गर्भावस्था के दौरान दिन भर थका हुआ और सुस्त महसूस करना सामान्य है। इन नौ महीनों के दौरान एक समय ऐसा भी होता है जब रात भर नींद न आने की शिकायत हो जाती है, जिसे प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया होना कहते हैं। ऐसे में गर्भवती महिला के लिए समस्या बढ़ जाती है। अच्छी नींद आना अच्छी सेहत का एक संकेत होता है और गर्भावस्था के दौरान यह और भी अधिक आवश्यक हो जाता है। डॉक्टर यह सलाह देते हैं कि गर्भवती महिला को हर रात कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए।
दैनिक भास्कर समूह से बातचीत में डॉ. रीता बख्शी, चेयरपर्सन, इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर, नई दिल्ली कहती हैं कि, “पहली तिमाही के दौरान प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन का स्तर अधिक होता है। इससे दिन के दौरान नींद और झपकी आ सकती है। इस दौरान न सिर्फ नींद की गुणवत्ता बल्कि नींद कम आने की समस्या भी होती है और तीनों तिमाही के दौरान नींद का पैटर्न अमतौर पर बदलता रहता है जिसके चलते गर्भवती महिलाएं सोने-जागने के साइकल को मेंटेन करने के लिए बहुत स्ट्रगल करती हैं।
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प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया
यदि गर्भावस्था के दौरान इंसोम्निया की समस्या हो जाए तो विभिन्न हॉर्मोनल और शारीरिक बदलावों के कारण गर्भवती महिला की नींद बहुत प्रभावित होती है। गर्भावस्था के दौरान नींद का पैटर्न बदलता रहता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान आप इन लक्षणों तथा परेशानियों को महसूस कर सकती हैं:
- गर्भावस्था के दौरान इमोशनल तथा फिजिकल तनाव की वजह से नींद में कमी।
- प्रोजेस्ट्रॉन लेवल के बढ़ने से बार-बार पेशाब महसूस करना।
- गर्भ में विकसित हो रहे भ्रूण के कारण होने वाली सामान्य बेचैनी और दर्द।
- थकान और वजन बढ़ जाने के कारण पैरों में ऐंठन व खिंचाव।
- कब्ज, एसिडिटी और रात में सोते वक्त छाती में जलन की शिकायत हो सकती है।
- ब्लड सर्क्युलेशन बढ़ने के कारण नाक बंद होना
- पैरों में झुनझुनी को लगातार महसूस करना। जिसकी वजह से रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का होना जिससे पैरों को हिलाते रहने का मन करता है।
- खर्राटे लेना और स्लीप एपनिया होना।
- बढ़ती चिंता के कारण अनिद्रा।
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प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया होने पर किन घरेलू उपाय से मिलेगी राहत?
शुरुआती गर्भावस्था के दौरान इंसोम्निया आमतौर पर हॉर्मोनल परिवर्तन जैसे कारकों की वजह से होता है। कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अनिद्रा का अनुभव होता है। स्वच्छता, विश्राम तकनीक और कॉग्निटिव बिहैवियरल थेरिपी इस समस्या में मदद कर सकती है।
नींद की गुणवत्ता ठीक न रहने पर भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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1. मेडिटेशन प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया से राहत प्रदान करेगा
मेडिटेशन के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह अच्छी नींद को बढ़ावा देने के साथ ही हेल्दी लिविंग में सपोर्ट करते हैं। यह प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया होने पर तनाव को कम करने, एकाग्रता में सुधार और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में भी सहायक होता है। जिससे अच्छी नींद आती है।
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2. प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया होने पर डायटरी सप्लिमेंट्स का सेवन करें
प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया में डायटरी सप्लिमेंट्स राहत प्रदान करते हैं, लेकिन गर्भवती महिला को इस दौरान डॉक्टर से बात किए बिना डायटरी सप्लिमेंट्स का उपयोग नहीं करना चाहिए। हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया होने पर नींद पूरी करने में हर्बल और डायटरी सप्लिमेंट्स मदद कर सकते हैं। अनिद्रा में स्वाभाविक रूप से होने वाले हॉर्मोन मेलाटोनिन की खुराक भी मदद कर सकती है। शोध से पता चलता है कि मेलाटोनिन शिशु में स्वस्थ मस्तिष्क के विकास में भूमिका निभाता है। जिन गर्भवती महिलाओं में आरएलएस होती है उनमें आयरन और फोलिक एसिड की कमी हो सकती है।
3. फिजिकल एक्टिविटी प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया में राहत देने में सहायक
प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ने के कारण गर्भावस्था में शारीरिक कामों को करने के लिए खुद को सक्रिय रखना मुश्किल हो जाता है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान व्यायाम या फिजिकल एक्टिविटी करने के कई फायदे हैं। इसमें शामिल हैं।
- जेस्टेशनल डायबिटीज के जोखिम को कम करता है।
- पीठ दर्द में राहत।
- दिल की सेहत में सुधार।
- प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया में मददगार।
गर्भावस्था के दौरान कोई भी व्यायाम डॉक्टर की सलाह लेकर ही करना चाहिए।
2016 के पाकिस्तान जर्नल ऑफ मेडिकल साइंसेज के एक अध्ययन में सोने के कम से कम 4 से 6 घंटे पहले 30 मिनट हल्के व्यायाम का सुझाव दिया गया है। कुछ स्थितियां गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करना असुरक्षित बना सकती हैं। इसलिए किसी नए वर्कआउट रूटीन को शुरू करने से पहले लोगों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
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4. मेलाटोनिन का उपयोग प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया में राहत देता है
प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया होने पर मेलाटोनिन मददगार हो सकता है। मेलाटोनिन जल्दी सोने और नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। 2016 के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि कैंसर और इंसोम्निया (प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया) से पीड़ित लोगों की नींद में सुधार करने में सहायक होता है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि सोने से दो घंटे पहले एक से पांच मिलीग्राम लेना चाहिए। आपको कम प्रभावी खुराक का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि हाई डोज के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
जैसे :
- डिप्रेशन
- चक्कर आना
- सिर दर्द
- चिड़चिड़ापन
- पेट में ऐंठन
- रात को नींद न आना
प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया होने पर मेलाटोनिन को आमतौर पर कम समय के लिए उपयोग करना पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है लेकिन गर्भावस्था के दौरान कोई भी काम डॉक्टर की सलाह के बगैर न करें।
5. प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया से लड़ने में मददगार है मैग्नीशियम
मैग्नीशियम प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज है। यह मांसपेशियों को आराम और तनाव दूर करने में मदद करता है। यह नींद पैटर्न को बरकरार रखता है।
एक अध्ययन में रेस्पॉन्डर प्रतिभागियों ने बताया कि 2 महीने के लिए रोजाना 500 मिलीग्राम मैग्नीशियम लिया गया। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिभागियों ने अनिद्रा के लक्षणों को कम किया। पुरुष प्रतिदिन 400 मिलीग्राम तक ले सकते हैं और महिलाएं रोजाना 300 मिलीग्राम तक ले सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान इसे उपयोग करने से पहले डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।
यदि आप प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया या अनिद्रा की समस्या से पीड़ित हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें। गर्भावस्था के दौरान नींद गर्भवती महिला के लिए बहुत आवश्यक होती है। हम उम्मीद करते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया पर लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। प्रेग्नेंसी के दौरान इंसोम्निया होने पर परेशान न हो यह बीमारी गर्भावस्था के बाद ठीक हो जाएगी। अगर आपको बिलकुल भी नींद नहीं आ रही है तो डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।
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