आयुर्वेद संपूर्ण विज्ञान है। आयुर्वेद दो शब्दों से मिलाकर बना है। आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो यह आयुष का अर्थ जीवन है और वेद का अर्थ विज्ञान। यही वजह है कि इसको जीवन का विज्ञान कहा जाता है। इसके अनुसार मानव का शरीर चार तत्वों को मिलाकर बना है। दोष, अग्नि, मल और धातु, ऐसे में इसे मूल सिद्धांत और आयुर्वेदिक उपचार के बुनियादी सिद्धांत भी कहा जाता है।
दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से बीएएमएस कर चुकी व वर्तमान में जमशेदपुर के साकची में पतंजलि चिकित्सालय में सेवा दे रही वैद्य रत्नावली पाठक बताती हैं कि, ‘‘कम शब्दों में आयुर्वेद को बता पाना काफी मुश्किल है। यह स्वस्थ रूप से जीवन जीने का सिद्धांत है। चाहे व्यक्ति किसी भी उम्र का क्यों ना हो स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेदिक पद्दिति का सहारा ले सकता है। आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो इससे रोग मुक्ति संभव है। वैद्यों के द्वारा चिकित्सा लेकर, औषधियों का सेवन कर रोगमुक्त जिंदगी जी सकते हैं। यदि सही जानकारी हो तो आयुर्वेदिक पद्दिति के अनुसार औषधियों की मदद से घर पर ही दवा तैयार की जा सकती है।’‘
ऐलोपैथी की तुलना में न के बराबर है साइड इफेक्ट्स
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दिति को देवी व देवताओं की चिकित्सा पद्दिति भी कहा जाता है। ऋषि मुनि के समय से इस पद्दिति के द्वारा इलाज किया जाता रहा है। वैद्य रत्नावली पाठक बताती हैं कि, आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो ऐलोपैथी की तुलना में आयुर्वेदिक पद्दिति में दवाओं के साइड इफेक्ट बेहद कम है या कहें कि न के बराबर है। कुछ ऐसी रस औषधियां हैं जिससे व्यक्ति को तुरंत लाभ मिल सकता है। यह रस औषधियां पारद और गंधक से तैयार की जाती है, जिसका पैरालाइसिस, क्रॉनिक डिजीज, कैंसर, हार्ट संबंधी बीमारी के साथ अर्थराइटिस की बीमारी में इसका इलाज किया जाता है। यह भी आयुर्वेद के लाभ हैं। वहीं कई ऐसी बीमारियां भी हैं जिनका इलाज दीर्घकालीन दवा देकर किया जाता है। उनमें मरीज को लंबे समय तक दवा का सेवन करना पड़ता है। कोई साइड इफेक्ट न हो इसके लिए हम कई बार दवा को बीच में बंद करके चलाते हैं। यह आयुर्वेद के लाभ में से एक है।
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इनको माना गया है आयुर्वेद का जनक
जमशेदपुर के साकची में पतंजलि चिकित्सालय में सेवा दे रही वैद्य रत्नावली पाठक बताती हैं कि आयुर्वेद के आचार्यों में अश्विनीकुमार, धन्वंतरि, दिवोदास (काशिराज), नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त, अत्रि और उनके छह शिष्य (अग्निवेश, भेड़, जातूकर्ण, पराशर, सीरपाणि हारीत), सुश्रुत और चरक को माना जाता है। इन्होंने आयुर्वेद पद्दिति को विकसित किया है, जिसका लाभ हम सभी उठा रहे हैं।
वैद्य रत्नावली पाठक बताती हैं कि आयुर्वेदिक पद्दिति में सामान्य बीएएमएस की पढ़ाई करने के बाद यदि कोई चाहे तो बाल रोग, या फिर गायनेकोलॉजिस्ट में एमडी कर सकता है। इसके बाद वह उन विषयों का एक्सपर्ट हो जाता है और उस क्षेत्र से संबंधित रोगियों की जांच कर सकता है। उदाहरण के तौर पर बाल रोग का ही अलग डिपार्टमेंट है। जन्म के तुरंत बाद से लेकर 10-12 साल के बच्चों का इलाज करने के लिए बाल्य रोग एक्सपर्ट की मदद ली जा सकती है। आयुर्वेद का लाभ उठाना चाहते हैं तो हमें बीमारी के स्पेशलिस्ट से संपर्क करना होगा, तभी उचित व सही परामर्श मिल सकता है।
