ब्लड सेल डिसऑर्डर वो स्थिति है, जिसमें हमारे खून में मौजूद रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स या छोटे सर्कुलटिंग सेल्स प्लेटलेट आदि में कोई समस्या होती है। इन्हीं में से एक है व्हाइट ब्लड सेल डिसऑर्डर। हमारा शरीर व्हाइट ब्लड सेल डिसऑडर्स का संकेत तब देता है जब हमारे शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स बहुत कम या बहुत ज्यादा हो जाते हैं। बोन-मैरो में निर्मित ये सेल्स इंफ्लमेटरी रिस्पांस में शामिल होते हैं और संक्रमण से लड़ने की इम्यून सिस्टम की क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हीं व्हाइट ब्लड सेल्स से संबंधित एक समस्या को क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) कहा जाता है जो बेहद दुर्लभ है। जानिए क्या है क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) और किस तरह से संभव है इसके लक्षणों को पहचानना।
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज क्या है? (Chronic Granulomatous Disease)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्हाइट ब्लड सेल्स हानिकारक माइक्रोब्स से हमारे शरीर की रक्षा करने में असमर्थ रहते हैं। इसके कारण इंटरनल ऑर्गन्स में गंभीर इंफेक्शंस हो सकते हैं। यह एक दुर्लभ, इनहेरिटेड इम्यूनोडेफिशियेंसी (Inherited Immunodeficiency) है, जो कुछ खास व्हाइट ब्लड सेल्स को प्रभावित करती है। इस स्थिति से प्रभावित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम सही से काम नहीं करता है जिसके कारण शरीर में क्रोनिक इन्फ्लेमेशन और लगातार बैक्टीरिया या फंगल इंफेक्शन की समस्या होती है। क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) से पीड़ित व्यक्ति के लंग्स, त्वचा, लिम्फ नोड्स, लिवर, पेट और इंटेस्टायन में इंफेक्शंस हो सकते हैं। अधिकांश लोगों को बचपन के बचपन में इस समस्या निदान किया जाता है, लेकिन, कुछ लोगों में बड़े होने तक इस परेशानी निदान नहीं हो पाता। आइए, जानिए क्या हैं इस रोग के लक्षण?
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क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज के लक्षण (Symptoms of Chronic Granulomatous Disease)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) से पीड़ित व्यक्ति गंभीर बैक्टीरियल या फंगल का अनुभव कर सकते हैं। फेफड़ों में इंफेक्शन जिसमें निमोनिया भी शामिल है, इस समस्या में होना बेहद सामान्य है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को गंभीर फंगल निमोनिया भी हो सकता है। इसके साथ ही इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को त्वचा, लिवर, पेट, दिमाग, आंख आदि में इंफेक्शन हो सकता है। इस इंफेक्शन से संबंधित लक्षण इस प्रकार है :
- बुखार (Fever)
- सांस लेते या छोड़ते हुए छाती में दर्द (Chest Pain)
- लिम्फ ग्लांड्स में सूजन और दर्द (Swollen and Sore Lymph Glands)
- लगातार नाक का बहना (Persistent Runny Nose)
- त्वचा में परेशानी जिसमें रैशेज, सूजन और लालिमा आदि शामिल है (Skin Irritation)
- मुंह में सूजन और लालिमा (Swelling and Redness in Mouth)
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या जैसे उल्टी,डायरिया, पेट में दर्द आदि (Gastrointestinal Problems)
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क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज के कारण क्या हैं? (Causes of Chronic Granulomatous Disease)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) एक जेनेटिक डिसऑर्डर की तरह है, जिसे प्राइमरी इम्यूनोडेफिशियेंसी डिजीज भी कहा जाता है। इन बीमारियों से पीड़ित लोगों का इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं करता है। इम्यून सिस्टम का ठीक से काम करने के लिए व्हाइट ब्लड सेल का सही से काम करना जरूरी है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति वाले लोगों में फॉल्टी जीन (Faulty Gene ) होता है
इस रोग से जुड़े जेनेटिक म्युटेशन हेरेडिटेरी होते है। डॉक्टर क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज जीन के अनुसार इसे दो भागों में बांटते हैं:
