उम्र का बढ़ना, कोई हेल्थ कंडीशन या अन्य समस्या हमारे जोड़ों संबंधी परेशानियों की वजह बन सकती है। जोड़ों में दर्द या अकड़न का कारण कई रोग भी होते हैं, जिनमें बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) शामिल हैं। इन दोनों रोगों के कारण प्रभावित व्यक्ति का चलना-फिरना तक मुश्किल हो जाता है। इन दोनों के लक्षण एक जैसे होते हैं, जिसके कारण इन्हें एक ही रोग समझ लिया जाता है। लेकिन, इन दोनों में कई अंतर हैं। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आपकी जोड़ों की समस्याओं का कारण बर्साइटिस है या अर्थराइटिस, तो यह लेख आपके काम आने वाला है। पढ़िए, बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) के बारे में विस्तार से। सबसे पहले शुरू करते हैं बर्साइटिस से।
बर्साइटिस क्या है? (What Is Bursitis)
बर्साइटिस बरसै (Bursae) में होने वाली सूजन है। बरसै (Bursae) जोड़ों के नजदीक फ्लूयड से भरे सैक्स (fluid-filled sacs) होते हैं। यह बरसै हड्डियों, टेंडॉन्स और मसल्स को सपोर्ट देते हैं, ताकि इनकी फ्रिक्शन और सूजन को कम किया जा सके। उम्र के बढ़ने पर इस बीमारी का रिस्क अधिक होता है। किसी जोड़ का बार-बार प्रयोग या उस पर अधिक दबाव डालने से भी यह समस्या बढ़ सकती है। कुछ मेडिकल स्थितियां जैसे अर्थराइटिस (Arthritis), गठिया (Gout), डायबिटीज (Diabetes) आदि में भी इस रोग का जोखिम अधिक होता है। बर्साइटिस आमतौर पर अचानक लगी चोट या इंफेक्शन के कारण होता है। कुछ अन्य एक्टिविटीज भी इसका कारण बन सकती हैं, जैसे:
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- कारपेंटरी (Carpentry)
- गार्डनिंग (Gardening)
- पेंटिंग (Painting)
- स्क्रबिंग (Scrubbing)
- खेल जैसे टेनिस, गोल्फ, बेसबॉल आदि (Sports like Tennis, Golf, and Baseball)
- खराब पोस्चर (Bad Posture)
- टांगों की लंबाई का अलग होना या अन्य हड्डियों से संबंधित समस्याएं (bone Spurs or other Musculoskeletal Structural Issues)
बर्साइटिस की समस्या आमतौर पर किसी भी जगह पर हो सकती है। लेकिन शरीर के कुछ खास अंगों को यह अधिक प्रभावित करती है, जैसे:
- कंधे (Shoulders)
- कूल्हे (Hips)
- कोहनी (Elbows)
- पैर (Feet)
- घुटने (Knees)
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बर्साइटिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Bursitis)
बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) दोनों के बारे में विस्तार से जानना जरूरी है। बर्साइटिस के कारण प्रभावित जोड़ में दर्द और परेशानी होना स्वभाविक है। अगर इस प्रभावित जगह को छुआ या हिलाया जाता है, तो इससे बहुत अधिक दर्द हो सकता है। बर्साइटिस के लक्षण इस प्रकार हैं:
- हिलने में समस्या (Limited Range of Motion)
- सूजन (Swelling)
- अगर इंफेक्शन हो तो लालिमा, बुखार या ठंड लगना जैसी समस्याएं (Redness, Fever, and Chills, if there is Infection)
अर्थराइटिस क्या है? (What is Arthritis)
बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) में अब जानते हैं अर्थराइटिस के बारे में। अर्थराइटिस में 100 से अधिक रोग शामिल हैं। इसका सबसे मुख्य लक्षण है जोड़ों में दर्द। इस समस्या के होने पर शरीर के एक से अधिक जोड़ों में सूजन हो सकती है। इसके साथ ही दर्द, अकड़न और उस अंग को हिला न पाना भी इसके लक्षण हैं। जो समय के साथ बदतर हो जाते हैं। अर्थराइटिस के विभिन्न प्रकार यह हैं:
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रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)
यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर में हेल्दी सेल्स पर अटैक करता है। रयूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण एक ही समय में कई जोड़ों पर असर होता है। यह रोग आमतौर पर हाथों, कलाई और घुटनों के जोड़ों को प्रभावित करता है। इस समस्या के कारण जोड़ों की लायनिंग सूज जाती है। जिसके कारण जॉइंट टिश्यू डैमेज हो सकते हैं। इससे क्रॉनिक दर्द, डेफोर्मिटी या हिलने में समस्या भी हो सकती है। रयूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों में जोड़ों में दर्द, सूजन, अकड़न, थकावट और हल्का बुखार भी शामिल है। इसके कारण शरीर के अन्य टिश्यूस भी प्रभावित हो सकते हैं, जिससे फेफड़ों, हार्ट और आंखों में परेशानी हो सकती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)
ऑस्टियोआर्थराइटिस, अर्थराइटिस का सबसे सामान्य प्रकार हैं जो अधिकतर साठ साल की उम्र से अधिक लोगों में देखने को मिलता है। यह समस्या अधिकतर हाथ, कूल्हे और घुटने में होती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस की स्थिति में जॉइंट्स में कार्टिलेज टूटने लगती है और अंडरलाइंग बोन में बदलाव आने लगते हैं। इस बीमारी के कारण दर्द, अकड़न और सूजन होती है। कुछ मामलों में इसके कारण चलने-फिरने में भी समस्या हो सकती है।