सही जानकारी व एक्सपर्ट की मदद से खुद तैयार कर सकते हैं दवा
वैद्य रत्नावली के अनुसार आयुर्वेदिक दवा को तैयार करना काफी आसान है। आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो एक्सपर्ट की राय व सही औषधी यदि मिल जाए तो दवा को तैयार करना आसान है। खासतौर से लॉकडाउन के समय में यदि किसी को सर्दी, खांसी या कोई अन्य बीमारी हो गई तो इसका इलाज वह आसानी से कर सकता है। उदाहरण के तौर पर घास को ही ले लें, पारीजात फूल का इस्तेमाल तुरंत निकालकर किया जा सकता है। यदि दवा की दुकान न भी खुली हो तो इसका इस्तेमाल खुद से किया जा सकता है, यह उतनी ही इफेक्टिव होगी जितनी की दवा। दर्द, सर्दी, खांसी, पेट दर्द होने पर अक्सर हम अज्वाइन व हींग पाउडर मिलाकर खाते हैं। यह काफी इफेक्टिव होता है। यह भी आयुर्वेद के लाभ में से एक है।
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आयुर्वेदिक दवा का असर
आयुर्वेदिक दवा का असर ऐलोपैथिक दवा की तुलना में देर से होता है। उदाहरण के तौर पर हम अर्थराइटिस को ही ले लें, इस बीमारी में यदि ऐलोपैथी पेन किलर का सेवन करेंगे तो तुरंत रिलीफ मिलेगा। वहीं यदि पेन किलर नहीं खाएंगे तो फिर उसी तेजी से दर्द होगा, लेकिन आयुर्वेदिक दवा में यदि इसका सेवन करेंगे तो दो से तीन दिन में असर दिखना शुरू होगा। अर्थराइटिस की बीमारी के लिए ही यदि दवा खा रहे हैं और एक दो डोज आयुर्वेद दवा का सेवन न भी किया या किसी कारणवश छूट गया तो ऐसा नहीं है कि जोड़ों को दर्द बढ़ेगा। वहीं कई केस में देखा गया है कि दवा का पूरा कोर्स करने में बीमारी पूरी तरह से ठीक होती है। यह आयुर्वेद का सबसे बड़ा लाभ है।
डॉ पाठक बताती हैं कि ऐसे मरीज जिनकी स्थिति ठीक नहीं है या जो कैजुएलिटी में हमारे पास पहुंचते हैं तो उन मरीजों को हम ऐलोपैथी ट्रीटमेंट लेने की सलाह देते हैं।
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आयुर्वेद के उपचार के बुनियादी सिद्धांतों पर नजर
जैसा कि पहले हमने जाना कि अग्नि, मल, धातु, दोष इन तत्वों से शरीर बना है। ऐसे में हर एक तत्व की अपनी विशेषता है, उसको ध्यान में रखकर ही इलाज किया जाता है। दोष की बात करें तो इसमें वात, पित्त, कफ आता है। जो शरीर के डायजेशन सिस्टम को नियंत्रण में रखता है। इन तीनों का मकसद शरीर में पचे हुए खाद्य पदार्थ को शरीर से बाहर निकालना है। वहीं यदि इन तीनों में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी आती है तो व्यक्ति बीमार पड़ता है। दूसरा व सबसे अहम तत्व धातु होता है। यह दिमाग के विकास व उसके विकसित होने में मदद करता है। वहीं शरीर को कई अहम पोषक तत्व भी देता है। धातु में प्लाज्मा, वीर्य, बोन मैरो, हड्डी, एडिपोस टिशू, खून, प्लाज्मा यह सात टिशू होते हैं। यदि इसमें किसी प्रकार की कोई खराबी या असमानता आए तो व्यक्ति बीमार पड़ सकता है।
तीसरा मल आता है। मल शरीर की गंदगी है, जिसे शरीर खुद ब खुद ही निकाल देता है। इसके तीन प्रकार होते हैं, इनमें मल, मूत्र और पसीना आता है। यदि इससे संबंधित कोई दिक्कत होती है तो व्यक्ति बीमार पड़ सकता है। चौथा व सबसे अहम अग्नि है। इसके महत्तव की बात करें तो अग्नि की मदद से ही शरीर के अंदर जा रहे खाद्य पदार्थ को पचाया जाता है। अग्नि को आहार नली, लिवर और टिशू सेल्स के अंदर मौजूद एंजाइम को कहा जा सकता है। आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो इन तत्वों की जानकारी अहम होती है।
