आजकल चार साल का बच्चा स्कूल जाना शुरू कर देता है। एक तरह से बच्चे के जीवन का यह पड़ाव उसके लिए एक नयी शुरुआत है। यह वो समय है, जब आप शिशु के कई तरह से परिवर्तन नोटिस करेंगे जैसे उनकी आवाज में बदलाव, वजन बढ़ना, बेहतरीन मोटर स्किल, पढ़ाई में दिलचस्पी आदि। हालांकि, हर बच्चा अलग है ऐसे में उसकी ग्रोथ और स्किल्स भी अलग होंगे। आज हम स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) कैसा होना चाहिए इस बारे में बात करेंगे। जानिए, स्कूल जाने वाले बच्चों की फिजिकल डेवलोपमेंट, डायट, देखभाल आदि के बारे में विस्तार से।
स्कूल जाने वाले बच्चों में होने वाले प्रमुख डेवलपमेंट
स्कूल जाने वाले बच्चों में सबसे मुख्य फिजिकल डेवलपमेंट यही है कि वो स्कूल जाते हैं, नए दोस्त बनाते हैं और उनकी कुछ सीखने की तरफ दिलचस्पी बढ़ती है। स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) कैसा होना चाहिए, इसको पांच भागों में विभाजित किया गया है।
- फिजिकल ग्रोथ (Physical Growth)
- कॉग्निटिव डेवलपमेंट (Cognitive Development)
- भावनात्मक और सामाजिक विकास (Emotional and Social Development)
- मोटर डेवलपमेंट (Motor Development)
- लैंग्वेज डेवलपमेंट (Language development)
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फिजिकल ग्रोथ (Physical Growth)
स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) उनकी फिजिकल ग्रोथ और डेवलपमेंट पर निर्भर करता है।
- स्कूल जाने वाले बच्चे अच्छे से दौड़ और रस्सी कूद सकते हैं।
- चीजों के ऊपर से गुजर सकते हैं।
- अच्छी तरह से तैराकी कर सकते हैं या साइकिल चला सकते हैं।
- बॉल को फेंकने और कैच करने की कॉऑर्डिनेशन अच्छी होती है।
कॉग्निटिव डेवलपमेंट (Cognitive Development)
- स्कूल जाने वाले बच्चे अपना पता और फोन नंबर याद रख सकते हैं।
- वर्णमाला के अधिकांश अक्षरों को पहचानते हैं।
- 10 या अधिक वस्तुओं की गिनती कर सकते हैं।
- रंगों और अंगों का नाम बता सकते हैं।
- इस उम्र के बच्चे जानते हैं कि घरेलू वस्तुओं का उपयोग किस लिए किया जाता है, जैसे की धन, भोजन, या उपकरण। स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) इन बातों पर पूरी तरह से निर्भर होता है।
भावनात्मक और सामाजिक विकास (Emotional and Social Development)
भावनात्मक और सामाजिक विकास स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) का अहम हिस्सा है। इस दौरान यह बच्चे:
- नए दोस्त बनाते हैं और उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं।
- फेंटेसी को वास्तविकता से अलग करने में सक्षम होते हैं। लेकिन, मेकअप और ड्रेसअप खेलने में आनंद लेते हैं।
- लिंग के अनुसार अलग खेल के तरीकों को अपनाते हैं।
लैंग्वेज डेवलपमेंट (Language Development)
- स्कूल जाने वाले बच्चे किसी अन्य व्यक्ति के साथ सार्थक बातचीत कर सकते हैं।
- वस्तुओं के बीच संबंधों को समझते हैं।
- भविष्य काल का उपयोग कर सकते हैं जैसे “चलो कल चिड़िया घर चलें!”
