इथ्योसिस (Ichthyosis) का अर्थ है ‘फिश स्केल’। यह जेनेटिक त्वचा रोगों के एक ग्रुप का नाम है, जो सूखी, पपड़ीदार, त्वचा की मोटी परत का कारण बनता है। बच्चों में इथ्योसिस (Ichthyosis in kids) की वजह से बच्चे एक कोलोडियन परत में ढंके हुए पैदा होते हैं। यह त्वचा का एक टाइट, चमकदार कवर होता है, जो प्लास्टिक के कवर जैसा दिखता है। कोलोडियन त्वचा सेल्स की एक परत होती है, जो शिशु के गर्भाशय में बढ़ने के दौरान नहीं हटती है। त्वचा के कई महत्वपूर्ण कार्य हैं, जिसमें शारीरिक सुरक्षा भी शामिल है।
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बच्चों में इथ्योसिस का कारण (Cause of Ichthyosis in kids)
बच्चों में इथ्योसिस (Ichthyosis in kids) की वजह से उनके शरीर पर एक पॉलिथिन जैसी परत दिखती है, साथ ही यह उनके शरीर को हिलाने में परेशानी खड़ी कर सकती है। बच्चों की स्किन के ऊपर यह झिल्ली जैसी परत की जकड़न बच्चे के चेहरे के फीचर्स को भी प्रभावित कर सकती है और उसकी बॉडी मूवमेंट में रुकावट बन सकती है। बच्चों में इथ्योसिस की झिल्ली में कुछ हफ्तों बाद दरार दिखने लगती है और वह खुद-ब-खुद झड़ जाती है। जब तक झिल्ली साफ होती है उस दौरान आपके बच्चे को नियो नैटल यूनिट (neonatal unit) में देखभाल में रखने की जरूरत होती है। इस दौरान बच्चें को हाई आर्द्रता वाली जगह में रखा जाना चाहिए। ज्यादा आर्द्रता वातावरण झिल्ली को धीरे-धीरे गिरने में मदद करता है। झिल्ली अपने आप उतर जाती और इसे निकालने की जरूरत नहीं होती। झिल्ली झड़ने के दौरान हल्के पेट्रोलियम जैली वाले मॉइस्चराइजर को लगातार लगाने से शिशु को आरामदायक महसूस होता है।
बच्चों में इथ्योसिस के दौरान देखभाल (Precautions during Ichthyosis in kids)
झिल्ली के टूटने और छीलने से बैक्टीरिया और वायरस से इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या से जूझ रहे बच्चे की त्वचा में नमी की कमी हो सकती है। इस वजह से उन्हें डिहाईड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट में डिर्स्टबेंस और शरीर के तापमान में बदलाव जैसी समस्याओं का खतरा होता है। इन परेशानियों के लिए शिशु को बारीकी से देखने की जरूरत होती है। इथ्योसिस से ग्रसित शिशुओं में त्वचा के पुनर्निर्माण (Regeneration) के लिए अधिक कैलोरी की जरूरत होती है। बच्चों में इथ्योसिस होने की वजह से उन्हें अधिक कैलोरी या एक फीडिंग ट्यूब की जरूरत हो सकती है, जिससे उन्हें जरूरी कैलोरी मिल सके।
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बच्चों में इथ्योसिस के लक्षण (Symptoms of Ichthyosis in kids)
बच्चों में इथ्योसिस के लक्षणों में मोटी, पपड़ीदार, सूखी और फटी त्वचा शामिल हैं। अगर आपके बच्चे को इथ्योसिस है, तो जन्म के समय उनकी त्वचा सामान्य दिखाई दे सकती है लेकिन फिर धीरे-धीरे सूख जाती है और पपड़ीदार हो जाती है। लक्षण आमतौर पर पांच साल की उम्र तक दिखाई देते हैं।
- बच्चों में इथ्योसिस से शरीर के सभी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं, जिसमें चेहरा और स्कल भी शामिल हैं। हालांकि, हाथ और पैर में आने वाले फोल्ड आमतौर पर प्रभावित नहीं होते हैं। जबकि हथेलियों और तलवों में बहुत मोटी त्वचा दिखती है।
- अधिकांश बच्चों में इथ्योसिस बीमारी का हल्का रूप होता और उनके स्वास्थ्य पर इसकी वजह से कम असर होता है।
- कुछ बच्चे अपनी इस हालत से असहज या शर्मनाक महसूस करते हैं।
