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खाने से एलर्जी और फूड इनटॉलरेंस में क्या है अंतर, जानिए इस आर्टिकल में

खाने से एलर्जी और फूड इनटॉलरेंस में क्या है अंतर, जानिए इस आर्टिकल में

कई बार किसी खास प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन करने से पाचन संबंधी परेशानी हो जाती है, वहीं खाना सामान्य रूप से नहीं पचने के कारण डायजेशन में दिक्कत होती है। इसी समस्या को फूड इनटॉलरेंस कहा जाता है। कई मामलों में फूड इनटॉलरेंस के लक्षण और कारण फूड एलर्जी के समान ही दिखते हैं, ऐसे में आदमी इन दोनों के बीच कंफ्यूज हो जाता है।

सही मामलों में फूड एलर्जी शरीर के इम्यून सिस्टम में आए रिएक्शन के कारण होती है। इस कारण शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं। कुछ मामलों में तो कई प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं। यदि समय पर इसकी पहचान व इलाज न किया गया तो कई मामलों में एलर्जिक फूड रिएक्शन के कारण जान तक जा सकती है। इसलिए खाने की एलर्जी से सावधान रहने की आवश्यकता है।

वहीं फूड इनटॉलरेंस की समस्या कम घातक है, ज्यादातर मामलों में यह डायजेस्टिव समस्या से ही जुड़ी रहती है। यदि आपको भी फूड इनटॉलरेंस की समस्या है तो उस स्थिति में कम मात्रा में खाद्य पदार्थ का सेवन करना ही फायदेमंद होगा। ऐसा कर रिएक्शन को टाला जा सकता है। उदाहरण के तौर पर मान लें कि आपको लैक्टोस इनटॉलरेंस की समस्या है। तो ऐसी स्थिति में आप किसी भी प्रकार का डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध व अन्य का सेवन नहीं कर पाते हैं। एलर्जी दूर करने के लिए दवा भी दी जाती है। 

इन कारणों से हो सकती है फूड इनटॉलरेंस की समस्या

  • एंजाइम्स के न रहने के कारण, जिससे खाना आसानी से पच सके (लेक्टोस इनटॉलरेंस सामान्य उदाहरण)
  • खराब पेट : पेट में ऐंठन, कब्जियत या डायरिया के कारण
  • कई खाद्य पदार्थ से परेशानी : ड्राय फ्रूट्स को लंबे समय तक बचाकर रखने के लिए प्रिजर्वेटिव्स
  • का इस्तेमाल किया जाता है वहीं, केन के अंदर या फिर शराब में भी प्रिजर्वेटिव्स डाला जाता है इसका सेवन करने से संवेदनशील लोगों को अस्थमा की बीमारी हो सकती है।
  • तनाव या मनोवैज्ञानिक कारणों से : कई मामलों में कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से व्यक्ति क्यों बीमार पड़ता है उसके कारणों का पता अब तक नहीं चल पाया है।
  • सीलिएक डिजीज (celiac disease) : फूड एलर्जी होने के कारणों में सीलिएक डिजीज भी हैं। ऐसे में मरीज को गैस संबंधी परेशानी हो सकती, खाना पचाने में परेशानी भी हो सकती है, जॉइंट पेन और सिर दर्द भी हो सकता है। सिलिएक डिजीज से ग्रसित लोगों को एनफिलिक्स की बीमारी होने की संभावना कम रहती है। यह बीमारी ग्लूटेन (gluten) (गेहूं व अन्य अनाज में पाए जाना वाला प्रोटीन) का सेवन करने से होती है।

यदि आपको भी खाने से एलर्जी या खाने को लेकर किसी प्रकार की परेशानी है तो आपको डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए।

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फूड एलर्जी में खाने को नहीं अपनाता हमारा इम्यून सिस्टम

इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल, मुलुंड की फिजिशियन एंड इंफेक्शन डिजीज स्पेशलिस्ट डा. अनीता मैथवे का कहना है कि लोगों में एलर्जी होने के कई प्रकार हो सकते हैं, किसी धूल से हो जाती है, तो किसी को पानी से होती जाती है। बहुत से प्रकार हैं, इसी तरह किसी को फूड एलर्जी भी हो जाती है।खाने से एलर्जी उस स्थिति में होती है जब हमारा इम्यून सिस्टम खास प्रकार के खाद्य पदार्थ को नहीं अपनाता। बता दें कि कई ऐसे भी लोग हैं जिनके परिवार में मां-पिता को एलर्जी की समस्या होती है या फिर हे फीवर, अस्थमा और पित्त संबंधी परेशानी होती है।  जिसके लिए समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। यदि पेरेंट्स यानि मां व पिता दोनों को एलर्जी की समस्या है तो उस स्थिति में काफी चांस रहता है कि बच्चों को भी एलर्जी की समस्या हो। यदि आपको खाने से एलर्जी है तो खास सावधान रहना चाहिए।

कैसे काम करती है फूड एलर्जी

खाने से एलर्जी व फूड एलर्जी में इम्यून सिस्टम के दो भाग शामिल होते हैं। पहला इम्मयुनोग्लोबिन ई होता है। यह एक प्रकार का प्रोटीन है जिसे एंटीबॉडी कहा जाता है, यह हमारे ब्लड से शरीर में प्रवाहित होता है। वहीं दूसरे को मास्ट सेल्स कहा जाता है, जो हमारे पूरे बॉडी की टिशू में मौजूद होता है, खासतौर पर नाक, थ्रोट, लंग्स, स्किन और डायजेस्टिव ट्रैक में। पहली बार जब कुछ खाते हैं और आपको एलर्जी महसूस होती है तो उस स्थिति में कुछ खास सेल्स काफी मात्रा में शरीर में इम्मयूनोग्लोबिन ई तैयार करते हैं, जिसके कारण एलर्जी होती है। यह इम्मयूनोग्लोबिन ई मास्ट सेल्स की सतह से जुड़ते और हटते रहते हैं।

अगली बार जब आप फिर वही खाना खाते हैं तो उस स्थिति में एलर्जन इम्मयूनोग्लोबिन ई के साथ जुड़ते हैं, इस कारण मास्ट सेल्स हिस्टेमाइन (histamine) नाम का सेल्स रिलीज करता है। इन्हीं कैमिकल्स के निकलने से कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे में पेट की गर्मी या फिर स्टमक एसिड से भी यह फूड एलर्जी समाप्त नहीं होती और हमारे रक्त कोशिकाओं में चली जाती है। वहीं रक्त कोशिकाओं से ही शरीर में चले जाते हैं और मरीज में लक्षण देखने को मिलते हैं। इसके लक्षण आने में कुछ समय लग सकता है। पीड़ित व्यक्ति को मुंह में खुजली महसूस हो सकती है वहीं, उल्टी, डायरिया या पेट दर्द होने के साथ ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। वहीं एलर्जी जब स्किन तक पहुंच जाए तो उस स्थिति में एग्जिमा के लक्षण भी दिख सकते हैं। लक्षण दिखने में कुछ मिनट से लेकर घंटे का समय लग सकता है। शरीर में ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। यदि आपको भी खाने से एलर्जी या खाने को लेकर किसी प्रकार की परेशानी है तो आपको डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए।

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व्यस्को को यह खाने से एलर्जी हो सकती है

  • मूंगफली
  • अखरोट
  • शेलफिश के साथ झींगा, क्रेफिश, केकड़ा, लॉबस्टर

बच्चों में इनको खाने से एलर्जी

व्यस्कों की एलर्जी जाती नहीं है बल्कि बच्चों में एलर्जी की संभावना बढ़ती जाती है। यदि एलर्जी का सही समय पर इलाज न किया गया तो परेशानी और बढ़ जाती है और आगे चलकर दूध, अंडा, मूंगफली और मछली का सेवन करने से भी व्यक्ति को एलर्जी हो सकती है। जो आए दिन लोग खाना खाते हैं उससे एलर्जी की ज्यादा संभावना होती है। जापान में राइस एलर्जी की संभावना काफी ज्यादा रहती है।

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एक्सरसाइज के पहले न करें एलर्जी वाले फूड का सेवन

