ऑर्थोपनिया (Orthopnea) सांस लेने में समस्या को कहा जाता है, जो कुछ व्यक्ति तब महसूस करते हैं जब वो लेटे होते हैं। लेकिन, खड़े होने या बैठ जाने पर उनकी यह समस्या दूर हो जाती है। ऑर्थोपनिया में ऑर्थो का मतलब होता है “स्ट्रेट या सीधा”, जबकि पनिया का मतलब होता है “सांस लेना”। इस समस्या को अक्सर हार्ट फेलियर (Heart Failure) का लक्षण माना जाता है। किन्तु, इसका कारण कुछ अन्य स्थितियां भी हो सकती हैं जैसे लंग डिजीज (Lung Disease), अन्य हार्ट कंडीशंस (Heart Condtions) और मोटापा (Obesity) आदि। तो आइए जानते हैं ऑर्थोपनिया (Orthopnea) के बारे में विस्तार से।
ऑर्थोपनिया क्या है? (Orthopnea)
ऑर्थोपनिया (Orthopnea) से पीड़ित व्यक्ति को नीचे लेटते ही सांस लेने में परेशानी होने लगती है। लेकिन, जब वो बैठ या खड़ा हो जाता है तो सांस सामान्य रूप से आने लगती है। यह समस्या अन्य ब्रीदिंग प्रॉब्लम्स से अलग है जैसे :
- डीस्पनिया (Dyspnea) : इस रोग में रोगी को किसी भी स्थिति में सांस लेने की समस्या हो सकती है। इसमें पोजीशन से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
- प्लैटिपनिया (Platypnea) : यह ब्रीदिंग प्रॉब्लम तब होती है जब रोगी खड़ा होता है।
- ट्रेपोपनिया (Trepopnea) : एक साइड पर सोने पर इस रोग में मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है।
- परोक्सिमल नोक्टर्नल डिस्पनिया (Paroxysmal Nocturnal Dyspnea) : ऑर्थोपनिया (Orthopnea), प्रॉक्सिमल नोक्टर्नल डिस्पनिया (Paroxysmal Nocturnal Dyspnea) से भी अलग बीमारी होती है। जो एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें रोगी सोते हुए सांस लेने में समस्या महसूस करता है। इसके लक्षण तब शुरू होते हैं जब रोगी सोता है और अचानक सांस लेने में समस्या के कारण वो एकदम उठ जाता है। ऑर्थोपनिया (Orthopnea) की तरह, इसमें भी स्थिति को बदलने से सांस लेने में सुधार होता है। लेकिन, जब सांस लेने की समस्या होती है, तो आराम करना मुश्किल होता है। इन दोनों बीमारियों में समानता यह है कि यह दोनों स्थितियां नींद को बाधित कर सकती हैं। जानिए क्या हैं ऑर्थोपनिया के लक्षण?
और पढ़ें : ब्रीदिंग एक्सरसाइज से मालिश तक ये हैं प्रसव पीड़ा को कम करने के उपाय
ऑर्थोपनिया के लक्षण कौन से हैं? (Symptoms of Orthopnea)
ऑर्थोपनिया (Orthopnea) अपने आप में एक कंडीशन के बजाय लक्षण है। सांस की तकलीफ के लिए प्रयोग की जाने वाली मेडिकल टर्म डिस्पनिया है। ऑर्थोपनिया एक प्रकार का डिस्पनिया है, जो केवल तब होता है जब प्रभावित व्यक्ति लेटा होता है। लोग ऑर्थोपनिया (Orthopnea) को छाती में कसाव जैसी फीलिंग के रूप में भी परिभाषित करते हैं, जिससे उन्हें सांस लेने में समस्या या बेचैनी होती है। कुछ लोग इस दौरान छाती में दर्द को भी महसूस करते हैं। यह समस्या माइल्ड या गंभीर हो सकती है। कुछ लोग इसके लक्षणों को बहुत कम नोटिस करते हैं। इसके कई अन्य लक्षण हो सकते हैं, जो किन्हीं अंडरलायिंग कारण पर भी निर्भर करते हैं। जैसे ऑर्थोपनिया (Orthopnea) का सबसे सामान्य कारण हार्ट फेलियर(Heart Failure) है। इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं
- थकावट (Fatigue)
- भूख में बदलाव (Changes in Appetite)
- जी मचलना (Nausea)
- बेचैनी (Confusion)
- हार्ट रेट का बढ़ना (Increased Heart Rate)
- लगातार खांसी या व्हीजिंग (Persistent Coughing or Wheezing)
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार डिस्पनिया सांस लेने की समस्या से संबंधित एक गंभीर रोग है। रोगियों द्वारा अनुभव की जाने वाली कई अलग-अलग सेंसेशंस इस श्रेणी में शामिल हैं। पल्मोनरी डिजीज के रोगियों में सांस की तकलीफ का सबसे आम कारण डिस्पनिया है। ऐसा माना जाता है कि ऑर्थोपनिया (Orthopnea), डिस्पनिया (Dyspnea) का एक लक्षण है। अबऑर्थोपनिया (Orthopnea) कारणों के बारे में जानिए।
और पढ़ें : दिल के साथ-साथ हार्ट वॉल्व्स का इस तरह से रखें ख्याल!