मोटर डेवलपमेंट (Motor Development)
मोटर डेवलपमेंट, स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) कैसा होना चाहिए, इसका मुख्य हिस्सा है।
- स्कूल जाने वाले बच्चे रस्सी कूद सकते हैं।
- एक पैर पर हॉप कर सकते हैं।
- शौचालय का उपयोग स्वयं से करते हैं।
- अपने कपड़े खुद पहनने या उतारने की कोशिश करते हैं।
- ट्राइएंगल एंड अन्य जियोमेट्रिक शेप्स बना सकते हैं।
- वर्णमाला के कुछ अक्षरों को लिख सकते हैं।
- फोर्क और चम्मच का प्रयोग करने में सक्षम होंगे।
स्कूल जाने वाले बच्चे में होने वाले इमोशनल या मेंटल चेंजेज (Emotinal and mental changes)
अगर हमें बच्चों में इमोशनल डेवलोपमेंट (Emotional Development) के बारे में बात करनी हो या इसे समझना हो तो हम कह सकते हैं कि यह विभिन्न भावनाओं को प्रकट करने और नियंत्रित करने की क्षमता है। जीवन के पहले वर्षों के दौरान स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) इस बात पर भी निर्भर करता है। जानिए कि स्कूल जाने वाले बच्चों में सामान्य भावनात्मक विकास कैसे होता है।
- स्कूल जाने वाले बच्चे मौखिक रूप से अग्रेशन को व्यक्त करने में सक्षम होते हैं।
- उनका अपनी भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण होता है।
- वे दूसरों के साथ समझौता करना शुरू कर सकते हैं, जैसे खेल में अपने दोस्तों के साथ।
- वे एक सामान्य लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दूसरों के साथ काम करने का मजा लेते हैं।
- जब वे अपनीराय व्यक्त करते हैं और दूसरों को सुन भी सकते हैं।
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एक्सपर्ट से जानें इस उम्र के बच्चों की देखभाल के जरूरी टिप्स (Important childcare tips)
इस बारे में फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के न्यूरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ धनुश्री चोंकर का कहना है कि बच्चों में बढ़ रहा तनाव उनके हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। इसका असर उनके व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य दाेनों पर पड़ रहा है। ध्यान रहे कि आपने नियम किशोर के व्यवहार को बेहतर बनाने के लिए बनाएं हैं और उनका उल्लंघन होने पर यदि आप भी उनसे निरादर से बात करेंगे तो वह भी नियम का उल्लंघन ही होगा। युवावस्था में बच्चे के नियम तोड़ने पर उसे डांटने की बजाए उससे इसका कारण जानने की कोशिश करें और धैर्य से उसे समझाएं कि उसने जो किया वह अनुचित था।बढ़ रहे सोशल प्रेशर से बच्चों में स्ट्रेस और भी ज्यादा बढ़ने लगा है। इन सभी कारणों से किशोरों में हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। काउंसलर से मिलें। बच्चें से बात करना और उसकी बात समझना ही,इस स्थिति का सबसे अच्छा उपाय है।
स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) बच्चों की सेफ्टी से भी प्रभावित होता है। बच्चे की सुरक्षा से जुड़े कुछ टिप्स इस प्रकार हैं
साइकिल सेफ्टी (Cycle Safety)
- आपके बच्चे इस उम्र में साइकिल चलाने लगते हैं। ऐसे में उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें।
- सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा हर बार हेलमेट पहने। हेलमेट सिर की चोटों को रोकने में मदद करता है।
- सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे की साइकिल सही आकार की है। आपके बच्चे की साइकिल में कोस्टर ब्रेक होने चाहिए।
सड़क सुरक्षा (Road Safety )
- अगर आपका बच्चा खेलने के लिए सड़क या रास्ते पर जाता है तो उसके लिए यह असुरक्षित है। बच्चे को खेल के मैदान या पार्क में ले जाएं।
- सड़क पार करते हुए या सड़क पर जाते हुए हमेशा उसका हाथ पकड़े। बच्चों की हेल्थ (kids Health) के लिए यह आवश्यक है।
पानी से सुरक्षा (Water Safety)
- इस उम्र में आप अपने बच्चे को तैरना सीखा सकते हैं। लेकिन उसे कभी भी अकेले तैरने न दें।
- अपने बच्चे को अकेले किसी भी तरह के पानी (झील, पूल या समुद्र) के आसपास खेलने न दें।