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बर्साइटिस और अर्थराइटिस में क्या समानताएं हैं? (Arthritis and Bursitis)
बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) दोनों रोग कई मामलों में एक जैसे हैं। इन स्थितियों के कई ओवरलैपिंग लक्षण होते हैं और यह शरीर की एक ही जगह को प्रभावित करते हैं। जिसके कारण इनका अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। यह ओवरलैपिंग लक्षण इस प्रकार हैं
- जोड़ों में दर्द और खुजली (Pain and Aching in Joints)
- अकड़न (Stiffness)
- सूजन (Swelling)
- लालिमा (Redness)
इसके साथ ही बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) दोनों अधिकतर शरीर के कुछ अंगों पर ही अधिक प्रभाव डालते हैं, जैसे कंधे, घुटने, कलाई, कूल्हे। क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) के अनुसार बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) दोनों स्थितियां जोड़ों को प्रभावित करती हैं। किंतु, अर्थराइटिस के कारण होने वाला नुकसान परमानेंट होता है। जबकि, अधिकतर मामलों में बर्साइटिस शार्ट टर्म समस्या है। जिससे हुआ नुकसान या परेशानी अधिक समय तक नहीं रहती। खासतौर पर अगर प्रभावित स्थान पर दबाव नहीं डाला जाता है तो इसमें रोगी की स्थिति जल्दी सुधर जाती है। अब जानते हैं कि इन दोनों के बीच में क्या अंतर है:
बर्साइटिस और अर्थराइटिस में अंतर (Difference in Arthritis and Bursitis)
बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) के बीच में सबसे बड़ा अंतर है सूजन का स्थान। अर्थराइटिस में यह सूजन उस जोड़ में होती है जबकि बर्साइटिस में यह समस्या बरसै में होती है। इसके साथ ही इन दोनों में बहुत से अंतर हैं, जैसे:
- बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) एक जैसे जोड़ों को ही प्रभावित करते हैं। लेकिन, इनमे भी कुछ अंतर है जैसे अर्थराइटिस अधिकतर घुटने, कूल्हे, छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है। जबकि बर्साइटिस का कंधे, कूल्हे, कोहनी और घुटनों पर अधिक असर होता है
- बर्साइटिस की समस्या अचानक हो सकती है और आमतौर पर यह एक एक्यूट कंडीशन है। दूसरी ओर, अर्थराइटिस आमतौर पर एक धीरे-धीरे विकसित होने वाली बीमारी है। लेकिन, इसके कुछ अपवाद भी हैं जैसे सेप्टिक गठिया (Septic Arthritis) जो तेजी से बढ़ता है।
- अर्थराइटिस से जोड़ों को होने वाला नुकसान स्थायी होता है। जबकि बर्साइटिस एक शार्ट टर्म समस्या है। अर्थराइटिस के कारण होने वाला नुकसान ठीक नहीं किया जा सकता। जबकि बर्साइटिस की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है।
- अर्थराइटिस में जहां लक्षण समय के साथ बदतर होते हैं। दूसरी ओर, बर्साइटिस में यह लक्षण कुछ ही दिनों तक रहते हैं।
- अर्थराइटिस के लक्षणों को मैनेज करने के लिए डॉक्टर की सलाह और उपचार की जरूरत होती है। जबकि बर्साइटिस के लक्षण घर में ही उपचार से ठीक हो जाते हैं।
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बर्साइटिस और अर्थराइटिस का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of Bursitis and Arthritis)
बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) का निदान अलग-अलग तरीकों से किया जाता है ताकि सही उपचार संभव हो। जानिए, कैसे होता है इनका निदान और उपचार।
बर्साइटिस का निदान (Diagnosis of Bursitis)
बर्साइटिस का निदान लक्षणों के साथ-साथ शारीरिक जांच के साथ किया जाता है। अगर डॉक्टर को रोगी में कोई अन्य समस्या या इंफेक्शन के लक्षण नजर आते हैं, तो डॉक्टर यह टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं:
- एक्स-रे (X-Ray) : ताकि अगर फ्रैक्चर जैसी समस्या हो तो पता चल सके।
- अल्ट्रासाउंड या MRI (Ultrasound or MRI) :जोड़ों की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग कराया जा सकता है।
- ब्लड टेस्ट (Blood Test ) : इंफेक्शन के निदान के लिए ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है।
अर्थराइटिस का निदान (Diagnosis of Arthritis)
अर्थराइटिस के निदान के लिए डॉक्टर रोगी से लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही शारीरिक जांच भी की जा सकती है ताकि दर्द के कारण और दर्द का जोड़ों पर क्या प्रभाव है इसके बारे में पता चले। इसके साथ ही रोगी को एक्स-रे (X-Ray) या अन्य इमेजिंग टेस्ट जैसे अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) भी कराने के लिए कहा जा सकता है।
