सेक्स के दौरान व्यक्ति कई तरह की सावधानियां बरतना भूल जाता है, तो ऐसे में अनचाहा गर्भ ठहरना, सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज आदि होने का जोखिम बढ़ जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ कपल ऐसा जानबूझ कर करते हैं। हमेशा विज्ञापनों, टीवी और अखबारों में आपने सुना होगा कि सुरक्षित यौन संबंध बनाएं, लेकिन कुछ लोगों को सुरक्षित यौन संबंध बनाने में सुरक्षा के तरीके अवरोध की तरह लगते हैं। ऐसे में वे लोग अपने पार्टनर के साथ बिना किसी बैरियर के सेक्स करना पसंद करते हैं। इस दौरान शरीर के कई तरह के द्रव एक-दूसरे के शरीर में ट्रांसफर हो जाते हैं। इस तरह के बॉन्डिंग को फ्लूइड बॉन्डिंग कहते हैं।
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फ्लूइड बॉन्डिंग क्या है?
फ्लूइड बॉन्डिंग व्यक्ति का खुद का फैसला है, इसमें व्यक्ति खुद तय करता है कि सेक्स के दौरान किसी भी बैरियर का इस्तेमाल करना है या नहीं। जो लोग फ्लूइड बॉन्डिंग करने के लिए सोचते हैं, वो सेक्स के दौरान बॉडी का तरल पदार्थ एक-दूसरे के साथ आदान प्रदान करते हैं। जिसमें सीमन, लार, ब्लड और इजैकुलेट भी शामिल है। सेफ सेक्स के दौरान कॉन्डम, डेंटल डैम आदि का इस्तेमाल बैरियर की तरह काम करता है। जिससे कई तरह की सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से रोकथाम होती है।
फ्लूइड बॉन्डिंग लोग क्यों करते हैं?
फ्लूइड बॉन्डिंग में बहुत सारे लोगों का मानना है कि बैरियर मेथेड से वो अपनी सेक्स लाइफ एंजॉय नहीं कर पाता है, लेकिन जो लोग फ्लूइड एक्सचेंज करते हैं, वे लोग सिर्फ एक व्यक्ति के साथ कमिटेड रहते हैं। ऐसे लोगों में अगर फ्लूइड बॉन्डिंग होती है तो वे काफी आत्मविश्वास के साथ एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप का आनंद लेते हैं, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि फ्लूइड एक्सचेंज से कोई खास भावनात्मक जुड़ाव होता है।
क्या बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर से इमोशनल बॉन्डिंग बढ़ती है?
कुछ कपल्स का मानना है कि बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर करने से हमारे बीच में इमोशनल बॉन्डिंग बढ़ती है। उनका ये भी मानना है कि ऐसा करने से उनके रिश्ते को एक नई दिशा मिलती है। बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर करने से डीपर फिजिकल कनेक्शन का एहसास होता है। ऐसे में वे बिना किसी चिंता से सेफ सेक्स करते हैं, लेकिन फिर भी सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन होने का जोखिम तो होता ही है।
फ्लूइड बॉन्डिंग बहुत सारे लोग एक से अधिक लोगों के साथ भी करते हैं। इससे यौन संचारित रोग फैलते हैं, लेकिन ऐसा करने के पीछे उनकी साइकोलॉजी जिम्मेदार होती है। ऐसा करने से उन्हें लगता है कि उन्होंने सेक्स के सभी स्टेप्स को बिना किसी बैरियर के कम्प्लीट किया है।
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क्या कहती है रिसर्च
न्यूयॉर्क के रोचेस्टर यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में 50 महिलाओं और पुरुषों को शामिल किया गया। जिसमें से 25-25 महिलाओं और पुरुषों के जोड़ों को इंटिमेट होने के लिए कहा गया। 25 कपल्स को सेफ सेक्स करने की हिदायत दी गई, जबकि 25 कपल्स फ्लूइड एक्सचेंज करने के लिए तैयार थे। इंटिमेसी के बाद जब उनसे पूछा गया तो सेफ सेक्स करने वाले कपल्स की तुलना में फ्लूइड ट्रांसफर करने वाले कपल्स एक-दूसरे के साथ ज्यादा इमोशनल बॉन्डिंग महसूस की। इस रिसर्च ने ये निष्कर्ष निकाला कि फ्लूइड बॉन्डिंग से कपल्स में इमोशनल अटैचमेंट बढ़ता है।
फ्लूइड बॉन्डिंग कितनी सुरक्षित है?
