बच्चों में दस्त लगने पर उनकी पॉटी का रंग, टेक्सचर और बदबू बदल जाते हैं। यह तीनों चीजे बच्चों के आहार पर निर्भर करती हैं की उसने क्या खाया था। बच्चे की पॉटी बड़ों के मुकाबले मुलायम होती है और कभी-कभी उसका अधिक मुलायम होना असामान्य नहीं होता है। लेकिन अगर वह अचानक से अधिक शिथिल या पानी जैसा होने लगे और अक्सर ज्यादा मात्रा में होने लगे तो यह डायरिया हो सकता है।
आज हम आपको इस लेख में बताएंगे की बच्चों में दस्त क्यों लगते हैं और इसके मुख्य कारणों कि कैसे पहचान करें। कारणों को पहचान कर आप बच्चे में डायरिया होने की आशंका को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही हम आपको बताएंगे की बच्चों में दस्त का घरेलू इलाज क्या है और इस स्थिति में उन्हें क्या खिलाना चाहिए।
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बच्चों में दस्त क्यों होते हैं?
बच्चों में दस्त की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की –
- पैरासाइट, वायरस या बैक्टीरिया के कारण हुआ कोई इंफेक्शन। बच्चे इस प्रकार के कीटाणुओं से अशुद्ध भोजन, पानी या किसी चीज के संपर्क में आने से ग्रसित हो सकते हैं। कई शिशुओं और बच्चों में डायरिया होने का कारण संक्रामक वायरस रोटावायरस होता है।
- खाने से एलर्जी या दवाओं से संवेदनशीलता
- फ्रूट जूस का अत्यधिक सेवन
- फूड पॉइजनिंग
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बच्चों में दस्त के मुख्य कारण
ज्यादातर मामलों में यह पाया गया है कि बच्चों में दस्त की समस्या का मुख्य कारण वायरस और बैक्टीरिया होते हैं। बच्चों में डायरिया के इलाज जितना महत्वपूर्ण उसके कारणों की पहचान करना होता है। क्योंकि कारणों को कम करने से भविष्य में इस स्थिति के उत्पन्न होने की आशंका कम कि जा सकती है। तो चलिए विस्तार से जानतें हैं बच्चों में दस्त के कारण के बारे में –
फ्रूट जूस के कारण बच्चों में दस्त – वैसे तो फलों के रस को सेहतमंद माना जाता है लेकिन कई बार बच्चों में इसके अंदर मौजूद फ्रुक्टोज की मात्रा उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है। प्राकृतिक रूप फलों, शहद, जूस में पाई जाने वाली मिठास बच्चों में डायरिया का कारण बन सकती है। बच्चों में बड़ों के मुकाबले चीनी को सहन करने की क्षमता कम होती है। अत्यधिक फ्रूट जूस पीने से बच्चों में धीरे-धीरे दस्त की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
खाने से एलर्जी के कारण बच्चों में दस्त – कम उम्र में फूड पॉइजनिंग होना एक सामान्य स्थिति होती है। लेकिन जब शिशु विभिन्न प्रकार के आहार खाने लगता है और उसमें यह समस्या होना आम हो जाता है तो यह डायरिया का रूप ले सकती है।
खाने से एलर्जी होने पर बच्चे के चेहरे और होंठ से लेकर पेट तक प्रभावित होता है। लंबे समय तक होने वाली फूड एलर्जी के कारण बच्चे को दस्त की शिकायत हो सकती है। इस स्थिति में उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
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पेट संबंधी रोग के कारण बच्चों में दस्त – पेट रोग अक्सर दस्त के जरिए पहचाने जा सकते हैं। इस स्थिति में नवजात को कई प्रकार कि समस्याएं हो सकती हैं जिसमें इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज भी शामिल है। इस रोग में बच्चे के पेट में सूजन पैदा होने लगती है जो पीड़ादायक हो सकती है। यदि इसका इलाज समय पर न करवाया जाए तो स्थिति गंभीर रोग का रूप ले सकती है। कुछ दवाओं और घरेलू उपचार कि मदद से इसका इलाज किया जा सकता है।
लू लगने के कारण बच्चों में दस्त – गर्मियों में बच्चों को डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। इसका सीधा उनके पाचन प्रणाली पर पड़ता है। इस मौसमी बदलाव के कारण लू लगने से बुखार, उल्टी या जी मचलने जैसे बीमारियां सामने आ सकती हैं। हालांकि, लू लगने का मुख्य लक्षण डायरिया को माना जाता है।
अगर आपके बच्चे को गर्मियों के मौसम में दस्त की समस्या हो रही है तो इसका कारण लू हो सकती है। शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखने के लिए बच्चे को नियमित रूप से तरल पदार्थ का सेवन करवाते रहें।
संक्रमण – बच्चों की सुरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) इतनी मजबूत नहीं होती है की वह कीटाणुओं से लड़ पाए। गंदिगी, खराब पानी और बासी खाने की वजह से बच्चों के पेट में कीटाणु होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके कारण बच्चों में फूड पॉइजनिंग और पेट में कीड़े हो सकते हैं।इन दोनों ही स्थितियों में बच्चे को दस्त होना एक सामान्य बात होती है। बैक्टीरिया, वायरस और कीटाणुओं के कारण होने वाला डायरिया आसानी से ठीक नहीं होता है।