यदि आपको खाने से एलर्जी और फूड एलर्जी है और आप एक्सरसाइज करते हैं तो ऐसे में आपको तब तक असर नहीं होगा जब तक आपका शरीर गर्म नहीं हो जाता। जैसे जैसे शरीर का तापमान बढ़ता है तो उस स्थिति में शरीर में खुजली हो सकती है, वहीं एनाफेलेक्सिस (anaphylaxis) भी हो सकता है। ऐसे में इसका एक ही इलाज है कि एक्सरसाइज करने के कुछ घंटे पहले तक उस खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना है जिससे आपको एलर्जी हो। यदि आपको भी खाने से एलर्जी या खाने को लेकर किसी प्रकार की परेशानी है तो आपको डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए।

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फूड एलर्जी का ऐसे लगाया जाता है पता

सामान्य तौर पर खाने से एलर्जी और फूड एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति से डॉक्टर आमतौर पर कुछ सवाल करते हैं, जैसे क्या रिएक्शन काफी जल्द आता है, खाने के एक घंटे में ही रिएक्शन दिखता है? क्या कोई और भी इस बीमारी से पीड़ित है?, रिएक्शन के पूर्व आपने कितनी मात्रा में खाद्य पदार्थ का सेवन किया, खाने को कैसे तैयार किया गया, क्या आप एंटीहिस्टेमाइन का सेवन करते हैं, क्या यह वाकई कारगर है?, क्या यह अक्सर होता है जब आप यह खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं?

इन तमाम चीजों को जानकर आप फूड एलर्जी से ग्रसित हैं या नहीं एक्सपर्ट इसकी जानकारी हासिल करता है। कई मामलों में तो डॉक्टर आपको डायरी मेंटेन करने को भी बोल सकता है, खाने के बाद आपमें क्या कुछ रिएक्शन हुए उसे नोट करने को कह सकता है।

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फूड एलर्जी के टेस्ट

खाने से एलर्जी की बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर स्कैच पंक्चर टेस्ट कर सकता है। इसके तहत डॉक्टर व टेक्नीशियन खास प्रकार का फूड से तैयार किया सॉल्यूशन हाथ के पीछे या फिर पीठ पर रखता है, वहीं स्किन में आए परिवर्तन, स्वेलिंग, रेडनेस आदि की जांच करता है। स्किन टेस्ट जल्दी होने के साथ आसान व सेफ है, लेकिन एक्सपर्ट सिर्फ यही टेस्ट की सलाह नहीं देते। इसके अलावा साइटोटॉक्सिटी टेस्टिंग कर जिसमें ब्लड सेंपल की जांच की जाती है। वहीं सबलिंग्वल और सबक्यूटेनियस प्रोएक्टिव चैलेंज एक प्रकार का स्किन टेस्ट है इसकी जांच कर फूड एलर्जी का पता लगाया जाता है। वहीं इम्मयून कॉम्पलेक्स एसे और इम्मयूनोग्लोबिन एसे की जांच कर भी बीमारी का पता लगाया जाता है। यदि आपको भी खाने से एलर्जी या खाने को लेकर किसी प्रकार की परेशानी है तो आपको डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए।

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सामान्य फूड इनटॉलरेंस पर एक नजर

कई मामलों में फूड इनटॉलरेंस के कारण सिर्फ समस्या ही होती है। शोध में पता चला कि विश्व में करीब 20 फीसदी लोग फूड इनटॉलरेंस की समस्या से ग्रसित हैं। बता दें कि डेयरी प्रोडक्ट और दूध में लेक्टोस पाया जाता है। कई लोगों को इसे पचाने में दिक्कत होती है। लोगों को पेट दर्द, सूजन, डायरिया, गैस, जी मचलाना जैसी समस्या हो सकती है। शरीर में इस प्रकार की दिक्कत हो तो डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।

ग्लूटेन : गेहूं में पाए जाने वाले प्रोटीन को ग्लूटेन कहा जाता है। इसके सेवन के कारण भी मरीज को जी मचलाना, पेट दर्द, डायरिया और कब्जियत, सिर दर्द, थकान, जोइंट पेन, स्किन रैश, तनाव व गुस्सा और एनीमिया की शिकायत हो सकती है। बता दें कि ग्लूटेन ब्रेड, पास्ता, दाल, बियर, बेक किए हुए खाने के सामान, सोया सॉस के साथ कई सॉस में पाया जाता है।