ऑर्थोपनिया के कारण कौन से हैं? (Causes of Orthopnea)
ऐसा माना जाता है कि ऑर्थोपनिया (Orthopnea) की समस्या आमतौर पर इसलिए होती है क्योंकि रोगी का दिल इतना मजबूत नहीं होता है कि वो फेफड़ों द्वारा भेजे गए पूरे खून को पंप आउट कर सके। इसे हार्ट फेलियर भी कहा जाता है। हार्ट डिजीज(Heart Disease) , कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) , हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और अन्य समस्याएं कमजोरी का कारण बन सकती है। हार्ट फेलियर के कारण फेफड़ों के आसपास तरल पदार्थ जमा हो जाता है और बाद में अंदर रिसने लगता है।
लेकिन, अब सवाल यह है कि जब हम लेटते हैं तो यह समस्या बदतर क्यों हो जाती है? इसके पीछे भी एक कारण है। हम एक आधी भरी हुई पानी की बोतल का उदहारण लेते हैं। अगर हम इसे सीधा खड़ा करते है, तो इसमें हवा के लिए अच्छी स्पेस होता है। लेकिन, जैसे ही आप इसे लिटाते हैं, तो पानी बोतल की एक साइड को कवर कर लेता है। ऐसा ही हमारे लंग्स के साथ भी होता है जब हम लेटते हैं और जब हमें सांस लेने में समस्या होती है। यही नहीं, जब हम लेटते हैं तो खून टांगों और पैरों से छाती और पेट तक मूव करता है। सामान्यतया यह कोई समस्या नहीं है। लेकिन,अतिरिक्त प्रेशर के कारण एक कमजोर हार्ट अतिरिक्त ब्लड को पंप नहीं कर पाता। ऐसे में हमारे लंग्स जब हम खड़े होते हैं, उसकी तुलना में बहुत अधिक फ्लूइड को अब्सॉर्ब कर सकते हैं।
दुर्लभ मामलों में लंग्स में फ्लूइड के कुछ नॉन-हार्ट रिलेटेड कारण भी हैं जैसे:
- एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (Acute Respiratory Distress Syndrome) : इसका कारण ट्रामा, इंफेक्शन या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
- हाय-एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (High-Altitude Pulmonary Edema) : यह समस्या तब होती है जब आप हाय-एल्टीट्यूड वाली जगह (आमतौर पर 8,000 फीट से अधिक ऊंचाई) तक जल्दी ट्रेवल करते हैं या वहां के आदि होने से पहले ही अधिक एक्टिव हो जाते हैं।
- नर्वस सिस्टम ट्रामा (Nervous System Trauma) : यह समस्या एक्सीडेंट, सीजर या ब्रेन सर्जरी आदि के कारण हो सकती है।
- ड्रग रिएक्शन (Drug Reaction) : ड्रग रिएक्शन किसी अवैध ड्रग जैसे कोकीन या ओवर द काउंटर दवाईयां जैसे एस्पिरिन के कारण हो सकता है ।
- ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) : पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary Embolism) में टांगों से लेकर लंग तक क्लॉट ट्रेवल कर सकता है।
- टॉक्सिंस (Toxins) : हवा के माध्यम से स्मोक या अन्य टॉक्सिंस को ब्रीद करना। जानिए, किस तरह से संभव है इस बीमारी का निदान?