दवाई से संवेदनशीलता के कारण बच्चों में दस्त – कई बार बच्चों को दवाई से एलर्जी हो सकती है। ऐसा कमजोर इम्यून सिस्टम वाले बच्चों में ज्यादा होता है। बच्चों को दवाओं के कारण होने वाली संवेदनशीलता के कारण डायरिया हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करें।
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बच्चों में दस्त: बच्चों में डायरिया के प्रकार
बच्चों में डायरिया केवल दो प्रकार के होते हैं। पहला कुछ समय के लिए होने वाला डायरिया यानि शार्ट टर्म (एक्यूट ) डायरिया और दूसरा लांग टर्म (क्रोनिक) डायरिया –
शार्ट टर्म डायरिया – यह आमतौर पर 1 से 2 दिनों के लिए रहता है और अपने आप चला जाता है। इसका मुख्य कारण खराब खाना या विषाक्त पदार्थों से संक्रमित पानी हो सकता है। इसके साथ ही बच्चा एक्यूट डायरिया से तब ग्रसित होता है जब वह किसी वायरस के संपर्क में आया हो।
लांग टर्म डायरिया – जो डायरिया कुछ हफ्तों तक रहता है उसे लंबे समय तक चलने वाला डायरिया कहा जाता है। इसके पीछे अन्य स्वास्थ्य स्थिति जैसे इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम हो सकता है या यह पेट के किसी रोग की वजह से भी उतपन्न हो सकता है।
क्रोनिक डायरिया का मुख्य कारण आमतौर पर अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन डिजीज या सेलिएक डिजीज होता है।
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बच्चों में दस्त: बच्चों में डायरिया का क्या प्रभाव पड़ता है?
बच्चों में दस्त के कारण पानी और खनिज पदार्थों की कमी होने लगती है। इसके कारण उनमें डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) होने का खतरा रहता है। बच्चे में डायरिया के कारण डिहाइड्रेशन बहुत तेजी से होता है।
दस्त के 1 या 2 दिन बाद से ही बच्चे में पानी की इतनी कमी हो जाती है की उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना पड़ सकता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में घबराने की कोई बात नहीं होती क्योंकि बच्चों में दस्त की समस्या को घर पर ही कई घरेलू उपायों की मदद से ठीक किया जा सकता है।
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बच्चों में दस्त के लक्षण
नवजात शिशु अक्सर नरम मल का त्याग करते हैं, ऐसे में यह हमेशा किसी चिंता का विषय नहीं होता है। हालांकि, यदि बच्चे का मल अचानक पानी भरा आने लगे या बच्चे को बुखार या जुकाम हो तो यह दस्त का संकेत हो सकता है। बच्चों और नवजात शिशु में दस्त के अन्य लक्षणों में शामिल हैं –
- ऐंठन
- उल्टी
- पेट में दर्द
- वजन कम होना
- सूजन या पेट फूलना
- भूख न लगना
- पेट खराब रहना
- मतली
- अचानक मल त्याग की स्थिति उतपन्न होना
- बुखार
- मल में खून आना
- शरीर के तरल पदार्थ में कमी आना (डिहाइड्रेशन)
- ठंड लगना
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बच्चों में दस्त: दस्त के कारण डिहाइड्रेशन
बच्चों और नवजात शिशुओं में डिहाइड्रेशन बेहद तेजी से फैलता है खासतौर से जब शरीर के तरल पदार्थ मल त्याग के जरिए कम होने लगते हैं। बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या गंभीर हो सकती है क्योंकि इसकी जटिलताएं बेहद खतरनाक होती हैं।
यदि डिहाइड्रेशन का इलाज समय रहते न करवाया जाए तो इसके कारण बच्चे को शॉक लग सकता है या उसके अंग खराब हो सकते हैं और वह कोमा में भी जा सकता है। ऐसे में तुरंत डिहाइड्रेशन के लक्षणों की पहचान कर के डॉक्टर से संपर्क करें –
- चिड़चिड़ापन
- मुंह या आंखें सुखना
- सुखी त्वचा
- आंखों या गालों का दबना
- थकान
- रोते समय आंसू न आना
इसके अलावा निम्न लक्षण गंभीर या तीव्र पानी की कमी का संकेत देते हैं –
- त्वचा को दबाने पर उसका वापिस सामान्य न होना
- 8 घंटों में एक बार भी बच्चे को पेशाब न आना
- तेज बुखार
- बच्चे का पूरा समय उदास रहना
- बेहोशी की हालत
- बच्चे के सिर के ऊपरी हिस्से का दबा हुआ दिखाई देना
इनमें से किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर तुरंत आपातकालीन कक्ष या अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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बच्चों में दस्त: कब और क्यों किया जा सकता है डायरिया का परीक्षण?