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बर्साइटिस और अर्थराइटिस का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Bursitis and Arthritis)
अब बारी आती है बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) के उपचार यानी ट्रीटमेंट की। इन दोनों स्थितियों को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है जल्दी मेडिकल हेल्प लेना। जल्दी निदान और उपचार से जहां बर्साइटिस की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है वहीं अर्थराइटिस में भी सुधार होता है।
बर्साइटिस का उपचार (Treatment of Bursitis)
बर्साइटिस की समस्या कई घरेलू उपचारों या ओवर-द-काउंटर दवाइयों आदि से ठीक हो सकती है। बर्साइटिस के उपचार के लिए यह तरीके अपनाए जाते हैं:
घरेलू उपाय (Home Remedies)
- प्रभावित जोड़ों पर आइस या हीट का प्रयोग।
- अफेक्टिव जॉइंट की मूवमेंट न करना और उन्हें आराम देना।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार व्यायाम करना।
- कोई भी गतिविधि करने से पहले संवेदनशील जोड़ों को सपोर्ट देने के लिए पैडिंग।
- जॉइंट्स को सहारा देने के लिए ब्रेस या स्प्लिन्ट्स पहनना।
दवाइयां (Medicines)
- ओवर द काउंटर दवाईयां जैसे नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal Anti-Inflammatory Drugs) जैसे आइबूप्रोफेन (Ibuprofen) और नाप्रोक्सेन (Naproxen) आदि का प्रयोग। ताकि दर्द और सूजन कम हो सके।
- अगर इन उपचारों के बाद भी लक्षण कम न ,हो तो डॉक्टर फिजिकल या ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Physical or Occupational Therapy) की सलाह दे सकते हैं। इसके साथ ही स्ट्रांग ओरल (Stronger Oral) या इंजेक्टेबल मेडीकेशन्स (Injectable Medications) या सर्जरी (Surgery) की सलाह भी दी जा सकती है।
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अर्थराइटिस का उपचार (Treatment of Arthritis)
अर्थराइटिस के दोनों प्रकारों ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) और रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) के उपचार के तरीके अलग होते हैं। जानिए, कैसे होता है इन दोनों तका उपचार:
ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार (Treatment of Osteoarthritis)
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) के इलाज का उद्देश्य होता है, इसके लक्षणों को कम करना। ताकि जोड़ अच्छे से काम कर सके। इसके लिए डॉक्टर इन सब तरीकों की सलाह दे सकते हैं:
- मेडिकशंस (Medications) : जिनमें ओवर-द-काउंटर दवाईयां शामिल हैं।
- व्यायाम या अन्य गतिविधियां (Exercise and other Activity)
- जीवन में मॉडिफिकेशन (Modification in life) जैसे अपने वजन को संतुलित रखना।
- फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Physical and Occupational Therapy)
- स्प्लिन्ट्स और अन्य सपोर्ट्स कर प्रयोग करना (Use of Splints and other supports)
Quiz: रयूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण शरीर के किन अंगों को हो सकता है नुकसान?
रयूमेटाइड अर्थराइटिस का उपचार (Treatment of Rheumatoid Arthritis)
अगर किसी को रयूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या है, तो डॉक्टर जोड़ों के दर्द के उपचार की सलाह देंगे। लेकिन, इस स्थिति की मैनेजमेंट के लिए कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे:
- जोड़ों के दर्द के लिए नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal Anti-Inflammatory) या अन्य दर्द और सूजन दूर करने वाली दवाईयों का प्रयोग करना।
- जोड़ों को आराम देने के साथ ही अन्य तरीकों से एक्टिव रहना।
- रयूमेटाइड अर्थराइटिस की लॉन्ग टर्म मैनेजमेंट के लिए रोग निवारक दवाओं जैसे रोगाणुरोधी दवाइयों (Antirheumatic Drugs) और बायोलॉजिकल रिस्पांस मॉडिफायर (Biological Response Modifiers) आदि की सलाह दी जाती है।
- इसके साथ ही डॉक्टर रोगी को तनाव से बचने, एक्टिव रहने, हेल्दी आहार का सेवन करने, स्मोकिंग से दूर रहने की सलाह देते हैं।
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यह तो थी बर्साइटिस और अर्थराइटिस (Bursitis and Arthritis) के बारे में पूरी जानकारी। बर्साइटिस के अधिकतर मामलों में इसका उपचार संभव है और उपचार के बाद यह समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाती है। लेकिन, अर्थराइटिस गंभीर हो सकता है। इसमें मरीज कभी कम लक्षणों को तो कभी अचानक अधिक लक्षणों का अनुभव करता है। ऐसे में दोनों के बीच के अंतर का पता होना और इनकी पहचान करना महत्वपूर्ण है। अगर आपको इन दोनों में से किसी के भी लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें ताकि सही समय पर ट्रीटमेंट हो सके।