कैफीन : कॉफी, सोडा, चाय और एनर्जी ड्रिंक में पाए जाने वाला कैफीन कई लोगों के लिए घातक हो सकता है। इसका सेवन करने से दिल जोर- जोर से धड़कना, गुस्सा, अनिद्रा, घबराहट, बेचैनी की समस्या हो सकती है।

सैलिसिलेट्स (salicylates) : सेलिकेलेट्स नैचुरल कैमिकल है जिसे प्लांट उत्पन्न करता है वहीं इससे कीड़े मकौड़े दूर रहते हैं। इसके कारण जिन लोगों को दिक्कत होती है उन्हें नाक बहना, साइनस इंफेक्शन का खतरा, अस्थमा, डायरिया, कोलाइटिस और हिव्स जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

एंजाइम्स : खाद्य पदार्थ को लंबे समय तक स्टोर कर रखने के कारण उसमें एंजाइम्स उत्पन्न होते हैं। इसका सेवन करने से व्यक्ति की त्वचा का फूलना, सिर दर्द, खुजली, गुस्सा, पेट में मरोड़, लो ब्लडप्रेशर की समस्या हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि जिन लोगों को इससे दिक्कत हो उन्हें फर्मेटेड फूड, कर्ड मीट, ड्राय फ्रूट्स, सिट्रस फ्रूट, एज्ड चीज, स्मोक्ड फिश, विनेगर, फरमेटेड एल्कोहल और बियर का सेवन नहीं करना चाहिए।

सल्फाइट्स : खाने को लंबे समय तक बचाकर रखने के लिए सल्फाइट्स का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ दवा व ड्रिंक में भी इसका इस्तेमाल होता है। अंगूर और एज्ड चीज में यह प्राकृतिक तौर पर भी पाए जाते हैं। सल्फेट सेंसिटिविटी के कारण स्किन में सूजन, नाक बहना, हायपोटेंशन, डायरिया, कफिंग और विजिंग के लक्षण दिख सकते हैं। ऐसे में लोगों को ड्राय फ्रूट्स, शराब, एप्पल साइडर और केन्ड वेजीटेबल के साथ पिक्ल्ड फूड, मसाले व आलू के चिप्स, चाय व बेक्ड गुड्स का सेवन नहीं करना चाहिए।

फ्रूटोस : फ्रूट्स और सब्जियों में पाए जो वाला एक प्रकार का शुगर है। यह शहद में भी पाया जाता है। इसका सेवन करने से गैस, डायरिया, जी मचलाना, पेट दर्द, उल्टी और सूजन की समस्या हो सकती है। यदि इस कारण किसी को दिक्कत हो तो उसे सोड़ा, शहद, सेब, सेब का जूस, एप्पल साइडर, तरबूज सहित अन्य फल जिसमें ज्यादा फ्रूटोस होता है उसका सेवन से बचना चाहिए।

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 खाद्य पदार्थ जिनसे हो सकती है फूड एलर्जी

गाय का दूध या इससे जुड़े खाद्य पदार्थ जैसे मिल्क पाउडर, चीज, बटर, मार्गेरीन, क्रीम, आइसक्रीम आते हैं। इसके अलावा अंडे, पेड़ की सुपारी, मूंगफली, शेलफिश, गेहूं, सोया सॉस, मछली का सेवन करने से लोगों को एलर्जी हो सकती है। यदि आपको भी खाने से एलर्जी या खाने को लेकर किसी प्रकार की परेशानी है तो आपको डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए। क्योंकि एलर्जी की परेशानी को दूर करने के लिए दवा भी प्रिस्क्राइब की जा सकती है।

यदि एलर्जी से संबंधित किसी भी प्रकार के लक्षण शरीर में दिखाई दें तो जरूरी है कि लक्षणों की पहचान कर डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। वहीं यदि पेरेंट्स में भी एलर्जी के कैसेज थे तो ऐसे में बच्चों को और भी ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। ताकि बीमारी की सही समय पर पहचान की जा सके वहीं उसके दुष्परिणामों से बचा जा सके।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाॅक्टरी सलाह लें। ।

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डिस्क्लेमर

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Current Version

21/09/2021

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Niharika Jaiswal


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/09/2021

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