अगर स्थिति लंबे समय से चल रही है तो उसे क्रोनिक डायरिया कहा जाता है जिसके लिए डॉक्टर को मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक परीक्षण करने की आवश्यकता पड़ सकती है। क्रोनिक डायरिया सामान्य दस्त के मुकाबले अधिक गंभीर होता है और इसके कई विभिन्न प्रकार के कारण हो सकते हैं।
डायरिया का इलाज करने के लिए उसके कारण का पता होना बेहद जरूरी होता है। कई बार यह किसी संक्रमण के कारण होता है तो कुछ मामलों में आहार इसकी वजह होते हैं। ऐसे में डॉक्टर आप से आपके बच्चे की डाइट, खाने की हैबिट और दवाओं के बारे में पूछ सकते हैं।
क्रोनिक डायरिया के कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं –
- एलर्जी का पता लगाने के लिए एलर्जी टेस्ट
- किसी रोग के कारण होने वाले डायरिया के लिए ब्लड टेस्ट
- बैक्टीरिया या विषाक्त पदार्थ की जांच के लिए स्टूल कल्चर टेस्ट
इन टेस्ट के परिणामों के अनुसार आगे के टेस्ट या इलाज की प्रकिया को अंजाम दिया जाता है।
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बच्चों में दस्त रोकने के घरेलू उपाय
घरेलू उपचार बच्चों के लिए बिलकुल सेफ होते हैं और उनका कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता है। बच्चों में दस्त की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए निम्न घरेलू उपाय का इस्तेमाल करें –
बच्चों के दस्त रोकने का उपाय है केला
बच्चे दस्त के कारण भारी मात्रा में पोटैशियम खो देते हैं और इसकी पूर्ति करना महत्वपूर्ण होता है। केले में पोटैशियम, जिंक, आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए और मैग्नीशियम होता है। बच्चों में दस्त के कारण ऊर्जा की कमी होने लगती है जिसको पूरा करने के लिए केला एक बेहतरीन उपचार है।
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बच्चों में दस्त लगने पर अदरक दें
अदरक पाचन और बच्चों में दस्त की समस्या का एक बेहतरीन घरेलू उपाय है। घिसी हुई अदरक, थोड़ी सी दालचीनी, चुटकी भर हल्दी पाउडर और एक छोटा चम्मच शहद को एक साथ मिलाएं। दस्त से छुटकारा पाने के लिए बच्चे को दिन में 3 बार इसका देवन करवाएं।
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बच्चों न दस्त लगने पर सेब खिलाएं
सेब पेक्टिन से भरपूर होते हैं जो बच्चों में डायरिया की स्थिति को बेहतर करने में मदद करते हैं। बच्चों को सेब का सेवन करवाने के लिए उसे पानी में उबालें और उसका भरता बना लें। ऐसा करने से बच्चे के लिए उसे पचा पाना आसान हो जाता है। बच्चों को सेब खिलाने से न केवल दस्त की समस्या ठीक होगी बल्कि उसे पर्याप्त ऊर्जा भी प्राप्त होगी।
बच्चों में डायरिया का उपचार है बटरमिल्क
घर पर बनाया गया बटरमिल्क बैक्टीरिया और जर्म्स से लड़ने में प्रभावशाली होता है। यह पाचन तंत्र को आराम पहुंचाता है और स्वाद में भी अच्छा होता है। बटरमिल्क के बेहतर परिणामों के लिए उसमें नमक और काली मिर्च डाले और बच्चे को पिलाएं। ध्यान रहे की बटरमिल्क का सेवन 8 महीने से अधिक उम्र वाले बच्चे को ही करवाएं।
बच्चों में दस्त रोकने का घरेलू उपाय है लाल दाल
बच्चे डायरिया के दौरान कुछ भी खाना पसंद नहीं करते हैं। हालांकि, अपनी एनर्जी लेवल को बनाए रखने के लिए उसे आप लाल दाल खिला सकते हैं। लाल दाल प्रोटीन और एनर्जी से भरपूर होती हैं जो की बच्चे को स्वस्थ और पाचन को आसान बनाने में मदद करती हैं। बच्चों में दस्त होने पर लाल दाल के पानी पिलाएं। इसके लिए लाल दाल को कुछ देर उबाल लें। दाल के उबलने के बाद उसे ठंडा होने के लिए रख दें। अब पानी को दाल से अलग कर लें और बच्चे को धीरे-धीरे पिलाएं। स्वाद अनुसार नमक का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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बच्चों के दस्त रोकने का इलाज है नारियल पानी
