आज हम डिजिटल दौर में जी रहे हैं। डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे (Kids in digital world) अपने हिसाब से जीना पसंद करते हैं। लेकिन, अगर पेरेंट्स शुरू से ही कुछ बातों का ध्यान रखें, तो इससे बच्चों के साथ भविष्य में माता-पिता को भी आसानी होगी। बच्चों को भी प्राइवेसी की जरूरत होती है। लेकिन साथ ही माता-पिता को उनके ऑन स्क्रीन टाइम और इंटरनेट के इस्तेमाल पर नजर रखने की जरूरत होती है। डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल किसलिए कर रहे हैं माता-पिता को इसकी जानकारी होनी चाहिए। साथ ही अगर बच्चे इसका गलत या हद से ज्यादा इस्तेमाल करें, तो पेरेंट्स को बच्चों से बात करनी चाहिए।
डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे जब अपने हिसाब से इंटरनेट का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। लेकिन, माता-पिता कुछ जरूरी टिप्स (Parenting Children in the Age of Screens) को फॉलों करके अपने बच्चों के साथ इस डिजिटल दौर में ताल-मेल बिठा सकते हैं।
परिवार के लिए मीडिया के यूज को प्लान करें
आज के दौर में आप मीडिया के हर माध्यम को अपनी जरूरत के लिहाज से हैंडल कर सकते हैं और इसको अपने पेरेंटिंग स्टाइल के हिसाब से मैनेज भी कर सकते हैं। उदाहरण के लिए केबल टीवी हो या ओटीटी प्लेटफॉर्म आप इन पर बच्चों के लिहाज से रिस्ट्रिक्शन्स लगा सकते हैं। अगर डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल ठीक से किया जाए, तो मीडिया आपके परिवार को एक साथ लाने का काम भी कर सकता है। लेकिन अगर मीडिया का इस्तेमाल ठीक से ना किया जाए, तो यह कई महत्वपूर्ण गतिविधियों जैसे कि परिवार में आमने-सामने बातचीत, फैमिली-टाइम, आउटडोर-गेम, एक्सरसाइज और नींद को भी खराब कर सकता है।
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डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे के रिश्ते (Parenting Children in the Age of Screens)
डिजिटल वर्ल्ड में बच्चों के लिए उन्ही पेरेंटिंग नियमों को फॉलों करें, जो आप रियल लाइफ में कर सकते हैं। बच्चों के लिए सीमाएं तय करें बच्चों को उनकी जरूरत होती है। अपने बच्चों के ऑनलाइन और ऑफलाइन दोस्तों को जानें। आपका ये जानना जरूरी है कि आपके बच्चे कौन से प्लेटफॉर्म, सॉफ्टवेयर और ऐप का उपयोग कर रहे हैं। वे किन साइटों पर सर्फ कर रहे हैं और वे ऑनलाइन क्या सर्च कर रहे हैं।
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डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे (Kids in Digital world) के लिए करें सीमा निर्धारित
बाकी सभी एक्टिविटीज की तरह ही बच्चों के लिए मीडिया के इस्तेमाल की सही सीमा होनी चाहिए। डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे का ऑफलाइन खेलना यानि की घर के बाहर खेलना उनकी क्रिएटिविटी को बढ़ाता है। ऑफलाइन प्लेटाइम के लिए बच्चों को हर रोज मोटिवेट करें खासकर कम उम्र के बच्चों को।
डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे के साथ स्क्रीन टाइम
स्क्रीन टाइम हमेशा अकेले का समय नहीं होना चाहिए। जब आपके बच्चे इंटरनेट की स्क्रीन का उपयोग कर रहे होते हैं, तो को-व्यू, को-प्ले और अपने बच्चों के साथ सही-जुड़ाव के लिए उन्हे प्रेरित करें। अपने बच्चों के साथ वीडियो गेम खेलें। यह बच्चे के अंदर स्पोर्टमेनशिप और गेमिंग एटिकेट डालने का एक अच्छा तरीका है। उनके साथ कोई शो देखें और यह देखते हुए अपने जीवन के अनुभवों को उनसे शेयर करें। ऐसा करना उन्हें आपके और करीब ले जाएगा। बस उन्हें ऑनलाइन मॉनिटर न करें, उनके साथ बातचीत करें, ताकि आप समझ सकें कि वे क्या कर रहे हैं और आप इसका हिस्सा कैसे बन सकते हैं।
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बच्चे के लिए बनें रोल मॉडल
