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Breastfeeding and first 1000 days: जानें ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन क्यों है बच्चे के जीवन के लिए जरूरी?

Breastfeeding and first 1000 days: जानें ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन क्यों है बच्चे के जीवन के लिए जरूरी?

जीवन प्रकृति की एक अनमोल देन है, जो पशु, पेड़, इंसानों सभी में होता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जीवन की शुरुआत कहां से होती है? एक जीवन किस तरह से दूसरे  जीवन को जन्म दे सकता है? इसके लिए आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं? इस तरह के ढेरों सवाल हमारे और आपके मन में कभी ना कभी तो एक बार जरूर आया होगा। इसका जवाब है जीवन को सही पोषण मिले तो वह अच्छी तरह से पल्लवित होता है। इसके लिए अभिनेता अमिताभ बच्चन भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से विज्ञापन कर के ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन (Breastfeeding and first 1000 days) को लेकर लोगों में जागरूकता फैला रहे हैं। विज्ञापन में ये बताया गया है कि ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन गर्भावस्था से लेकर 2 साल की उम्र तक के लिए बच्चे और मां दोनों के लिए बेहद अहम वक्त है। आइए जानते हैं कि जीवन के 1000 दिन किस तरह से जरूरी है और आप बच्चे और मां के लिए क्या कर सकते हैं?

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ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन (Breastfeeding and first 1000 days) क्या है?

इस पृथ्वी पर सभी जीवों का शारीरिक विकास होना एक प्राकृतिक क्रिया है। लेकिन इंसानों में मां के गर्भ में पल रहा बच्चा तेजी से विकास करता है और उस बच्चे के भ्रूण से लेकर 2 साल की उम्र तक के जो 1000 दिन होते हैं, वो उसके जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होते हैं। इस दौरान मां और बच्चे को मिलने वाला पोषण ही पूरे जीवन का स्वास्थ्य तय करता है। इस 1000 दिन को आप निम्न तरह से गिन सकते हैं :

  • मां के गर्भ में भ्रूण स्थापित होने से बच्चे के पैदा होने तक का समय 9 महीने होता है। अगर हम 9 महीनों को दिनों में बांटें तो 270 दिन होते हैं। इस दौरान बच्चा मां के गर्भ में रहता है।
  • डिलिवरी  के बाद बच्चे के जीवन के 2 सालों को अगर दिनों में बांटें तो 730 दिन होता है।
  • इस तरह से 270+730 = 1000 दिन

इस तरह से ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन को गिना जाता है। इसलिए गर्भावस्था से पहले, गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद आपको अपने और बच्चे के सही पोषण का ध्यान देना होगा।

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ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : प्रेग्नेंसी प्लानिंग है जरूरी

प्रेग्नेंसी प्लानिंग - pregnancy planning

अक्सर देखा गया है कि भारत में ज्यादातर दंपति परिवार और रिश्तेदारों के दबाव में आ कर बच्चा पैदा करने का फैसला करते हैं। लेकिन इसके पहले अगर कुछ जरूरी है तो वो है दंपति का खुद का फैसला। 

  • प्रेग्नेंसी प्लानिंग करने से पहले आप खुद से पूछे कि क्या आप माता-पिता बनने के लिए तैयार है। अगर महिला की उम्र 18 साल से कम है तो उन्हें प्रेग्नेंसी प्लानिंग नहीं करनी चाहिए। इससे मां और बच्चे दोनों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। 
  • आपको पहले ये भी प्लान करना चाहिए कि आपको कितने बच्चे चाहिए, एक या एक से अधिक। 
  • अगर आपको एक से अधिक बच्चे चाहिए तो आपको ये तय करना होगा कि उनमें कम से कम तीन सालों का अंतर जरूर हो।
  • इसके साथ ही आपको अपने डॉक्टर से मिल कर अपनी शारीरिक जांच कराने के बाद ही प्रेग्नेंसी प्लानिंग करना चाहिए।
  • प्रेग्नेंसी प्लानिंग के दौरान अपने ओव्यूलेशन पीरियड का भी ध्यान आपको ही रखना होगा। जिसमें पीरियड आने के 11वें से 14वें या 16वें दिन के बीच में गर्भधारण करने का उचित समय माना गया है। क्योंकि इसी समय अंडाणु फेलोपियन ट्यूब से निकल कर गर्भाशय में आता है। इसी समय को ओव्यूलेशन पीरियड कहते हैं।
  • प्रेग्नेंसी प्लानिंग के साथ ही आपको अपने डायट का पूरा ध्यान रखना होगा। जैसे- अनाज, फल, सब्जियां, प्रोटीन, वसा, दूध आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा दिन भर में कम से 10 गिलास पानी पीना चाहिए।

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ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : गर्भावस्था के दौरान सेहत का रखें खास ख्याल