सभी सेक्शुअल एक्टिविटीज जोखिम भरी होती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि रिलेशनशिप में बैरियर का इस्तेमाल करने से बर्थ कंट्रोल होता है। अगर आप एक ही पार्टनर के साथ इस तरह की बॉन्डिंग का फैसला करते हैं, तो कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपके रिस्क को कम कर सकती हैं :
अपने साथी के लिए ईमानदार बनें
अपने पार्टनर के लिए ईमानदार बनें। इसके लिए आपको पहले और वर्तमान में किसी और के साथ रिलेशनशिप में नहीं रहना चाहिए। ये विश्वास आपके और आपके रिश्ते के लिए अच्छा होता है।
अपनी जांच कराएं
क्या आपको कोई सेक्सुअल डिजीज है? अगर नहीं पता है तो जरूर अपनी जांच कराएं। बेसिक स्क्रीनिंग कराने से सभी तरह की सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का पता नहीं चलता है। इसलिए अपनी सेक्शुअल हिस्ट्री के बारे में डॉक्टर से जरूर बात कर लें। क्योंकि अगर आप ओरल सेक्स करते हैं तो आपको मुंह की भी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में आपको अपने मुंह से लेकर गले तक की जांच करानी पड़ सकती है।
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कुछ बैरियर का इस्तेमाल जरूर करें
सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन आसानी से ना फैलें इसलिए आपको थोड़े बैरियर इस्तेमाल करने की जरूरत है। जैसे- एचआईवी किस करने से नहीं फैलता है, लेकिन ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) और हर्पीस किस करने से भी फैल सकता है।
गर्भनिरोधक का करें इस्तेमाल
अगर आप प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती है और किसी प्रकार के बैरियर का इस्तेमाल नहीं करना चाहती हैं तो आपको बर्थ कंट्रोल पिल या आईयूडी का इस्तेमाल करना चाहिए।
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फ्लूइड बॉन्डिंग किस प्रकार के सेक्स में होती है?
फ्लूइड बॉन्डिंग ऐसे किसी भी प्रकार के सेक्स में हो सकती है, जिसमें सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होने का खतरा हो। पेनिस और वजायनल सेक्स, ओरल सेक्स, एनल सेक्स में फ्लूइड बॉन्डिंग हो सकती है। इसके अलावा सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज सेक्स टॉय को किसी और के साथ ट्रांसफर करने से भी फैलती हैं। क्योंकि सेक्स टॉय से भले ही फ्लूइड ट्रांसफर ना हो, लेकिन बैक्टीरियाऔर वायरस जरूर ट्रांसफर हो जाते हैं। इसलिए जब भी सेक्स टॉय का इस्तेमाल करें तो उसके बाद उसकी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
क्या सभी प्रकार के असुरक्षित यौन संबंध फ्लूइड बॉन्डिंग है?
असुरक्षित यौन संबंध का मतलब होता है कि बिना किसी बैरियर के पार्टनर के साथ सेक्स करना, लेकिन फ्लूइड बॉन्ड सभी तरह के अनसेफ सेक्स में नहीं होता है। फ्लूइड बॉन्ड कपल जानबूझ कर बनाते हैं। वहीं, कई बार सेफ सेक्स होने के बावजूद कॉन्डम फटने के कारण जो फ्लूइड ट्रांसफर होता है, उसे फ्लूइड बॉन्ड नहीं कहते हैं। वहीं विथड्रा सेक्स मेथेड को अपनाने के बाद भी फ्लूइड ट्रांसफर नहीं होता है, लेकिन ये एक असुरक्षित सेक्स ही माना जाएगा।
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फ्लूइड बॉन्ड में सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के रिस्क को कैसे कम करें?
फ्लूइड बॉन्डिंग के लिए सबसे बड़ा नियम है विश्वास रखना। किसी एक ही व्यक्ति के साथ हमेशा कमिटेड रहना। ऐसे में अगर आपको फ्लूइड ट्रांसफर करते हुए अपनी सेक्स लाइफ को बिना किसी रिस्क के एंजॉय करना है तो आपको सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जांच समय-समय पर करानी होगी। सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जांच ना सिर्फ आपके लिए जरूरी है, बल्कि आपके पार्टनर के लिए भी जरूरी है।
यूं तो आपको हर महीने पर सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का टेस्ट जरूर कराना चाहिए, लेकिन अगर संभव ना हो तो एक साल में जरूर टेस्ट कराएं। कई बार आप सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जांच कराते हैं तो आपको दो से तीन हफ्ते का का अंतराल अपनी सेक्स लाइफ में रखना चाहिए। क्योंकि कई सारे सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन ऐसे भी होते हैं, जिनका रिजल्ट टेस्ट में पॉजिटिव नहीं होता है।
कुछ सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के टेस्ट आपको जल्दी-जल्दी कराने की जरूरत है :
- एचआईवी की जांच फ्लूइड ट्रांसफर के तीन हफ्ते बाद कराएं।
- गोनोरिया का टेस्ट फ्लूइड ट्रांसफर के दो हफ्ते बाद कराएं।
- क्लैमाइडिया की जांच फ्लूइड ट्रांसफर के दो हफ्ते बाद कराएं।
- सिफिलिस की जांच फ्लूइड ट्रांसफर के छह हफ्ते, तीन महीने और छह महीने बाद कराएं।
- जेनाइटल हर्पीस का टेस्ट फ्लूइड ट्रांसफर के तीन हफ्ते बाद कराएं।
- जेनाइटल वार्ट की जांच लक्षणों के प्रदर्शित होने पर कराएं।
अगर आपका टेस्ट पॉजिटिव आता है तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और साथ ही अपने पार्टनर के साथ भी इस बात को शेयर करें। अगर जरूरत हो तो फ्लूइड ट्रांसफर न करें। उम्मीद है कि फ्लूइड बॉन्डिंग का आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इसमें बताई गई जानकारी को समझें और अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल जानकारी नहीं दे रहा है।
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