बच्चों के अंदर दयालुता का भाव और अच्छे शिष्टाचार डालें। बच्चे अपने माता-पिता को फॉलों करते हैं इसलिए उनके सामने आप खुद डिजिटल चीजों का इस्तेमाल कम करें। अगर आप स्क्रीन टाइम के दौरान भी अपने बच्चों से बातचीत करते हैं और उनको सुनते हैं तो वो खुद को स्पेशल फील करेंगें। उनके साथ आपका फ्रेंडली व्यवहार करना और उनके साथ आपका जुड़ाव उन्हें आपके और करीब लेकर आता है।
फेस-टू-फेस कम्यूनिकेशन (Face to face communication) भी है जरूरी
छोटे बच्चे सामने से बात करने पर चीजों को ज्यादा जल्दी समझते हैं। घर में रहने पर बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा सामने से बात करने की कोशिश करें। दूर रहने पर बच्चों के साथ इंटरनेट के माध्यम से बात करना दूसरा विकल्प है। शोध से पता चलता है कि ऑफलाइन यानि की सामने से बात करने पर बच्चा लैग्वेज स्किल सिखता है और एक अच्छा श्रोता बनता है। इसके अलावा जब बच्चा ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताता है, तो ऐसे कम्यूनिकेशन को वन-वे इंटरेक्शन कहा जाता है। बच्चों से टू-वे यानि की सवाल-जवाब की तरह बात करें, जिससे उसके अंदर कॉन्फिडेंस बना रहे।
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सोशल मीडिया (Social media) पर भी रखें नजर
वीडियो चैटिंग के अलावा 18 से 24 महीने से छोटे बच्चों के लिए डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल कम करें। प्रीस्कूल जान वाले बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम कम करें और केवल अच्छे शो को एक से दो घंटे देखने दें। अगर संभव हो, तो अपने छोटे बच्चों के साथ बैठकर स्क्रीन शेयर करें। बच्चे चीजों को अच्छे से तब सीखते हैं, जब उन्हें स्क्रीन पर देखी हुई चीजों को दोबारा सामने से पढ़ाया और समझाया जाता है।
डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे (Kids in digital world) के लिए टेक-फ्री जोन बनाएं
अपने घर की उन जगहों को स्क्रीन फ्री रखें, जहां आपका परिवार एक साथ बैठता है। जैसे कि डाइनिंग एरिया, पारिवारिक पार्टी और बच्चों का बेडरूम। डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे टीवी और इंटरनेट जैसी चीजों से बहुत जुड़े रहते हैं। अगर आप टीवी नहीं देख रहे हैं, तो उसे बंद करें क्योंकि परिवार के साथ बैठने में पीछे से चल रहे टीवी का शोर आपका ध्यान भटका सकता है। बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल का एक रुटिन बनाएं, जिससे आप ज्यादा से ज्यादा फैमिली टाइम बिता सकें। ये बदलाव आपको अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने, हेल्दी इटिंग हैबिट और अच्छी नींद में मदद करते हैं।
बच्चे की गलतियों पर दें ध्यान
याद रखें की मीडिया के अधिक एक्सपोजर की वजह से बच्चों से कई बार गलतियां हो जाती हैं। उनकी गलतियों पर उनको डांटने से बेहतर है उनकी गलतियों को संभालने की कोशिश करें। लेकिन अंजाने में हुई गलतियां जैसे कि सेक्सटिंग, किसी को धमकाना या खुद को नुकसान पहुंचाने वाली तस्वीरें पोस्ट करना आपके लिए एक वॉर्निंग है कि आगे बड़ी गलती हो सकती है, जिससे आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। डिजिटल वर्ल्ड में माता-पिता को बच्चे के व्यवहार को सावधानी से नजर में रखना चाहिए और अगर जरूरी हो, तो परिवार के डॉक्टर से इसके बारे में सलाह लेनी चाहिए।
मीडिया और डिजिटल इंस्ट्रूमेंट आज हमारे जीवन का महत्तवपूर्ण हिस्सा हैं। इसके अपने फायदे भी हैं। अगर आप इसे ठीक से इस्तेमाल करते हैं, तो यह बहुत फायदेमंद भी साबित हो सकता है। लेकिन, बहुत से शोध से पता चला है कि परिवार, दोस्तों और शिक्षकों के साथ फेस-टू-फेस कम्यूनिकेशन बच्चों को चीजों को सीखने और उनके विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमेशा कोशिश करें कि अपने बच्चों से सामने से बात करें ताकि इस डिजिटल वर्ल्ड में बच्चे परिवार के महत्व को समझ सकें।
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