochanteric Femur)
- ह्यूमरल हेड और मेटाफिसियल जंक्शन (Humeral Head and Metaphyseal Junction)
- वर्टेब्रल बॉडी (Vertebral Body) : वर्टेब्रल बॉडी हड्डी का एक बड़ा अंडाकार सेगमेंट है जो वर्टेब्रा (vertebra) के सामने के हिस्से को बनाता है जिसे सेंट्रम भी कहा जाता है।
इसके अलावा, वयस्क रोगियों में, फेमोरल लैसर ट्रोकेन्टर (Femoral Lesser Trochanter) के इवॉल्शन को एक पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) माना जाता है। जानिए क्या हैं इसके लक्षण।
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पैथोलॉजिक फ्रैक्चर के लक्षण कौन से हैं? (Symptoms of Pathologic Fracture)
पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) के हमेशा लक्षण नजर नहीं आते हैं और इसके लक्षण इंजरी रिलेटेड फ्रैक्चर के जैसे हो सकते हैं। इसके सामान्य सिम्पटम्स इस प्रकार हैं:
- टूटी हड्डी के पास माइल्ड से गंभीर दर्द (Mild to Severe Pain near the Broken Bone)
- टूटी हड्डी के पास नील पड़ना और सूजन (Bruising and Swelling near the Broken Bone)
- टूटी हड्डी के पास सुन्नता, झुनझुनी, या कमजोरी (Numbness, Tingling, or Weakness near the Broken Bone)
कुछ मामलों में पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) और कुछ अंडरलायिंग स्थितियां हड्डियों को प्रभावित करती हैं। ऐसे में उनमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। जानिए, क्या हैं इसके कारण:
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पैथोलॉजिक फ्रैक्चर के कारण (Causes of Pathologic Fracture)
जिन लोगों की हड्डियों मजबूत होती हैं, उनकी हड्डियां आसानी से नहीं टूटती और न ही गिरने पर उनमें फ्रैक्चर होता हैं। लेकिन कमजोर हड्डियां अधिक प्रेशर, शरीर का वजन या मामूली ट्रामा भी सहन नहीं कर पाती। दुर्भाग्य से, कई स्वास्थ्य स्थितियों से हड्डियों के क्षय (Bone Deterioration) का कारण बन सकती हैं। यह सामान्य स्वास्थ्य स्थितियां इस प्रकार हैं:
- ट्यूमर्स (Tumors) : अगर ट्यूमर आपकी हड्डियों में ग्रो होता है या आपकी हड्डियों से उत्पन्न होता है, तो यह पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) का कारण बन सकता है। ट्यूमर के अतिरिक्त वजन से हड्डियों पर वजन पड़ता है।
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) : यह स्थिति मुख्य रूप से वृद्धावस्था में होती है। यदि आप अपने आहार में बोन डेंसिटी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त कैल्शियम और विटामिन डी नहीं लेते हैं, तो आप के शरीर में बोन डेंसिटी कम हो सकती हैं। पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) अक्सर ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होते हैं।
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वृद्धावस्था में अगर आपको ऊंचाई युवावस्था से कुछ इंच कम हो गयी हो तो ऐसा ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण बोन डेंसिटी कम हो जाती हैं। आपकी हड्डियां टूट सकती हैं, जिससे आपको फ्रैक्चर हो सकता है। कुछ अन्य स्थितियां जो पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) का कारण बन सकती हैं, वो इस प्रकार हैं:
- सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy)
- मस्कुलर डिस्ट्रोफी (Muscular Dystrophy)
- स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal Muscular Atrophy)
- स्पाइना बिफिडा (Spina Bifida)
- डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome)
- एंडोक्राइन कंडीशन जैसे हायपरथायरॉइडिज्म या हायपोपैराथायराॅइडिज्म (Endocrine Conditions like Hyperthyroidism or Hyperparathyroidism)
- सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis)
- रीनल डिजीज (Renal Disease)
- कोलेस्टेसिस लिवर डिजीज (Cholestatic Liver Disease)
- सीलिएक बीमारी (Celiac Disease)
- इन्फ्लैमटेरी बॉवेल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease)
- रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)
- अन्य दुर्लभ जेनेटिक कंडीशंस (Rare Genetic Conditions)