और पढ़ें : हार्ट अटैक के बाद डायट का रखें खास ख्याल! जानें क्या खाएं और क्या न खाएं
ऑर्थोपनिया का निदान (Diagnosis of Orthopnea)
ऑर्थोपनिया (Orthopnea) किसी अन्य कंडीशन का लक्षण हो सकता है जैसे हार्ट फेलियर (Heart Failure)। ऐसे में डॉक्टर सबसे पहले अंडरलायिंग कारण को पहचानने की कोशिश करेंगे। डॉक्टर सांस लेने में समस्या की टाइमिंग और गंभीरता को चेक करने के लिए शारीरिक जांच भी कर सकते हैं। वो रोगी के अन्य लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही आपके डॉक्टर इन टेस्ट्स को करवाने की सलाह दे सकते हैं:
छाती का एक्स-रे या सीटी-स्कैन (Chest X-Ray or CT Scan)
छाती का एक्स-रे या सीटी-स्कैन छाती के अंदर की तस्वीर पाने के लिए किया जाता है, ताकि डॉक्टर को यह पता चले कि आपके फेफड़ों या हार्ट में कोई समस्या तो नहीं है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (Electrocardiography)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी को ECG के नाम से जाना जाता है। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी में रोगी की त्वचा में सेंसर्स लगाए जाते हैं, ताकि दिल के इलेक्ट्रिक सिग्नल ( electrical signals) को मापा जा सके। डॉक्टर हार्ट की फंक्शनिंग को जांचने के लिए ECG करवा सकते हैं।
और पढ़ें : हार्ट वॉल्व का क्या होता है काम? जानिए हार्ट वॉल्व से जुड़ी समस्याओं के बारे में
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इकोकार्डियोग्राम को इको टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह का अल्ट्रासाउंड स्कैन (Ultrasound Scan) है। जिसमें हार्ट की इमेज को बनाने के लिए साउंड वेव्स (Sound Waves) का प्रयोग किया जाता है।
पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट्स (Pulmonary Function Tests)
इस टेस्ट में स्पिरोमेट्री (Spirometry) शामिल होता हैं। जिसमें रोगी को एक मशीन में सांस लेनी होती है। इससे डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद मिल सकती है कि फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं।
Quiz : कितना जानते हैं अपने दिल के बारे में? क्विज खेलें और जानें
आर्टेरियल ब्लड गैस (Arterial Blood Gas)
यह एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है, जो यह जांचता है कि रोगी को को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल रही है या नहीं।
ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests)
ब्लड टेस्ट करने के लिए रोगी के शरीर से छोटी मात्रा में खून निकाला जाता है। डॉक्टर उस खून का प्रयोग कई कंडीशंस के निदान के लिए किया जाता है। अब पाइए जानकारी ऑर्थोपनिया (Orthopnea) के उपचार के बारे में।
और पढ़ें : टॉप 10 हार्ट सप्लिमेंट्स: दिल 💝 की चाहत है ‘सप्लिमेंट्स’
ऑर्थोपनिया के उपचार (Treatment of Orthopnea)
ऑर्थोपनिया (Orthopnea) के उपचार का उद्देश्य लक्षणों को कम करना और अंडरलायिंग कारणों को मैनेज करना शामिल है। कुछ लोग अधिक ऊंचे स्थान पर सोने से अस्थायी रूप से लक्षणों को दूर करने में सक्षम हो सकते हैं। ऐसा करने का एक आसान तरीका है तकिए का उपयोग करके ऊपरी शरीर को ऊपर उठाना। इसके साथ ही गद्दे के नीचे फोम वैजिज लगाने या लकड़ी के ब्लॉकों का उपयोग करके बिस्तर के सिरे को ऊपर उठाने का प्रयास भी किया जा सकता है।