- दुर्लभ मामलों में यह बहुत गंभीर हो सकता है और पूरी त्वचा की सतह को प्रभावित कर सकता है या फफोले पैदा कर सकता है। इस मामले में बार-बार इंफेक्शन असुविधा और पसीने की समस्या हो सकती है।
इनहेरिटेड इथ्योसिस (माता-पिता से बच्चों में होने वाला) आमतौर पर जन्म के समय होता है या बचपन में विकसित होता है। एक जेनेटिक बीमारी के कारण इथ्योसिस इंफेक्शन नहीं होता और यह संक्रामक (Infection) नहीं है यानि की एक से दूसरे में नहीं फैलता है।
एक्वायर्ड इथ्योसिस वयस्कों में अधिक आम है और विभिन्न स्थितियों या दवाओं से ट्रिगर हो सकता है।
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बच्चों में इथ्योसिस के इलाज (Treatment for Ichthyosis in kids)
बच्चों में इथ्योसिस के इलाज के लिए दो मुख्य प्रकार की दवाओं का उपयोग किया जाता हैः
केराटोलिटिक्स (keratolytics)
केराटोलिटिक्स स्किन को ढीला करने और उसके झड़ने में भी मददगार हैं। केराटोलिटिक्स क्रीम में पाए जाते हैं, जो त्वचा को मॉइस्चराइज भी करते हैं। फायदों के साथ वे स्किन को परेशान भी कर सकते हैं, जिससे लाल निशान, चुभन, खुजली या असुविधा हो सकती है। इनमें से कोई भी लक्षण होने पर क्रीम की डोज को बदला जा सकता है।
केराटोलिटिक्स के उदाहरणों में शामिल हैं:
- लैक्टिक एसिड और सैलिसिलिक एसिड 1–5% क्रीम
- अमोनियम लैक्टेट
- हाइड्रोक्सी एसिड क्रीम (e.g. NeoStrata)
- यूरिया क्रीम (e.g. Urederm, Eulactol, Calmurid)
रेटिनॉइड (retinoids)
बच्चों में इथ्योसिस के गंभीर मामलों में दूसरे प्रकार की दवा, जिसे रेटिनॉइड भी कहा जाता है (जैसे कि नियोटिगासन)। रेटिनॉइड स्केल, लाल निशान और खुजली से छुटकारा पाने में मददगार हो सकती है। रेटिनोइड विटामिन ए से मिलता है।
विटामिन ए की हाई डोज लेने से आंखों, होंठ और नाक में ड्राइनेस की समस्या हो सकती है। अन्य दुष्प्रभावों में नाक बहना, सिरदर्द, मतली और उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं। अगर यह गर्भावस्था के दौरान लिया जाता है, तो विटामिन ए की अधिक मात्रा बर्थ डिफेक्ट का कारण बन सकता है।
रेटिनॉइड केवल त्वचा विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता हैं और नियमित जांच और ब्लड टेस्ट के साथ इसकी जांच की जा सकती है।
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बच्चों में इथ्योसिस (Ichthyosis in kids) की देखभाल कैसे करें
अगर आपके बच्चे को इथ्योसिस है, तो आपको उनकी त्वचा की देखभाल के लिए हर दिन समय देना पड़ सकता है।
- मॉइस्चराइजर त्वचा में सूखेपन की स्थिति में सुधार करने में मदद करता हैं। यह खोई हुई नमी को वापस लाता हैं। इसे नियमित रूप से लगाने की जरूरत होती है खासकर नहाने के बाद।
- उन साबुन को लगाना अवॉयड करें, जो त्वचा को और भी अधिक शुष्क कर सकते हैं। इसके बजाय सोप सब्सटिट्यूट का उपयोग कर सकते हैं जैसे कि तेल और बॉडी वॉश।
- अगर बार-बार इंफेक्शन (Infection) एक समस्या है, तो अपने बच्चे के नहाने वाले पानी में ब्लीच मिलाने से त्वचा पर बैक्टीरिया को कम करने और इंफेक्शन को रोकने में मदद मिल सकती है।
- स्कैल्प के लिए सैलिसिलिक एसिड या टार वाले शैंपू स्केलिंग को कम कर सकते हैं और खुजली से छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं। धोने के बाद स्कैल्प से स्केलिंग को हटाने के लिए बालों को ब्रश करें।
बच्चों में इथ्योसिस उनके और उनके परिवारों के लिए चिंताजनक हो सकता है। ऐसी स्थिति वाले बच्चे ज्यादातर लो सेल्फ-एस्टीम से पीड़ित हो सकते हैं।
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