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन (University of Washington) के अनुसार एब्नार्मल हड्डियों में फ्रैक्चर होने को पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) कहा जाता है। इसका सबसे सामान्य कारण होता हैं अंडरलायिंग ट्यूमर। ऐसी हड्डियों की कोई भी अंडरलायिंग प्रोसेसजो हड्डियों को कमजोर करती हैं वो इस फ्रैक्चर का कारण बन सकती हैं। इसमें इंफेक्शन, पेजेट’स डिजीज (Paget’s Disease) आदि भी शामिल हैं। यह तो थे पैथोलॉजिक फ्रैक्चर के कारण। अब जानिए इससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में:
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पैथोलॉजिक फ्रैक्चर के रिस्क्स (Risk of Pathologic Fractures)
हमें कम उम्र से ही अपनी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आसान तरीकों का पालन करना चाहिए। पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) को लेकर यह पहले से ही यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि आपको यह समस्या होगी। लेकिन, जो फैक्टर इस समस्या के रिस्क को बढ़ाते हैं वो इस प्रकार हैं:
- आहार में पर्याप्त न्यूट्रिएंट्स न लेना जैसे विटामिन डी, कैल्शियम या प्रोटीन (Not getting Enough Nutrients in your Diet like Vitamin D and Calcium, Protein)
- वजन का अधिक या कम होना (Being Underweight or Overweight)
- हड्डियों या पीठ में दर्द (Pain in your Bones or Back)
- फिजिकल एक्टिविटी और मोबिलिटी में कमी (Lack of Physical Activity and Mobility)
- विटामिन डी के अब्सॉर्प्शन के लिए धुप में न बैठना (Too little Time in the Sun to Absorb Vitamin D)
- सेक्स और ग्रोथ हॉर्मोन डिर्सप्शन (Sex or growth Hormone Disruptions)
- इंफ्लेमेटरी कंडीशन का बढ़ना (Increase in Inflammatory Conditions)
- पैथोलॉजिक फ्रैक्चर की फैमिली हिस्ट्री होना (History of Pathologic Fractures in Family)
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इसका निदान कैसे संभव है? (Diagnosis of Pathologic Fracture)
आपके डॉक्टर इस समस्या के निदान के लिए सबसे पहले रोगी की शारीरिक जांच करेंगे। वे आपको टूटी हुई हड्डी की पहचान करने में मदद करने के लिए कुछ खास मूवमेंट्स को करने के लिए भी कह सकते हैं। पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) के निदान के लिए कुछ टेस्ट कराने के लिए भी कहा जा सकता हैं, जैसे:
- एक्स-रे (Ex-Ray) : एक्स-रे से डॉक्टर को आपने फ्रैक्चर के बारे में भी पूरी सही जानकारी मिलेगी कि फ्रैक्चर कहां और कैसा हैं।
- मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging), सीटी स्कैन (CT Scans) या न्यूक्लियर बोन स्कैन (Nuclear Bone Scans) से भी टूटी हुई हड्डी की स्क्रीनिंग में मदद मिल सकती हैं।
यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि टूटी हुई हड्डी का कारण क्या है, तो आपके डॉक्टर अंडरलायिंग कंडीशन की जांच के लिए अन्य टेस्ट का आदेश देंगे। यह अंत टेस्ट इस प्रकार हो सकते हैं:
- लैब टेस्ट जिसमें कैल्शियम लेवल्स (Calcium Levels), ब्लड काउंट्स (Blood Counts) या दोनों शामिल हैं।
- ट्यूमर, इंफेक्शन या दोनों के निदान के लिए बायोप्सी (Biopsy)
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पैथोलॉजिक फ्रैक्चर का उपचार (Treatments for Pathologic Fractures)
बोन डैमेज को रिवर्स नहीं किया जा सकता है। लेकिन, आप हड्डियों में होने वाले नुकसान को धीमा या कम कर सकते हैं। अपने डॉक्टर को अपनी समस्या के लक्षणों के बारे में बताएं और यह भी बताएं कि इनका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। आपकी स्थिति की गंभीरता को जानने के बाद डॉक्टर आपको ट्रीटमेंट प्लान के बारे में बता सकते हैं। इस ट्रीटमेंट का लक्ष्य दर्द से राहत पाना, न्यूरोलॉजिकल डेफिसिट्स का रिवर्सल या स्टेबलायजेशन (Reversal or Stabilization of Neurological Deficits )और रीढ़ की हड्डी का स्थिरीकरण शामिल हैं।
- इस फ्रैक्चर के लिए सर्जरी की सलाह को नजरअंदाज करना जरूरी है खासतौर पर अगर आपको हड्डियां भंगुर यानी नाजुक हैं। इसकी जगह डॉक्टर इन तरीकों की सलाह दे सकते हैं।
- आराम पाने के लिए दर्द दूर करने वाली दवाइयां।
- जब तक पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता फिजिकल एक्टिविटी कम करना।