नारियल पानी के अनगिनत स्वास्थ्य गुणों के अलावा यह बच्चों के दस्त रोकने का इलाज भी कर सकता है। अच्छे स्वाद के साथ-साथ नारियल पानी बच्चों में खोए फ्लूइड की कमी को भी पूरा करता है। बच्चों में दस्त होने पर दिन में 2 से 3 बार नारियल पानी देने की सलाह दी जाती है।
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गाजर है बच्चों में दस्त का घरेलू इलाज
बच्चों में दस्त लगने पर ऊर्जा की आवश्कयता होती है। इस स्थति में बच्चा कुछ भी ढंग से नहीं खा पाता है। गाजर ऊर्जा का एक बेहतर स्रोत है जिसे बच्चों को डायरिया में खाना चाहिए। दस्त के दौरान कच्ची गाजर को पचा पाना बच्चों के लिए मुश्किल हो सकता है इसलिए उन्हें गाजर का जूस बनाकर पीलैंज। अगर आपके बच्चे कि उम्र 1 वर्ष से ऊपर है तो गाजर का जूस उसके लिए सुरक्षित रहेगा।
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बच्चों में दस्त में स्टार्च युक्त आहार खिलाएं
अगर आपने शिशु को सॉलिड आहार खिलाना शुरू कर दिया है तो अब आप उसे डायरिया की स्थिति में आलू और चावल जैसे स्टार्च युक्त भोजन खिला सकते हैं। आलू स्टार्च से भरपूर होता है जो बच्चों में दस्त की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
आलू को उबालें और उसे पीस लें। इसके बाद उसमें थोड़ा सा नमक डालें। साथ ही गैस की समस्या को कम करने के लिए आप चाहें तो आलू को जीरा पाउडर में भून भी कर सकते हैं। बच्चे में डायरिया ठीक होने तक रोजाना उसे एक बार इसका सेवन जरूर करवाएं।
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नींबू है बच्चों में दस्त का घरेलू उपचार
नींबू हर भारतीय रसोई में पाया जाता है और यह बच्चों में दस्त लगने का एक बेहद प्रभावशाली घरेलू उपचार है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण पेट संबंधी रोग जैसे इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।
रोजाना दिन में 4 से 5 बार एक चम्मच नींबू पानी से बच्चे में डायरिया और अन्य पेट संबंधी समस्याओं को खत्म कर सकता है। नींबू से बच्चे के पेट को आराम पहुंचेगा और उसके शरीर पीएच बैलेंस फिर से संतुलित हो जाएगा।
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बच्चों में लूस मोशन का उपाय है पुदीना
पुदीना को आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है। इसके एंटी-बैक्टीरियल गुण पेट संबंधी संक्रमण को नष्ट करने में मदद करते हैं। बच्चों में दस्त की समस्या का मुख्य कारण पेट खराब होना होता है। इस स्थिति में व्यवस्कों को पुदीना खाने की सलाह दी जाती है।
बड़ों की ही तरह बच्चों में डायरिया के इलाज के लिए पुदीने का इस्तेमाल किया जाता है। एक छोटा चम्मच शहद और कुछ बूंद नींबू के रस को एक साथ मिलाएं। अब इसमें एक चम्मच पुदीने का रस डालें और बच्चे को दिन में 2 से 3 बार इसका सेवन करवाएं। इस मिश्रण को 2 साल की उम्र से कम वाले बच्चों को न दें।
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बच्चों में दस्त: बच्चों में डायरिया का इलाज है दही
