पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) वो स्थिति है, जिसके कारण क्रॉनिक पेल्विक पेन (Chronic Pelvic Pain) होता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा पेल्विक एरिया में मौजूद नसों की समस्या के कारण होता है। वेन्स यानी वो ब्लड वेसल्स जो खून को वापिस हार्ट तक ले जाती हैं। कुछ महिलाओं में लोअर एब्डॉमिन में मौजूद नसें अच्छे से काम करना बंद कर देती हैं। ऐसे में, खून नसों में ही बनना शुरू हो जाता है। जब ऐसा होता है तो पेल्विक में मौजूद नसें बड़ी हो जाती है या अपना आकार बदल सकती हैं। इसके कारण दर्द और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
यह समस्या अधिकतर उन महिलाओं में होती है जिनकी बच्चे को जन्म देने वाली उम्र होती है। जिन महिलाओं में एक से अधिक बच्चों को जन्म दिया होता है उनमें यह सामान्य है। पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) के दौरान होने वाली दर्द को क्रॉनिक पेल्विक पेन (Chronic Pelvic Pain) माना जाता है, जो 6 महीने या इससे भी अधिक समय तक रह सकती है। यह तो थी इस समस्या के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि क्या हैं इसके लक्षण?
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Pelvic Congestion Syndrome)
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) का मुख्य लक्षण है पेल्विक पेन, जो कम से कम 6 महीनों तक रहती है। यह दर्द अक्सर गर्भावस्था के दौरान या बाद में शुरू होती है। यह दर्द गंभीर भी हो सकती है और आमतौर पर यह एक ही तरफ होती है यानी बायीं तरफ। लेकिन, समय के साथ आप दोनों तरफ इसे महसूस कर सकते हैं। कुछ खास फैक्टर इस दर्द को बदतर बनाते हैं, जैसे:
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- पोस्चर में बदलाव (Change in Posture)
- सेक्स के दौरान या बाद में (Having sex)
- अधिक देर तक खड़े रहना (Standing for Long Time)
- चलना (Walking)
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कुछ महिलाएं इन लक्षणों को भी महसूस कर सकती हैं जैसे:
- पीरियड के बाद या दौरान दर्द (Pain During or after Periods)
- अचानक मूत्र त्याग की इच्छा (Sudden feeling of Urination )
- बटलॉक, एक्सटर्नल जेनिटल्स या जांघों में नसों का बढ़ना और विकृत होना (Increased and Distorted Veins)
- डिस्मेनोरिया (Dysmenorrhea)
- मेंस्ट्रुएशन के दौरान असामान्य ब्लीडिंग (Abnormal Bleeding during Menstruation)
- पीठ में दर्द (Backache)
- डिप्रेशन (Depression)
- थकावट (Fatigue)
- असामान्य वजाइनल डिस्चार्ज (Abnormal Vaginal Discharge)
- वजाइना में सूजन (Swelling of the Vagina)
- इर्रिटेबल बॉवेल सिम्पटम्स (Irritable Bowel Symptoms)
- हिप पेन (Hip Pain)
हर महिला में इस समस्या के लक्षण अलग हो सकते हैं। क्योंकि, यह लक्षण अन्य मेडिकल कंडीशंस से जुड़े हुए भी हो सकते हैं। ऐसे में इस रोग का सही निदान का होना जरूरी है। लेकिन, निदान से पहले जानते हैं कि पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) के कारण क्या हैं?