मां के गर्भ में कोरोना का संक्रमणः

गर्भावस्था के दौरान सेहत का खास ख्याल इसलिए रखना चाहिए, क्योंकि आपके गर्भ में एक जान पल रही है। इसलिए आप इस दौरान अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें। वैसे भी गर्भावस्था के दौरान महिला में शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, जिसका जिम्मेदार हॉर्मोन होता है। गर्भावस्था में आपको निम्न पोषक तत्वों को लेना बहुत जरूरी है :

आयोडीन

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन

एक गर्भवती के लिए आयोडीन लेना बहुत जरूरी होता है। आयोडीन बच्चे के मानसिक विकास के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है। इसके लिए आपको पालक, दूध, आलू (छिलके के साथ), आयोडाइज्ड नमक, दही, मछली, उबले अंडे आदि खाना चाहिए।

फॉलिक एसिड

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन

फॉलिक एसिड बच्चे में हड्डियों, खून और मस्तिष्क विकास के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। इसलिए आपको अपने डायट में पत्तागोभी, भिंडी, पालक, गाजर, मटर, संतरा, मछली आदि को शामिल करना चाहिए।

आयरन

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन

आयरन की जरूरत तो गर्भावस्था में बहुत अहम मानी जाती है। इसके लिए डॉक्टर आपको गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोलिया भी खाने के लिए देते हैं। आयरन को प्राप्त करने के लिए आप चौलाई या लाल पालक, पालक, पत्ता गोभी, मूली, सरसों, गुड़, उबले अंडे, चिकन आदि खाएं।

विटामिन बी 12

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में विटामिन बी 12 का सेवन एक गर्भवती के लिए बेहद जरूरी है। रोजाना विटामिन बी 12 की 1.2 माइक्रोग्राम की मात्रा का सेवन करने से बच्चे के ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड का सुचारु विकास हो सकता है। विटामिन बी 12 के लिए आपको अपनी थाली में सोयामिल्क, मूंगफली, दूध, दही, मछली, उबले अंडे, चिकन आदि को शामिल करना चाहिए।

विटामिन डी

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन

विटामिन डी बच्चे के हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। इसके लिए आपको विटामिन डी की रोजाना 1.10 मिलीग्राम मात्रा गर्भवती महिला को लेना जरूरी है। इसके लिए आपको मशरूम, बादाम, दूध, दही, उबले अंडे, मछली का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आपको रोजाना सुबह की हल्की धूप भी लेना चाहिए, क्योंकि सूर्य की रोशनी शरीर में विटामिन डी को स्टीम्यूलेट करता है। 

ओमेगा 3

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन

ओमेगा 3 बच्चे के आंखों और ब्रेन के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। इसके लिए आपको ओमेगा 3 का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आपको अपने डायट में हरा पत्तेदार सब्जियां, अखरोट, सरसों का तेल, राइस ब्रान ऑयल, चिया सीड, मछली, फलियां आदि का सेवन करें।

ये सभी पोषक तत्व महिला को ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में ना सिर्फ गर्भावस्था के दौरान बल्कि डिलिवरी के बाद भी लेना चाहिए। क्योंकि मां के दूध से ही बच्चे के शरीर में पोषक तत्व पहुंचता है। 

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ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : मां का पहला दूध है अमृत

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में 231वां दिन बच्चे का इस दुनिया में पहला दिन होता है। ऐसे में अब वह अपनी मां के शरीर से बाहर होता है और अब भी वह मां के द्वारा दिए जाने वाले भोजन पर ही निर्भर होता है। मां का दूध ही बच्चे के लिए अमृत होता है। मां का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर ही पिलाना चाहिए। ये बच्चे के लिए अमृत होता है। मां के पहले दूध में बच्चे के शरीर में इम्यूनिटी को विकसित करने के लिए पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए बच्चे को मां का पहला दूध जरूर पिलाएं।

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : छह महीने तक मां का दूध है जरूरी

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में बच्चे का जन्म के बाद छह महीने तक का समय सिर्फ मां के दूध पर ही बीतना चाहिए। वहीं, इस दौरान बच्चे को कोई भी ऊपरी चीज ना दें, यहां तक कि पानी भी नहीं। पानी की मात्रा मां के दूध से बच्चे में पहुंचती रहती है। इस दौरान मां को अपने खानपान का ख्याल रखना चाहिए, जिससे मां के दूध से होते हुए बच्चे में सही पोषण जा सके और बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : छह महीने के बाद बच्चे को स्तनपान के साथ आहार भी दें

अन्नप्राशन की रस्म बच्चे के छह महीने पूरे होने पर निभाई जाती है। ये रस्म भले ही हमारी परम्परा है, लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण है कि ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन के दौरान बच्चे को छठे महीने से स्तनपान के साथ कुछ गिला भोजन भी खिलाना चाहिए। जैसे- दाल के पानी में मसली हुई रोटियां, केला या किसी भी मुलायम फल के गूदे को मसल कर खिलाएं। बस बच्चे को खाना खिलाने के दौरान आपको साफ सफाई का ध्यान रखना होगा।

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : आठ से एक साल तक के बच्चे को पोषक तत्व खिलाएं