अगर किसी का वजन बहुत अधिक है या कोई व्यक्ति मोटापे का शिकार है, तो वजन को कम करके भी ऑर्थोपनिया (Orthopnea) के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर या डायटिशन आपको सही व्यायाम या डायट प्लान की सलाह दे सकते हैं। किसी व्यक्ति के ऑर्थोपनिया (Orthopnea) के अंडरलायिंग कारण के आधार पर, डॉक्टर निम्नलिखित दवाएं लिख सकते हैं, जैसे:
- एंटी-इंफ्लेमेशन दवाईयां (Anti-Inflammatory Medications)
- फेफड़ों से बलगम को साफ करने के लिए दवाईयां (Drugs to Clearance of Mucus)
- स्टेरॉइड्स (Steroids)
- डायूरेटिक्स (Diuretics)
- वासोडिलेटर (Vasodilator)
- इनोट्रोपिक ड्रग्स (Inotropic Drugs)
ऑर्थोपनिया (Orthopnea), अंडरलायिंग हार्ट कंडीशन (Underlying Heart Condition) का लक्षण हो सकता है। इस कंडीशन के उपचार में लाइफस्टाइल में बदलाव और देखभाल शामिल है। हार्ट की स्थिति की गंभीरता के आधार पर, किसी व्यक्ति को कभी-कभी सर्जरी (Surgery) की आवश्यकता भी हो सकती है।
और पढ़ें : औरतों में हार्ट डिजीज के ये संकेत पड़ सकते हैं भारी, न करें अनदेखा
ऑर्थोपनिया से बचाव कैसे किया जा सकता है? (Prevention of Orthopnea)
ऑर्थोपनिया (Orthopnea) किन्हीं स्थितियों में जानलेवा साबित हो सकती है अपने लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव कर भी आप इस समस्या से बच सकते हैं और एक अच्छी गुणवत्ता वाली लाइफ जी सकते हैं। जानिए क्या हैं इससे बचने और हेल्दी रहने के कुछ आसान टिप्स:
- ब्लड प्रेशर को मैनेज करें (Manage Blood Pressure)
- ब्लड शुगर को नॉर्मल रेंज में रखें (Control Blood Sugar)
- हमेशा हेल्दी डायट लें (Consume Healthy Diet)
- रोजाना व्यायाम करें (Exercise Regularly)
- हेल्दी बॉडी वेट को मेंटेन करें (Maintain Healthy Body Weight)
- स्मोकिंग करना छोड़ दें (Stop Smoking)
- तनाव से दूर रहें (Avoid Stress)
और पढ़ें : हार्ट के मरीजों में फ्लू वैक्सीन, दिल के दौरे के खतरे को कम करती है: एक्सपर्ट राय
यह तो थी इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी। आप जान ही गए होंगे कि ऑर्थोपनिया (Orthopnea) सांस लेने में समस्या है, जो तब होती है जब रोगी लेटा होता है और सीधे बैठने या उठने पर यह समस्या दूर हो जाती है। इसका उपचार भी इस बात पर निर्भर करता है कि इस समस्या का कारण क्या है या यह कितनी गंभीर है। इसके और इसके कारणों के लक्षणों को कम करने के लिए दवाईयां और अन्य ट्रीटमेंट भी प्रभावी होते हैं। अगर कोई भी इस समस्या के लक्षणों को महसूस करता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना और इसके अंडरलायिंग कारणों के बारे में जानना जरूरी है। इसके साथ ही आवश्यक है हेल्दी हैबिट्स को अपनाना, ताकि आपको क्वालिटी लाइफ जीने में मदद मिल सके। मन में ऑर्थोपनिया (Orthopnea) से जुड़ा कोई भी सवाल या चिंता होने पर भी डॉक्टर की सलाह लें, ताकि आपको सही मार्गदर्शन प्राप्त हो।
[embed-health-tool-heart-rate]