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पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम के कारण (Causes of Pelvic Congestion Syndrome)
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) का सही कारण स्पष्ट नहीं है। लेकिन, एक्सपर्ट्स यह मानते हैं कि ओवेरियन वेन्स में समस्या के कारण ऐसा हो सकता है। इसमें ओवरीज पर और फीमेल रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट (Female Reproductive Tract) के साथ वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins) भी शामिल हो सकती हैं। वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins) वो नसें हैं, जिनमें मौजूद वो वॉल्व जो ब्लड के फ्लो को कंट्रोल करते हैं, सही से काम नहीं कर पाते। इसके कारण खून नसों में ही जम जाता है और वेन्स बड़ी हो जाती है। कई महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट (Reproductive Tract) में वैरिकोज वेन्स होती है। ऐसे में कई महिलाओं को दर्द और पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) की समस्या हो सकती है। लेकिन, कई महिलाओं में ऐसा नहीं होता।
इस समस्या के कारण स्पष्ट नहीं हैं लेकिन एनाटॉमीक (Anatomic) और हार्मोनल असमान्यताएं (Hormonal Abnormalities) व डिसफंक्शन (Disfunctions) पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) के विकास को बढ़ा सकती हैं। इससे अधिकतर वो ही महिलाएं प्रभावित होती हैं। जिनकी उम्र 20 से 45 के बीच में होती है और जो एक से अधिक बार गर्भवती हुई होती हैं। पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) से जुड़े रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
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रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors)
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) के रिस्क फैक्टर्स में पास्ट प्रेग्नेंसीज शामिल होती है, खासतौर पर अगर किसी के एक से अधिक बच्चे हों। प्रेग्नेंसी के कारण पेल्विक का स्ट्रक्चर बदल जाता है। जिसका प्रभाव ब्लड वेसल्स पर पड़ता है। इसके साथ ही प्रेग्नेंसी में महिला के शरीर में ब्लड का वॉल्यूम बढ़ जाता है। जिसके कारण नसों और ब्लड वेसल पर दवाब पड़ता है और दूसरी तरफ एस्ट्रोजन से ब्लड वेसल्स की वॉल्स कमजोर हो सकती हैं। इससे जुड़े अन्य रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- इस डिसऑर्डर की फैमिली हिस्ट्री होना (Family History)
- उम्र (Age)
- हार्मोनल डिसफंक्शन (Hormonal Dysfunction)
- पॉलीसिस्टिक ओवरीज (Polycystic Ovaries)
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पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम का निदान (Diagnosis of Pelvic Congestion Syndrome)
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) का निदान आसान नहीं होता। इस रोग में पेल्विक पेन सामान्य है और इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- पेल्विक पेन रिप्रोडक्टिव सिस्टम जैसे ओवरीज और यूटरस की समस्याओं के परिणामवरूप भी हो सकती है।
- यह दर्द हमारे यूरिनरी सिस्टम जैसे ब्लैडर के कारण भी हो सकता है।
- यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम (Gastrointestinal System) जैसे लार्ज इंटेस्टाइन (Large Intestine) के कारण भी हो सकती है या इसकी वजह मसल्स और बोन्स भी हो सकती हैं।
- मेंटल हेल्थ कंडीशंस जैसे डिप्रेशन (Depression) को भी इस दर्द से जोड़ा जाता है। इस समस्या के निदान से पहले डॉक्टर को इन सभी चीजों के बारे में विचार करना पड़ता है।
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डॉक्टर इस बीमारी के निदान के लिए सबसे पहले रोगी से लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके बाद फैमिली हिस्ट्री के बारे में पता करेंगे। इसके फिजिकल टेस्ट भी किया जा सकता है, जिसमें पेल्विक की जांच शामिल है। इसके साथ ही कुछ अन्य टेस्ट भी कराए जा सकते हैं, जैसे:
- यूरिन टेस्ट (Urine Test) : यूरिनरी सिस्टम की समस्या को जांचने के लिए डॉक्टर कुछ यूरिन टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
- ब्लड टेस्ट (Blood Test) : प्रेग्नेंसी (Pregnancy), सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शंस (Sexually Transmitted Infections) , एनीमिया (Anemia) या अन्य स्थितियों के निदान के लिए ब्लड टेस्ट कराए जा सकते हैं।
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड (Pelvic Ultrasound) :पेल्विस में ग्रोथ की जांच के लिए डॉक्टर पेल्विक अल्ट्रासाउंड करा सकते हैं। इसके साथ ही पेल्विक ब्लड वेसल्स को जांचने के लिए डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler Ultrasound) भी कराया जा सकता है।
- सिटी स्कैन (CT Scan) और मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) :यह टेस्ट इसलिए कराए जाते हैं ताकि प्रभावित स्थानों की सही इमेज मिले और समस्या का निदान हो सके।
- लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy) : अन्य कारणों को जानने के लिए पेल्विक लेप्रोस्कोपी (Pelvic Laparoscopy) की जाती है। यह एक तरह की सर्जरी है जिससे डॉक्टर को पेल्विक के अंदर के अंगों और टिश्यूज को देखने और उनके उपचार में मदद मिलती है। इसके लिए लैप्रोस्कोप का प्रयोग किया जाता है। लैप्रोस्कोप एक लंबा, पतला कैमरा होता है जिसे पेट में कट या चीरा (Abdominal Incision) लगा कर शरीर में डाला जाता है।