- किसी भी नाव पर जाते हुए सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा एक लाइफ जैकेट (Life Jacket) पहने हुए हो ।
आग से सुरक्षा (Fire Safety)
- घरेलू आग आपके बच्चे के जीवन के लिए खतरा है, साथ ही साथ आपके भी। अपने घर में स्मोक अलार्म लगाएं।
- अपने बच्चे को माचिस या लाइटर से न खेलने दें और इन्हें अपने बच्चे की पहुंच से बाहर रखें।
- इसके अलावा, अपने घर में धूम्रपान न करें, न ही किसी को करने दें।
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कार सुरक्षा (Car Safety)
- कार दुर्घटनाएं आपके बच्चे के जीवन और स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। कम गति पर भी कार के किसी चीज से टकराने या अचानक रुकने पर आपके बच्चे के मस्तिष्क में चोट लग सकती है।
- इन चोटों से सुरक्षा के लिए बच्चे के लिए कार सुरक्षा सीट (Car safety seat) या बूस्टर सीट (booster seats) का प्रयोग करें। इसके साथ ही कार सीट बेल्ट का सही से प्रयोग करें।
उचित और अनुचित स्पर्श (Appropriate and Inappropriate Touch)
- इस उम्र में आप अपने बच्चे को शरीर के अंगों के नाम सिखा रहे होंगे, इसके साथ ही उसे उचित और अनुचित स्पर्श के बारे में भी बताएं।
- उन्हें समझाएं कि किसी को भी उनके निजी अंगों को न छुनें दें। हालांकि उन्हें इसके लिए कुछ अपवादों के बारे में भी बताएं जो किन्हीं कारणों से इन्हें छू सकते हैं जैसे नहलाते हुए मां, पिता या दादी आदि।
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स्कूल जाने वाले बच्चों का खानपान कैसा होना चाहिए (Diet of School going Kids)
बात स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) के बारे में हो और उसके आहार की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता।
उनका आहार पांच हेल्दी फूड ग्रुप्स में होना चाहिए जैसे सब्जियां, फल, अनाज, डेयरी और प्रोटीन। जानिए, बच्चे को क्या खाना चाहिए:
- ताजे और मौसमी फल
- हरी सब्जियां
- साबुत अनाज
- डेयरी उत्पाद
- प्रोटीन युक्त आहार जैसे अंडे, दूध, दालों, नट्स, स्प्राउट्स
- पानी और अन्य स्वस्थ पेय पदार्थ
क्या न खिलाएं
- अधिक नमक और चीनी
- कच्चे और अधपके हुए अंडे
- कठोर या चिपचिपी टॉफी
- पीनट बटर
- कैफीन युक्त चीजें
- च्यूइंग गम
- मिर्च-मसाले वाले खाद्य पदार्थ
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जो बच्चे खाने में नखरे दिखाते हैं उनके लिए टिप्स
बच्चे स्कूल जा कर बहुत कुछ सीखते हैं, उनमें से एक है हर तरह के भोजन को खाना। लेकिन, कुछ बातों का ध्यान रख कर आप उसकी खाने के प्रति रूचि बढ़ा सकती हैं, जैसे:
- बच्चे के लिए रोज नयी-नयी डिशेस बनाएं। यही नहीं, उसके लिए रोजाना टिफिन अलग चीजें डालें, ताकि वो खुश हो कर उन्हें खाएं।
- बच्चे का खाना हमेशा रंग-बिरंगा और सजा हुआ होना चाहिए।
- उनके लिए उनके पसंदीदा कार्टून या जानवर आदि वाली क्रॉकरी खरीदे। जैसे टिफिन, बोतल, प्लेट आदि। इससे भी उसकी रूचि खाने की तरफ बढ़ेगी।
- बच्चे को खाने के लिए फाॅर्स न करें। ऐसा करने से उसकी रूचि कम होगी।
- खुद भी बच्चे के साथ बैठ कर खाएं। आपको देख कर भी वो हर तरह के आहार का सेवन करना सीखेगा।
स्कूल जाने वाले के लिए तीन हेल्दी रेसिपीज (Healthy Recipes)
जब आपका बच्चा स्कूल जाने लगता है, तो आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। बच्चा स्कूल जाएगा तो टिफिन में नयी-नयी डिशेस भी ले कर जाएगा। जानिए ऐसी कुछ हेल्दी डिशेस के बारे में जिन्हें बनाना आसान है और बच्चे के लिए भी वो सेहतमंद हैं।
पोहा (Poha)
पोहा एक हेल्दी रेसिपी है, जो आसानी से पच जाती है। नाश्ते या लंच के लिए यह बेहतरीन है।
सामग्री
- पोहे – एक कटोरी
- कड़ी पत्ता -2-3
- नींबू -1
- हरा धनिया- 1 चम्मच (कटा हुआ)
- राई -आधा चम्मच
- हल्दी पाउडर- आधा चम्मच
- मूंगफली के दाने- 8 -10
- तेल -2 चम्मच
- नमक स्वादानुसार
कैसे बनाएं
- सबसे पहले पोहे को अच्छे से धो लें और इसका पानी निकाल दें।
- अब एक कढ़ाई लें और उसमें तेल ड़ाल कर गर्म होने दें।
- अब तेल में राई और मूंगफली के दाने ड़ाल दें।
