रीनल कोलिक (Renal Colic), यूरिनरी ट्रैक्ट (Urinary Tract) की पथरी यानी स्टोन के कारण होने वाली दर्द को कहा जाता है। यूरिनरी ट्रैक्ट में किडनी (Kidney), मूत्रवाहिनी (Ureters), यूरिनरी ब्लैडर (Urinary Bladder) और मूत्रमार्ग (Urethra) शामिल हैं। पथरी यूरिनरी ट्रैक्ट में कहीं भी विकसित हो सकती है और यह स्टोन्स आकार में काफी भिन्न हो सकते हैं। अधिकतर स्टोन्स मिनरल या अन्य पदार्थों, जैसे कि यूरिक एसिड के निर्माण के कारण होती है, जो मूत्र में एक साथ चिपक जाते हैं और हार्ड मास (Hard Mass) बनाते हैं। रीनल कोलिक पेट के निचले हिस्से में होने वाली दर्द है। लेकिन, यह अधिकतर पीठ के निचले हिस्से की एक या दोनों तरफ हो सकती है। यह दर्द कभी भी अचानक शुरू हो जाती है और समय के साथ बदतर भी हो सकती है। अगर आप रीनल कोलिक (Renal Colic) के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं तो इस लेख के माध्यम से पाएं इस बारे में पूरी जानकारी विस्तार से। शुरू करते हैं रीनल कोलिक के लक्षणों (Renal Colic Symptoms) से:
रीनल कोलिक के लक्षण क्या हैं ? (Renal Colic Symptoms)
रीनल कोलिक (Renal Colic) के लक्षण स्टोन के साइज और यूरिनरी ट्रैक्ट (Urinary Tract) में इसकी लोकेशन पर निर्भर करते हैं। कुछ छोटे स्टोन्स माइल्ड रीनल कोलिक का कारण (Renal Colic Cause) बन सकते हैं और प्रभावित व्यक्ति बिना अधिक समस्या के इन्हें यूरिन के माध्यम से पास कर सकता है। बड़े स्टोन्स के कारण गंभीर दर्द हो सकता है, खासतौर पर अगर यह किसी के यूरिनरी ट्रैक्ट के स्मॉल पैसेज में फंस जाएं या उन्हें ब्लॉक कर दें। इस अतिसंवेदनशील क्षेत्र में मूत्रवाहिनी शामिल होती है, जो ऐसी ट्यूब्स होती हैं जिसके माध्यम से मूत्र गुर्दे और मूत्राशय के बीच से गुजरता है। यह दर्द एकदम से होता है और बीस से साठ मिनटों तक रह सकता है। रीनल कोलिक यूरिनरी स्टोन्स के कारण होने वाला एक लक्षण है। रीनल कोलिक (Renal Colic) के साथ होने वाले अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
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- मूत्र त्याग के समय दर्द और परेशनी होना (Pain or Difficulty Urinating)
- मूत्र में खून जो पिंक, लाल या ब्राउन हो सकता है (Blood in the Urine)
- मूत्र से असाधारण बदबू आना (Urine that Smells Unusual)
- जी मचलना (Nausea)
- उल्टी आना (Vomiting)
- मूत्र में छोटे पार्टिकल्स (Small Particles in the Urine)
- बार-बार मूत्र त्याग की तीव्र इच्छा (Feeling Urgent need to Urinate)
- क्लॉउडी यूरिन (Cloudy Urine)
- सामान्य से कम या अधिक पेशाब करना (Urinating More or Less Frequently than Usual)
कुछ लोगों को अन्य लक्षण भी महसूस हो सकते हैं जैसे बुखार, ठंड लगना या पसीना आना। अगर किसी व्यक्ति को यह लक्षण नजर आते हैं तो उसे डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। यही नहीं, अगर कोई व्यक्ति रीनल कोलिक के साथ निम्नलिखित लक्षणों को अनुभव करता है तो तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है, जैसे:
- पूरी तरह से मूत्र त्याग न कर पाना (Complete Inability to Urinate)
- लगातार उल्टी आना (Uncontrollable Vomiting)
- 101°F से अधिक बुखार (Fever higher than 101°F)
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रीनल कोलिक के कारण क्या हैं? (Renal Colic Causes)
रीनल कोलिक की समस्या किडनी में क्रिस्टल्स या स्टोन्स के बनने से बढ़ती है। किडनी में जब यह स्टोन्स यूरिन के प्रवाह को प्रभावित करते हैं, तो उसके कारण किडनी में सूजन आ सकती है और इस वजह से दर्द होती है। यानी, किडनी स्टोन्स के कारण ही रीनल कोलिक (Renal Colic) की समस्या होती है और यह किडनी स्टोन्स कई कारणों से बन सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
- सिस्टिनुरिया (Cystinuria)
- स्मॉल इंटेस्टाइन के रोग (Disease of the Small Intestine)
- गठिया (Gout)
- यूरिन में अधिक कैल्शियम (Excess Calcium in the Urine)
- यूरिन में अधिक यूरिक एसिड (Excess Uric Acid in the Urine)
- इन्फ्लामेट्री बॉवेल डिजीज (Inflammatory Bowel Diseases)
- रीनल डिफेक्ट्स (Renal Defects)
- सर्जरी (Surgery)
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection)