- एक्स-लिंक्ड क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (X-linked Chronic Granulomatous Disease) : यह सबसे सामान्य तरह की बीमारी है, जिसमें CYBB (Cytochrome B-245 Beta Chain) जीन की म्युटेशन शामिल है। यह हमेशा पुरुषों को प्रभावित करता है।
- ऑटोसोमल रिसेसिव क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Autosomal Recessive Chronic Granulomatous Disease) : CYBA, NCF1, NCF2, CYBC1, or NCF4 जीन में म्यूटेशन, इस तरह के क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज का कारण बनता है।
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बच्चों में क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease in Children)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) के लक्षण शिशु के जन्म के बाद से लेकर वयस्कता तक कभी भी नजर आ सकते हैं। इससे पीड़ित बच्चों में पांच साल की उम्र से पहले ही निदान हो जाता है। इससे पीड़ित बच्चे जन्म के समय आमतौर पर स्वस्थ्य होते हैं, लेकिन बचपन की शुरुआत तक उनमें गंभीर इंफेक्शन हो सकता है। अगर माता-पिता को यह समस्या है, तो बच्चे में इस समस्या के निदान के लिए देरी न करें। यदि आपको लगता है कि आपको या आपके बच्चे को डेड लेविस, गीली या सुखी घास के आसपास रहने से एक प्रकार का फंगल निमोनिया हो रहा है, तो तुरंत इमरजेंसी मेडिकल केयर लें। यदि आपको या आपके बच्चे को बार-बार यह संक्रमण होता है और उसके लक्षण ऊपर बताए अनुसार हैं , तो अपने डॉक्टर से बात करें।
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क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Diagnosis of Chronic Granulomatous Disease)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले इस रोग के लक्षणों के बारे में जानते हैं। उसके साथ ही फैमिली हिस्ट्री जानी जाती है और अन्य कई टेस्ट कराये जाते हैं, जो इस प्रकार हैं
शारीरिक जांच (Physical Exam) : शारीरिक जांच से डॉक्टर सूजन और ग्रैनुलोमा का निदान कर सकते हैं।
ब्लड टेस्ट (Blood Tests) : डॉक्टर ब्लड टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं, जिसमें एक खास टेस्ट होता है जिसे नाइट्रोब्लू टेट्राजोलियम (Nitroblue Tetrazolium) कहा जाता है। इस टेस्ट में ब्लड के सैंपल में केमिकल डाला जाता है ताकि व्हाइट ब्लड सेल्स की रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (Reactive Oxygen Species) बनाने की क्षमता को जांचा जा सके।
जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing) : इस टेस्ट में डॉक्टर आपके ब्लड और टिश्यू के सैंपल की जांच करते हैं। ताकि, क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) का कारण बनने वाले फौल्टी जीन की पहचान कर सकें।
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क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज का उपचार (Treatment of Chronic Granulomatous Disease)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) के उपचार का लक्ष्य इंफेक्शन से बचना और स्थिति को मैनेज करना है। इसके उपचार के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
इंफेक्शन मैनेजमेंट (Infection Management)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic granulomatous disease) से बचने का सबसे आसान तरीका है इंफेक्शन से बचना। इसके लिए इन टिप्स को अपनाएं :
- क्लोरीनेटेड पूल्स के अलावा कहीं भी स्विमिंग करने से बचें। फ्रेश या साल्ट वाटर में ऐसे जीव हो सकते हैं जो हेल्दी लोगों के लिए तो सुरक्षित हो सकते हैं लेकिन इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं।
- बागवानी करते समय गीली घास का उपयोग करने से बचें। बगीचे की गीली घास के संपर्क में आने से एस्परगिलस संक्रमण (Aspergillus infection) हो सकता है।
- खाद के ढेर में काम करना, पौधों को लगाना, तहखानों की सफाई करना आदि ऐसी अन्य एक्टिविटीज हैं जिनसे इस समस्या से वाले लोगों को बचना चाहिए।
दवाइयां (Medicines)