घर पर बनाई गई फ्रेश दही की मदद से बच्चों में गुड बैक्टीरिया की कमी को पूरा किया जा सकता है। बच्चों में डायरिया होने पर इससे सबसे बेहतरीन घरेलू उपचार माना जाता है। दही की मदद से घर पर बनाई गई लस्सी और बटरमिल्क प्रोबियोटिक की तरह काम करते हैं। बच्चे को दिन में दो बार दही का सेवन करवाएं।
इसके अलावा आहार में पानी की मात्रा बढ़ाये ताकि डिहाइड्रेशन की समस्या न हो।हालांकि, की सभी घरेलू उपाय सुरक्षित होते हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट होता है। लेकिन किसी भी प्रकार के उपचार को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।
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बच्चों में दस्त: स्थिति अधिक गंभीर न होने दें
अगर आपके बच्चे में दस्त होने पर डिहाइड्रेशन के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत उसे डॉक्टर के पास लेकर जाएं –
- पेशाब कम आना (डायपर कम गीला होना)
- उधम मचाना या चिड़चिड़ा होना
- मुंह सुखना
- रोने पर आंसू न आना
- असामान्य थकान या सुस्ती
- बच्चे के सिर पर सॉफ्ट स्पॉट
- त्वचा का पहले की तरह लोचदार न होना (जब आप धीरे से चुटकी लेते हैं और उसे छोड़ते हैं तो लोच वापस नहीं आता है)
इसके साथ ही अगर आपके शिशु की उम्र 6 महीने से कम हैं और उसे दस्त जैसी समस्या है तो नीचे दिए गए लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपने पीडियाट्रिशन से संपर्क करें –
- 102 डिग्री या उससे अधिक बुखार
- पेट या उसके आसपास दर्द होना
- मल में खून या पस आना
- पॉटी का रंग बदलना जैसे काला, सफेद या लाल
- सुस्ती महसूस होना
- उल्टी आना
बच्चों में दस्त का रोकथाम
दस्त को हमेशा रोका नहीं जा सकता है। हालांकि, आप अपने बच्चे में डायरिया होने के खतरे को कम जरूर कर सकते हैं। इसके लिए आपको अच्छी स्वछता, आहार और लाइफस्टाइल की जरूरत पड़ेगी। अधिक जानकारी के लिए बच्चों के डॉक्टर (Pediatrician) से संपर्क करें।
ट्रैवलर डायरिया
अगर आप हाल ही में कही घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो ऐसे में आपको और आपके बच्चे को ट्रैवलर डायरिया होने का खतरा हो सकता है। ऐसे में अपने डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर आपको बताएंगे की आप किस तरह ट्रैवलर डायरिया से परहेज कर सकते हैं।
यहां कुछ ऐसी ही टिप्स हैं जिनकी मदद से आप डायरिया होने से खुद को बचा सकेंगे –
कहीं पर भी नल या टंकी के पानी का इस्तेमाल करने की बजाए पीने, खाना पकाने और दांत साफ करने के लिए बोतल के पानी का इस्तेमाल करें।
- सड़कों पर लगे ठेलों से न खाएं।
- बिना प्रेशराइज्ड किए गए दूध और उसके उत्पादों से परहेज करें।
- बच्चे के लिए घर से बना हुआ खाना पैक कर के ले जाएं।
- कच्ची सब्जियों और फलों को अच्छे से धोकर खाएं।
- सही तरिके से स्वच्छता का अभ्यास करें और बार-बार अपने बच्चे के हाथ धुलवाते रहें।
- हैंडसैनिटाइजर या वाइप्स हमेशा अपने साथ रखें।
- कच्चे या अधपक्के हुए मांस और मछली का सेवन न करें।
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बच्चों में दस्त: डायरिया के रोकथाम के लिए वैक्सीन
रोटावायरस के इलाज के लिए यू.एस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दो वैक्सीन को मंजूरी दे रखी है। रोटाटेक और रोटारिक्स, इन दोनों ही दवाओं को मुंह के जरिए बच्चे को दो से तीन बार खिलाना होता है। इस दवाई का सेवन बच्चे के जन्म के कुछ महीनों बाद करवाने की सलाह दी जाती है।
अपने शिशु की वैक्सीन की अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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