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कई फैक्टर्स के कारण रीनल कोलिक (Renal Colic) की संभावना बढ़ सकती है। यह रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- डिहायड्रेशन (Dehydration)
- अधिक विटामिन डी युक्त डायट (Diet High in Vitamin-D)
- डायूरेटिक्स का अधिक उपयोग (Diuretic Overuse)
- किडनी स्टोन की फैमिली हिस्ट्री (Family History of Kidney Stones)
- इंटेस्टाइनल मालएब्जॉर्प्शन (Intestinal Malabsorption)
- प्रेग्नेंसी (Pregnancy)
- हाल ही हुई सर्जरी (Recent Surgery)
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection)
- कैल्शियम-बेस्ड एंटासिड का उपयोग (Use of Calcium-Based Antacids)
- खास दवाईयों का प्रयोग (Use of Certain Medication)
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रीनल कोलिक का निदान कैसे किया जाता है? (Renal Colic Diagnosis)
रीनल कोलिक (Renal Colic) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से उसके लक्षणों के बारे में पूछते हैं। इसके बाद शारीरिक जांच की जाएगी। इसके साथ ही डॉक्टर अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दे सकते हैं। जैसे ब्लड और यूरिन टेस्ट ताकि इंफेक्शन और किडनी फंक्शन के बारे में जाना जा सके। एक्स-रे (X-ray) ,अल्ट्रासाउंड (Ultrasound), कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed Tomography), मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) के प्रयोग से किडनी स्टोन और दर्द के अन्य कारणों का पता चल सकता है। तस्वीरों में अच्छे परिणामों के लिए आपको कंट्रास्ट लिक्विड भी दिया जा सकता है। अगर आपको इस लिक्विड से एलर्जी है तो आप डॉक्टर को पहले ही बता दें।
किडनी स्टोन से असामान्य पीठ में दर्द हो सकती है जिसे रीनल कोलिक (Renal Colic) कहा जाता है। यह दर्द आमतौर पर छिटपुट रूप से शुरू होता है लेकिन फिर स्थिर हो जाता है और जी मचलने और उल्टी का कारण बन सकता है। इसके साथ ही दर्द की जगह भी बदल सकती है क्योंकि स्टोन यूरिनरी ट्रैक्ट में अपनी जगह बदलता रहता है। अब जानते हैं इस समस्या के उपचार के बारे में।
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रीनल कोलिक का उपचार (Renal Colic Treatment)
अगर आपको रीनल कोलिक (Renal Colic) या यूरिनरी स्टोन्स के कोई भी लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर की राय लें। डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट के लिए कह सकते हैं। रीनल कोलिक (Renal Colic) का मेडिकल ट्रीटमेंट अधिकतर स्टोन के प्रकार पर निर्भर करता है। कई विभिन्न तरह के स्टोन्स होते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- कैल्शियम स्टोन्स (Calcium Stones) : ये सबसे आम प्रकार के स्टोन हैं और इनमें कैल्शियम ऑक्सालेट (Calcium Oxalate) होता है।
- यूरिक एसिड स्टोन्स (Uric Acid Stones) : ये पथरी तब विकसित होती है, जब यूरिक एसिड मूत्र में कंसन्ट्रेट हो जाता है।
- सिस्टीन स्टोन्स (Cystine Stones) : सिस्टीन स्टोन दुर्लभ हैं और सिस्टिनुरिया के कारण होते हैं।
- स्ट्रुवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) : स्ट्रुवाइट स्टोन्स का कारण यूरिनरी ट्रैक्ट में बैक्टीरिया होते हैं। लेकिन यह भी दुर्लभ है
प्रभावित व्यक्ति छोटे स्टोन्स को यूरिन के माध्यम से बाहर निकाल सकता है। इसके लिए डॉक्टर उन्हें अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही अगर रोगी को दर्द होती है तो दर्द से छुटकारा दिलाने वाली दवाईयों की सलाह भी दी जा सकती है। डॉक्टर रोगी को तब तक मॉनिटर करते हैं जब तक स्टोन निकल नहीं जाता। बड़े स्टोन्स और रीनल कोलोक से छुटकारा पाने के लिए इन उपायों को अपनाया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं:
यूरेटेरोस्कोपी गाइडेड स्टोन एक्सट्रैक्शन (Ureteroscopy Guided Stone Extraction)
इस इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रिया में यूरिनरी ट्रैक्ट में एक लाइट और कैमरे से जुड़ी हुई स्कोप को डाला जाता है। इसका उपयोग करने से डॉक्टर स्टोन का पता लगा सकते हैं और उसे हटा सकते हैं।
एक्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (Extracorporeal Shock Wave Lithotripsy)
इस उपचार का लक्ष्य किडनी में छोटी साउंड वेव का प्रयोग कर के किडनी में मौजूद स्टोन्स को छोटे टुकड़ों में तोडना होता है। इसके बाद यह स्टोन्स यूरिन के माध्यम से आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