- पकने के बाद इसमें कड़ी पत्ता, हरी मिर्च और हल्दी पाउडर ड़ाल कर भुने ।
- इसके बाद इसमें पोहा और अन्य सभी मसालों को ड़ाल कर अच्छे से मिक्स कर लें।
- कुछ देर पकाने के बाद हरे धनिये से इसे सजाएं और नींबू भी ड़ाल सकते हैं।
दलिया (Daliya)
दलिया न केवल बच्चों की हेल्थ (Kids Health) के लिए अच्छा होता है बल्कि बच्चों को बेहद पसंद भी होता है। अगर आप इसे थोड़ा अलग तरीके से बनाएंगे तो बच्चे रोज मांगेंगे।
सामग्री
- दलिया – आधी कटोरी
- दूध – एक कटोरी
- घी- 2 चम्मच
- चीनी- स्वादानुसार
- सेब- बिना छिलका निकाले आधी कटोरी
कैसे बनाएं
- सबसे पहले दलिया को अच्छे से धो लें।
- प्रेशर कुकर में घी को गर्म करें और उसमे दलिया ड़ाल कर भुने।
- अब इसमें दूध डालें और कुकर बंद कर के दो सीटियां आने तक पकाएं।
- स्टीम निकल जाने के बाद इसमें चीनी और सेब के टुकड़े डालें और अच्छे से मिक्स कर लें।
- दलिया तैयार है।
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वेजिटेबल सैंडविच (Vegetable Sandwich)
सामग्री
- ब्रेड -चार स्लाइस
- बटर- 1 चम्मच
- खीरा-5 -6 स्लाइस (गोल कटे हुए)
- प्याज़-5 -6 स्लाइस (गोल कटे हुए)
- टमाटर-5 -6 स्लाइस (गोल कटे हुए)
- टोमेटो सॉस- 2 चम्मच
- काली मिर्च और नमक– स्वादानुसार
कैसे बनाएं
- वेजिटेबल सैंडविच बनाने के लिए सबसे पहले ब्रेड के स्लाइस के कोनों को काट लें।
- प्याज, टमाटर या खीरे को गोल आकर में काट लें।
- ब्रेड में बटर लगाएं और उस पर प्याज, टमाटर और खीरे के टुकड़ों को रख दें।
- अब इस पर नमक और काली मिर्च पाउडर ड़ाल दें।
- इसी के ऊपर सॉस लगाएं और दूसरे स्लाइस और इसके ऊपर रख दें।
- आपका वेजिटेबल सैंडविच तैयार है।
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स्कूल बच्चों के लिए प्रमुख फिजिकल एक्टिविटीज (Physical Activities) और इसके फायदे
इस उम्र के बच्चों में एनर्जी बहुत अधिक होती है। ऐसे में फिजिकल एक्टिविटी (Physical Activities) करने से न केवल बच्चा स्वस्थ रहता है बल्कि उसके शारीरिक और मानसिक विकास (Mental Development) में भी मदद मिलती है। जानिए इस उम्र में बच्चों को कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए।
हाइट बढ़ाने वाली एक्सरसाइज (Height enhancing exercise)
- अगर आप अपने बच्चे की हाइट बढ़ाना चाहते हैं तो स्ट्रेचिंग कराएं।
- पार्क में मौजूद झूलों पर लटकने से भी हाइट बढ़ने में मदद मिलती है।
- इसके साथ ही बास्केटबॉल (Basketball), बैडमिंटन (Badminton) व टेनिस (Tennis), स्विमिंग (Swimming) और साइकिलिंग (Cycling) से भी लाभ होगा।
- योगासन भी कद लंबा करने के लिए प्रभावी उपाय हैं। सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) और अधोमुख श्वानासन (Adho mukha svanasana) बच्चों का कद बढ़ाने के लिए सबसे अच्छे योगासन हैं। इससे स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going kids) सही रहता है
हड्डियों की मजबूती के लिए एक्सरसाइजेज (Exercise for bones)
- मसल्स को मजबूत करने के लिए बच्चों को दौड़ने के साथ-साथ रस्सी कूद (Skipping), होपिंग (Hopping), डांसिंग (Dancing) आदि करने चाहिए।
ध्यान केंद्रित करने के लिए तरीके (ways for concentration)
- बच्चों को याददाश्त बढ़ाने और ध्यान केंद्रित करने के लिए योगासनों के अलावा बॉल के साथ खेलना अच्छा उपाय है।
- साइकिल चलने के साथ ही इंडोर गेम्स जैसे चैस (Chess), स्क्रैबल (Scrabble), हाईड एंड सीक (Hide and Seek), ट्रेजर हंट (Treasure hunt) आदि भी बच्चों को खेलने चाहिए।
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स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य (Health of School going Kids) कैसा होना चाहिए, यह बात तो आप जान गए होंगे। इसके साथ ही इस समय बच्चे को आपके सपोर्ट की खास जरूरत होती है। इसलिए, अगर आप खाना बनाते हुए, मनी मैनेजमेंट में या घर के अन्य कामों में बच्चों को भी शामिल करेंगे। तो इससे भी बच्चे बहुत कुछ जानेंगे और सीखेंगे। यह सब भी बच्चों की हेल्थ (Kids Health) के लिए अच्छा है।