- पेल्विक वेनोग्राफी (Pelvic Venography) : यह निदान के लिए सबसे उपयुक्त तरीका है। वेनोग्राम, पेल्विक ऑर्गन्स की वेन्स में कॉन्ट्रैक्ट डाई (contract dye) को इंजेक्ट कर के किया जाता है। ताकि एक्स-रे (X-Ray) के दौरान पेल्विक ऑर्गन्स अच्छे से दिखाई दें। निदान की एक्यूरेसी में मदद करने के लिए, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट(interventional radiologists) झुक कर रोगी की जांच करते हैं, क्योंकि जब महिला सीधी होती है, तो नसों का आकार कम हो जाता है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार कई महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी पेल्विक पेन की समस्या से गुजरती ही हैं। कुछ साल पहले तक क्रॉनिक पेल्विक पेन (Chronic Pelvic Pain) के कारण महिलाएं बेहद परेशान रहती थी और उसका कारण था लिमिटेड ट्रीटमेंट ऑप्शन(Limited Treatment Options)। लेकिन पिछले कुछ सालों में इस दर्द से जुड़ी समस्याएं जैसे पेल्विक कंजेशनसिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) और अन्य बीमारियों की स्थिति में उपचार के तरीकों में साइंटिफिक रूप से कईसुधार हुए हैं।
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पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Pelvic Congestion Syndrome)
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) के उपचार का लक्ष्य आमतौर पर इसके लक्षणों को कम करना है। लेकिन, इस स्थिति के लिए कोई खास उपचार नहीं है। ऐसे में इसका ट्रीटमेंट चुनौती भरा हो सकता है। इसके लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाइयां उपलब्ध हैं जैसे
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal Anti-Inflammatory Drugs)
- क्रॉनिक पेन मेडिकेशंस जैसे गेबापेंटन प्लस एमिट्रिप्टीलिन (Chronic Pain medications such as Gabapentin plus Amitriptyline)
- गर्भाशय और ओवरी को हटाने के लिए सर्जरी (Surgery)
- पेल्विक वेंन एंबोलाइजेशन (pelvic vein embolization) : यह एक सफल उपचार है जिसमें सर्जिकल तरीके से कुछ वैरिकाज वेन्स को ब्लॉक कर दिया जाता है, जिन्हें दर्द का स्रोत माना जाता है।
कई अध्ययन यह बताते हैं कि पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) के उपचार में अधिकतर महिलाओं को दवाइयों से राहत मिल जाती है। इसके अलावा अन्य उपचार के तरीकों को जोखिम भरा भी माना जा सकता है। इसके साथ ही अन्य उपचार सभी महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते। अगर दवाइयों से लक्षणों में कुछ लाभ नहीं होता है तो डॉक्टर अन्य तरीकों की सलाह देते हैं। पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) के लक्षण प्रेग्नेंसी की लेट स्टेजेस पर बदतर हो सकते हैं क्योंकि इस दौरान शिशु का वजन और आकार बढ़ जाता है। ऐसे में पेल्विस में वैरिकोज वेन्स में अतिरिक्त दबाव पड़ने से दर्द हो सकता है।
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पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम से कैसे करें बचाव? (Prevention of Pelvic Congestion Syndrome)
अगर आपको ऐसा लगता है कि केवल गर्भावस्था ही इस समस्या का कारण है, तो आप गलत हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन महिलाओं के बच्चे होते हैं, उनमें ही इस समस्या के होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन, जिन महिलाओं के बच्चे नहीं होते, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है। ऐसे में अगर आप इस रोग से बचना चाहते हैं तो अपने जीवन में कुछ अच्छे बदलाव करें। जो इस प्रकार हैं:
- हमेशा संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज आदि। प्रोसेस्ड और रिफाइंड आहार के सेवन से बचें।
- व्यायाम, योग और मेडिटेशन करें।
- स्मोकिंग करने से बचें।
- पर्याप्त नींद और आराम करें।
- तनाव से भी बचें। अगर आपको ऐसी कोई समस्या है तो डॉक्टर की राय अवश्य लें।
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम के रिस्क को कम करने के लिए इस सब उपाय भी अपनाए जा सकते हैं:
- प्रेग्नेंसी के दौरान कंप्रेशन गारमेंट्स (Compression Garments) का प्रयोग करें। रुटीन बेसिस पर भी कंप्रेशन गारमेंट्स का प्रयोग किया जा सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान हेल्दी वेट को मेंटेन रखना।
- हेल्दी BMI (Healthy BMI) को मेंटेन रखना।
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पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (Pelvic Congestion Syndrome) से जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इसके लक्षण जैसे क्रॉनिक पेन, सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान दर्द और डिस्मेनोरिया (Dysmenorrhea) के कारण आपको फिजिकल एक्टिविटीज करने में समस्या हो सकती है या तनाव भी हो सकता है। याद रखें कि इस रोग का ट्रीटमेंट केवल लक्षणों को कम करने और स्थिति को मैनेज करने में मदद करता है। ऐसे में इन ट्रीटमेंट्स के विकल्पों के लिए डॉक्टर से बात करें। अगर जरूरी हो तो काउंसलिंग के लिए डॉक्टर की सहायता लें। लेकिन, सबसे जरूरी है इस समस्या के लक्षणों को पहचानना और इनका सही निदान। अगर आपको इसका कोई भी लक्षण दिखाई देता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और सही उपचार कराएं।
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