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परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (Percutaneous Nephrolithotomy)
डॉक्टर इस प्रक्रिया को जनरल एनेस्थीसिया के साथ करते हैं। वे गुर्दे तक पहुंचने के लिए व्यक्ति की पीठ में एक छोटा चीरा लगाएंगे और एक लाइटेड स्कोप (Lighted Scope) और स्मॉल सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स (Small Surgical Instruments) का उपयोग करके स्टोन को निकाल देंगे।
स्टेंट प्लेसमेंट (Stent Placement)
कई बार डॉक्टर रोगी की मूत्रवाहिनी में एक पतली ट्यूब को डालते हैं ताकि स्टोन को बाहर निकलने में आसानी हो और कोई बाधा न आए।
ओपन सर्जरी (Open Surgery)
कुछ लोग जिनकी किडनी से स्टोन आसानी से नहीं निकलता है, उन्हें ओपन सर्जरी की जरूरत हो सकती है। हालांकि, इस तरीके में लोगों को रिकवर होने में समय लगता है। ओपन सर्जरी से पहले डॉक्टर अक्सर पत्थरों को अन्य तरीकों से निकालने या तोड़ने की कोशिश करते हैं।
रीनल कोलिक के उपचार (Renal Colic Treatment) में कुछ दवाइयां भी शामिल हैं जो लक्षणों से आराम देती हैं और स्टोन्स को बनने से रोकती हैं। यह उपचार इस प्रकार हैं:
- एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
- ऐल्कलाइनीज़िंग एजेंट्स (Alkalinizing Agents)
- कोर्टिकोस्टेरोइड (Corticosteroids)
- कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium Channel Blockers)
- सेलेक्टिव अल्फा-1 ब्लॉकर्स (Selective Alpha-1 Blockers)
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रीनल कोलिक के लक्षणों को कैसे मैनेज करें? (Manage Symptoms of Renal Colic)
रीनल कोलिक की स्थिति में उपचार के साथ ही आप कुछ अन्य तरीकों से इस समस्या के लक्षणों को मैनेज कर सकते हैं। इससे न केवल आपको लक्षणों को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि आपके जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। यह तरीके इस प्रकार हैं:
अधिक तरल पदार्थों को लें (Liquid Diet)
अधिक तरल पदार्थों का सेवन जैसे पानी से न केवल दर्द को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि यूरिनरी ट्रैक्ट की ब्लॉकेज भी दूर होगी। इसलिए अपने डॉक्टर से जानें कि आपको दिन में कितना पानी पीना चाहिए। सामान्य स्थितियों में तीन लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही कैफीन युक्त आहार जैसे चाय, कॉफी, सोडा आदि का कम से कम सेवन करें।
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यूरिन को स्ट्रेन करना न भूलें (Strain Your Urine)
अगर आपको किडनी स्टोन की समस्या है तो जब भी मूत्र त्याग करें, उस समय अपने यूरिन को स्ट्रेन करना न भूलें। इसके लिए खास स्ट्रेनर का प्रयोग किया जाता है ताकि किडनी स्टोन को कलेक्ट किया जा सके। इस किडनी स्टोन की जांच की जाती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से इस बारे में जानना न भूलें।
स्वास्थ्य आहार का सेवन करें (Healthy Diet)
अगर आपको रीनल कोलिक, किडनी स्टोन के लक्षणों और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों में राहत पानी है तो हमेशा हेल्दी फूड का सेवन करें। हेल्दी फूड में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद, लीन मीट आदि शामिल है। आपको अपने आहार में साइट्रस फ्रूट्स जैसे संतरे की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। इसके साथ ही अधिक तापमान में एक्टिविटीज को करने से बचें क्योंकि गर्मी से आपको डिहायड्रेशन हो सकती है जो इस समस्या को बढ़ा सकती है।
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रीनल कोलिक से बचने का एक ही तरीका है उस स्टोन से छुटकारा पाना जो इस दर्द की वजह है। अधिकतर यूरिनरी स्टोन्स खुद से ही निकल जाते हैं। जो नहीं निकल पाते उनके लिए लिथोट्रिप्सी या अन्य ट्रीटमेंट्स अपनाए जाते हैं। गंभीर बात तो यह है कि यह यूरिनरी स्टोन्स फिर से हो सकते हैं। ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों को एक स्टोन है उनमें से 50 प्रतिशत लोगों में पांच सालों के भीतर दूसरा स्टोन होने की समस्या पाई गई है। ऐसे में अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और अन्य तरीकों को अपनाने से आपको न केवल इस समस्या को नजरअंदाज करने बल्कि भविष्य में भी रीनल कोलिक से बचने में मदद मिलेगी।