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पांच तत्वों से मिलकर बना है शरीर
आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो आयुर्वेद में इस बात को साफ तौर पर बताया है कि मानव के शरीर के साथ पूरे ब्रह्मांड की सभी वस्तुएं पांच तत्वों से मिलकर बनी है। आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। जीने के लिए और शरीर के विकास के लिए भोजन पर निर्भर करते हैं। वहीं आयुर्वेद के तहत इलाज करने के लिए चिकित्सक शारीरिक विशेषता को जानने के साथ मानसिक स्वभाव की भी जानकारी लेता है, उसे लिखता है। वहीं उसकी लाइफस्टाइल, आदत, पाचन शक्ति, सामाजिक व आर्थिक स्थिति जैसी तमाम जरूरी चीजों को जानने के बाद चाहे तो कुछ परीक्षण जैसे नाड़ी परीक्षण, मूत्र परीक्षण, मल परीक्षण, जीभ व आंखों की जांच, सुनने व त्वचा के साथ कान की जांच के बाद ही उपचार की बात बताता है।
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आयुर्वेदिक जड़ी बुटियां व मसाले
आयुर्वेदिक जड़ी बुटियां व मसाले व दवा हमें बीमारियों से बचाती हैं। वहीं इनका सेवन करने से जहां पाचन शक्ति मजबूत होती है वहीं मानसिक रूप से भी व्यक्ति स्वस्थ रहता है। जड़ी बुटियों में अश्वगंधा की जड़ व फल काफी फायदेमंद हैं। तनाव निवारण में इसकी मदद ली जाती है। वहीं गुस्सा कम करने में भी यह कारगर है। कई शोध यह भी बताते हैं कि महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाने के साथ यह मेमोरी बढ़ाने के साथ मसल्स की ताकत बढ़ाते हैं व लोअर ब्लड शुगर लेवर को सामान्य करने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो बोसेवेलिया (boswellia) काफी फायदेमंद है, यह दर्द मिटाने के साथ ऑस्टिओऑर्थेराइटिस, रूमेटाइड आर्थेराइटिस के साथ ओरल हेल्थ में जिंजिवाइट्स में मुंह के किटाणुओं को भगाने में मदद करता है। वहीं क्रॉनिक अस्थमा के साथ अल्सरेटिव कोलाइटिस के मरीजों के लिए भी मददगार है। वहीं त्रिफला, ब्राम्ही, जीरा, हल्दी, लीओराइस रूट (Licorice root) मुलैठी का जड़, गोटूकोला (Gotu kola), बिटर मिलन, इलायची के भी अपने फायदे हैं और यह कई बीमारियों से लड़ने में मददगार है। आयुर्वेद का लाभ जानने के लिए इन तथ्यों को जानना बेहद ही जरूरी है।
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आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के फायदे
आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो इसके ट्रीटमेंट से सुंदर व हेल्दी त्वचा हासिल की जा सकती है। वजन कम करने के साथ ही इसे मेंटेन रखा जा सकता है। तनाव कम करने के साथ त्वचा को साफ रखा जा सकता है। वहीं इनसोमेनिया (insomnia) बीमारी से निजात पाई जा सकती है। आयुर्वेद के लाभ डायबिटीज से लड़ने के साथ हमारे ब्लड प्रेशर को सामान्य करने में मिलता है। वहीं आयुर्वेद का लाभ उठाने के लिए आयुर्वेदिक डायट भी फायदेमंद है। हजारों साल मेहनत कर आयुर्वेदिक डायट तैयार की गई है। जिसके बारे में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट बता सकते हैं।
आयुर्वेद के लाभ आयुर्वेद से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आपको पसंद आई होगी ऐसी हमें उम्मीद है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाॅक्टरी सलाह लें। ।
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