आपके डॉक्टर बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन के होने से पहले ही इससे बचाव की दिशा में काम करेंगे। इसके उपचार में एंटीबायोटिक थेरेपी (Antibiotic Therapy) जैसे ट्रायमेंथोप्रिम (Trimethoprim ) और सल्फामेथोक्साजोल (Sulfamethoxazole) का मेल शामिल है। ताकि बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचा जा सकें। इसके साथ ही इट्राकोनाजोल (Itraconazole ) का प्रयोग फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए किया जाता है। यही नहीं, संक्रमण होने पर अतिरिक्त एंटीबायोटिक्स या एंटिफंगल दवाइयों की आवश्यकता भी हो सकती हैं।
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इंटरफेरॉन-गामा (Interferon-Gamma)
रोगी को समय-समय पर इंटरफेरॉन-गामा इंजेक्शन लेने पड़ सकते हैं, जो संक्रमण से लड़ने के लिए आपकी इम्यून सिस्टम में सेल्स को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन (Stem Cell Transplantation)
कुछ मामलों में इस रोग के उपचार स्टेम सेल ट्रांसप्लांट का प्रयोग किया जा सकता है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन से ट्रीटमेंट कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसे प्रोग्नोसिस (Prognosis), डोनर अवेलेबिलिटी (Donor Availability) और निजी प्राथमिकता (Personal Preference) आदि।
जेनेटिक एंड रेयर डिजीज इनफार्मेशन सेंटर (Genetic and Rare Diseases Information Center (GARD) के अनुसार क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) का उपचार एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाइयों के साथ संभव है। कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) का भी उपचार किया जा सकता है। इसके साथ ही इसका उपचार एक्टइम्यून (Actimmune) नाम की मेडिकेशन से भी किया जा सकता है। एक्टइम्यून (Actimmune) एक तत्व का मैन-मेड वर्जन है जो शरीर के इम्यून सेल्स द्वारा बनाया जाता है। ऐसा माना गया है कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों में गंभीर इंफेक्शन की फ्रीक्वेंसी को कम करने में लिए यह लाभदायक है।
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज उपचार के लिए अभी जीन थेरेपी की खोज की जा रही है, लेकिन अभी इसमें अतिरिक्त शोध की जरूरत है।
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क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज से जुड़ी कॉम्प्लीकेशन्स (Chronic Granulomatous Disease Complications)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) दुर्लभ है लेकिन यह बेहद गंभीर हो सकती है। इससे जुडी कॉम्प्लीकेशन्स इस प्रकार हैं:
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स (Autoimmune Disorders) : ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स उस स्थिति को कहा जाता है जब हमारा शरीर अपने ही सेल्स पर अटैक करता है। हालांकि, ऐसा सभी मामलों में पांच प्रतिशत से भी कम स्थितियों में होता है।
- इंटेस्टायन में एब्सेस और सूजन के कारण भोजन पचाने में मुश्किल होना (Abscess and Inflammation in Intestine)।
- ग्रोथ रिटार्डेशन (Growth Retardation)
- इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease)
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क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज से बचाव (Prevention of Chronic Granulomatous Disease)
क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) से बचाव संभव नहीं है। लेकिन, इस समस्या की फैमिली हिस्ट्री होने पर बच्चों को जेनेटिक काउन्सलिंग (Genetic Counseling) लेनी चाहिए, ताकि अपने बच्चों को इस समस्या से बचाया जा सकें।
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क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous Disease) के अधिकतर मामलों को डॉक्टर सफलतापूर्वक हैंडल कर सकते हैं। संक्रमण और सूजन को गंभीर होने से बचाने के लिए उपचार को लंबे समय तक जारी रखना पड़ सकता है। लेकिन सही उपचार और स्पोर्ट से इस समस्या से पीड़ित कई लोग एक्टिव और स्वस्थ रहते हैं। डॉक्टर से तुरंत सलाह लेने से इंफेक्शन गंभीर होने से पहले ही उसका उपचार संभव है। इंफेक्शन का जल्दी निदान बहुत जरूरी है, इसलिए इस रोग से पीड़ित लोगों को नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराना चाहिए। इसके साथ ही आप अपनी जीवनशैली में भी अच्छे बदलाव लाएं। ताकि, आपको पूरी तरह से स्वस्थ रहने में मदद मिल सकें।