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन के दौरान आठ से एक साल तक के बच्चे के भोजन में लगभग 1000 कैलोरी होनी चाहिए, जिससे बच्चे को पर्याप्त ऊर्जा, पोषण मिल सके। बच्चे के खाने में वसा की मात्रा जरूर शामिल करें। कोलेस्ट्रॉल और अन्य वसाएं बच्चे की वृद्धि के लिए बहुत जरूरी है। इससे बच्चे को अधिक ऊर्जा मिलेगी। बच्चे को खाना देते समय हमेशा अच्छे से मसल कर दें। भोजन को छोटे टुकड़ों में काट कर दें ताकि बच्चा उसे आराम से खा सके। वहीं, बच्चे को सलाद खाने के लिए ना दें। क्योंकि उसमें खीरे, गाजर आदि के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं जो बच्चे की भोजन नली में जा कर फंस सकते हैं। बच्चे को जब भी खिलाएं बैठा कर किसी बड़े की देखरेख में खिलाएं।

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ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : एक से दो साल के बीच में बच्चे को सब खिलाएं

एक साल तक के बच्चों को सामान्यतः लिक्विड डायट दी जाती है। लेकिन बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, वैसे-वैसे उन्हें दिए जाने वाली डायट में बदलाव करना चाहिए, नहीं तो बच्चे चूजी हो सकते हैं। डेढ़ से दो साल तक के बच्चे को एक दिन में तीन वक्त की हेल्दी डायट देनी चाहिए, जिससे उसे ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में पोषक तत्व मिल सके। इसके अलावा आप बच्चे को लगभग डेढ़ साल तक स्नपान करा सकती है। डॉक्टर्स भी इस चीज को मानते हैं कि बच्चे को डेढ़ साल से ज्यादा समय तक स्तनपान करा सकते हैं। इसके अलावा आप अपने बच्चे को निम्न चीजें जरूर खिलाएं :

  • दूध, चीज़ और दूध से निर्मित अन्य पदार्थ
  • फल और सब्जियां
  • अनाज, आलू, चावल, दालें
  • मीट, मछली, चिकन, अंडे

जरूरी नहीं है कि ये चीजें दिन के तीनों या चारों वक्त के भोजन में शामिल हो। लेकिन दो वक्त के मील में इन सभी चीजों को जरूर शामिल करें। इसके साथ ही बच्चे को अंगुलियों के बजाए चम्मच से खाने की आदत डालें। स्वच्छता के साथ बच्चे को पोषण दें।

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ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में टीकाकरण है अहम

वैक्सिनेशन

बच्चों का टीकाकरण या वैक्सीनेशन करा कर आप उनको गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं। टीकाकरण ना केवल रोगों से रक्षा करने में मदद करता है, बल्कि बीमारी को बढ़ने से रोककर बच्चे को पोषित करता है। कुछ बीमारियों से लड़ने के लिए और इम्यून सिस्टम को बढ़ाने के लिए बच्चे का वैक्सीनेशन जरूरी है। इसलिए बच्चे का टीकाकरण समय पर कराना चाहिए।

बच्चे को कौन से वैक्सीन लगवाएं?

बच्चे को निम्न टीके जरूर लगवाएं, जिससे पोषण के साथ बच्चा बीमारियों से भी लड़ सके :

कब कराएं बच्चे का टीकाकरण?

ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन

बच्चे का टीकाकरण मुख्य रूप से जन्म से 24 महीने तक होता है, लेकिन कई सारी वैक्सीन समय-समय बच्चे के बड़े होने के बाद तक लगती रहती है :

  • गर्भावस्था
  • जन्म के बाद
  • 4 महीने
  • 6 महीने
  • 7 से 11 महीने
  • 12 महीने 
  • 12 से 18 महीने
  • 24 महीने
  • 4 से 6 साल
  • 7 से 10 साल
  • 11 से 12 साल
  • 13 से 18 वर्ष
  • 23 वर्ष

इस तरह से आपने जाना कि बच्चे का मां के गर्भ से लेकर 2 साल तक होने के दौरान ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन (Breastfeeding and first 1000 days) कैसे होने चाहिए और ये मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी है। सिर्फ मां को इतना ध्यान रखना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान अपने खानपान, टीकाकरण आदि का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। वहीं, गर्भावस्था के दौरान कई तरह के इंफेक्शन भी महिला में हॉर्मोनल बदलाव के कारण देखने को मिलते हैं। ऐसे में महिला को अपनी साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। दूसरी तरफ बच्चे का जन्म होने के बाद भी स्तनपान कराने के दौरान मां को अपने स्तनों के अच्छी तरह से गुनगुने पानी से पोछ लेना चाहिए। इसके बाद ही बच्चे को दूध पिलाना चाहिए। वहीं, जब बच्चा खाना खाने लगे तो उसे जिस बर्तन में खाना दें वो पूरी तरह से साफ हो और जूठा खाना बच्चे को ना खिलाएं। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

31/12/2021

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/12/2021

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