- स्टेबिल्टी औरप्रभावित क्षेत्र से प्रेशर को हटाने के लिए बैक या लेग ब्रेस (Back or Leg Brace) का प्रयोग।
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पैथोलॉजिक फ्रैक्चर का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? (Impact of Pathologic Fractures on Health)
पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) के कारण आपको स्थायी नुकसान भी हो सकता है। लेकिन, आप इन तरीकों को अपनाकर इसके नुकसान को कम कर सकते हैं:
- अधिक वजन वाली चीजों को खुद उठाने की जगह दूसरों की मदद लेना।
- ड्यूरेबल बोन इम्प्लांट्स (Durable Bone Implants) का प्रयोग करना, ताकि आपके शरीर के प्रभावित एरिया पर अधिक वजन न पड़े।
- इस फ्रैक्चर के उपचार के लिए आपको केस्ट या स्पलिंट (Cast or Splint) का प्रयोग कर सकते हैं। कई बार आपको अपनी हड्डी को सही स्थान पर रखने के लिए प्लेट्स,पिंस या स्क्रूस का प्रयोग भी किया जाता है। आपको कुछ समय तक आराम और कुछ खास गतिविधियां न करने के लिए भी कहा जा सकता हैं है ताकि फ्रैक्चर की जगह पर स्ट्रेस न पड़े।
अगर फ्रैक्चर पैथोलॉजिकल है तो आपके डॉक्टर हड्डी के टूटने के अंडरलायिंग कारण का भी इलाज करेंगे, ताकि इस समस्या को फिर से होने से रोकने में मदद मिल सके। पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) का उपचार हड्डी के कमजोर होने के कारण पर निर्भर करता है। इस फ्रैक्चर के कुछ कारणों से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं लेकिन उससे हड्डियों के जल्दी ठीक होने की क्षमता प्रभावित नहीं होती हैं। दूसरी ओर, पैथोलॉजिक फ्रैक्चर के कुछ कारण हड्डी के सामान्य उपचार को रोक सकते हैं। इसलिए कुछ पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) होने पर सामान्य उपचार किया जाता हैं जबकि कुछ को खास देखभाल की जरूरत होती हैं।
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क्या इस फ्रैक्चर से बचा जा सकता है? (Pathologic Fracture Prevention)
हमेशा पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) से बचा नहीं जा सकता है। अगर आपको कोई ऐसी समस्या है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, तो डॉक्टर की सलाह लें ताकि आप उन तरीकों के बारे में जान सकें, जिनसे इस फ्रैक्चर के होने के जोखिम को कम किया जा सके। आपकी हेल्थ कंडीशंस के अनुसार पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) से बचने के लिए डॉक्टर आपको यह सलाह दे सकते हैं।
- रोजाना एक्सरसाइज करना ताकि आपकी मसल्स मजबूत हों और बोन हेल्थ सुधरे।
- पर्याप्त विटामिन डी और कैल्शियम लें।
- अंडरलायिंग कंडीशन की स्थिति में जल्दी उपचार शुरू कर दें।
- प्रोस्थेटिक्स (Prosthetics) या सहायक उपकरणों (Assistive Devices ) जैसे सपोर्टिव शूज, कैन या वॉकर का उपयोग करें।
- हाय इंटेंसिटी एक्टिविटीज से बचें।
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जब हड्डी टूटती है तो इससे प्रभावित व्यक्ति को मूव करने में समस्या होती है। पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) से होने वाली दर्द के कारण आप फिर से इसी स्थिति का शिकार न हों, इस बात को लेकर परेशान हो सकते हैं। लेकिन, सबसे जरूरी है एक्टिव रहना। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि एक्टिव रहने से आपकी कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को मेंटेन रखने में मदद मिलती है। पैथोलॉजिक फ्रैक्चर आपके स्वास्थ्य को दूसरी तरह से भी प्रभावित कर सकता है। अगर फ्रैक्चर का उपचार नहीं किया जाता है तो इससे सूजन, नील या दर्द भी हो सकती है।
कुछ मामलों में इस समस्या से स्केलेटल डिफॉर्मिटी (Skeletal Deformity) या आपके बैठने, उठने और सोने के तरीके में भी बदलाव आ सकता है। इस बीमारी के कारण होने वाला लगातार दर्द भी आपको परेशानी कर सकता है। इसके कारण आप वो काम भी नहीं कर पाते हैं जिन्हें करने में आपको अच्छा लगता था। अगर आप पैथोलॉजिक फ्रैक्चर (Pathologic Fracture) से बचना चाहते हैं तो सही और पौष्टिक भोजन खाएं, व्यायाम करें, तनाव से बचें और पर्याप्त नींद लें। इसके साथ ही उन अंडरलायिंग कंडीशंस में अपनी हड्डियों का खास ध्यान रखे और डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।