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जानिए भारत में मिलने वाली विभिन्न प्रकार की चाय और उनसे जुड़ीं धारणाओं के बारे में

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2020

    जानिए भारत में मिलने वाली विभिन्न प्रकार की चाय और उनसे जुड़ीं धारणाओं के बारे में

    एक कप चाय में कुछ तो है, जो दुनिया भर में लोग इसके दीवाने हैं। चाहे आप काम करते हुए एक तनावपूर्ण दिन से गुजर रहे हों या सुस्त महसूस कर रहे हों, इन सबके लिए गर्म चाय के प्याले जितना आरामदायक कुछ नहीं होता। चाय पीना लोगों को काफी पसंद है लेकिन चाय से जुड़े मिथक के बारे में कम लोग जानते हैं। भारत में चाय केवल एक हॉट ड्रिंक नहीं है, यह एक परंपरा है। साथ ही यह दुनिया भर की कई संस्कृतियों में मौजूद है। यह लोगों के लिए माइंड रिफ्रेशर काम करती है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं।

    सामान्य तौर पर सभी प्रकार की ब्रू को चाय  कहा जाता है, लेकिन प्यूरिस्ट्स के अनुसार, केवल ग्रीन टी, ब्लैक टी, व्हाइट टी, ऊलोंग टी और पु-एर्ह टी ही सही मायने में चाय है। इसमें कोई शक नहीं है कि चाय स्वास्थ्य के लिए अच्छी है, लेकिन आज हम चाय से जुड़े फायदों के बारे में बात करेंगे, जिससे आप गिल्ट फ्री होकर चाय पी सकें।

    ग्रीन टी

    ग्रीन टी को एंटी-ऑक्सीडेंट्स (Antioxidants) का पावर हाउस कहा जाता है। कैमेलिया साइनेसिस एक टी प्लांट है, जिसके पत्तों को सुखाकर ग्रीन टी बनाई जाती है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स और कैटेचिन्स होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है। ग्रीन टी पीने से कार्डियोवैस्कुलर और हार्ट हेल्थ में सुधार आता है, साथ ही यह मेटाबॉलिक सिंड्रोम को ठीक करने में भी यह प्रभावकारी है।

    ब्लैक टी

    फिट रहने के लिए विभिन्न प्रकार के टी में ब्लैक टी भी फायदेमंद है। इसमें  कैफीन की मात्रा सबसे अधिक होती है। एक स्टडीज से ये पता चला है कि सिगरेट होन वाले लंग्स को रिपेयर के लिए ब्लैक टी मददगार होती है। जिन लोगों को हार्ट की समस्या है, वो भी इसे ले सकते हैं। यह स्ट्रोक के खतरों को भी कम करती है। कम कैफीन, कम कैलोरी और बिना आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले ड्रिंक के रूप में ब्लैक टी एक बेहतर विकल्प समझा जाता है। ये चाय कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने से रोकने के साथ, गट हेल्थ बेहतर करने और ब्लड प्रेशर घटाने के गुण पाए जाते हैं। कई एक्सपर्ट द्वारा जिम जानें से पहले भी ब्लैक टी सलाह देते हैं। ये फिटनेस के लिए काफी अच्छा है।

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    व्हाइट टी

    व्हाइट टी सबसे कम प्रोसेस की हुई चाय होती है। अगर हम इसकी अन्य चाय से तुलना करें तो उसके मुकाबले इसमें अधिक एंटी कैंसर गुण मौजूद होते हैं। वजन घटाने के लिए ज्यादातर लोगों को ग्रीन टी के बारे में ही पता होता है और वो उसी का ही सेवन करते हैं। लेकिन फैट कम करने के लिए व्हाइट टी अधिक असरदार होती है। ग्रीन और व्हाइट, दोनों चाय में कैफीन और ईजीसीजी कंपाउंड की मात्रा लगभग समान होती है। एक अन्य स्टडी के मुताबिक, व्हाइट टी बॉडी का मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में भी मदद करता है और इसमें स्किन एजिंग कम करने के गुण भी मौजूद होते हैं।

    ओलॉन्ग टी

    चाय की पत्तियों, कोंपलों और तनों को मिलाकर ओलॉन्ग टी बनाई जाती है। दुनिया में कुल इस्तेमाल की जाने वाली चाय में ओलॉन्ग टी का हिस्सा सिर्फ 2 फीसदी है। बावजूद इसके ओलॉन्ग टी से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। अगर ओलॉन्ग टी का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो यह मेटाबॉलिज्म बेहतर करने और स्ट्रेस कम करने में मदद करता है। ओलॉन्ग टी बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम भी कर सकता है। वजन कम करने, कैंसर के खतरे घटाने और ब्रेन फंक्शन बेहतर करने में भी ओलॉन्ग टी मदद करता है। ओलॉन्ग टी की एक क्वालिटी वुयी (Wuyi) टी होती है जिसे वेट लॉस सप्लीमेंट के तौर पर बेचा जाता है।

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     रोज टी

    रोज टी सबसे पुराने स्वाद में पाई जाने वाली चाय में से एक है। इसे ताजा गुलाब और कलियों से बनाया जाता है। यह शरीर के लिए एक थैरेपी की तरह है। यह न केवल शरीर में मौजूद जहरीले तत्वों को दूर करके त्वचा को सुन्दर बनाता है बल्कि इसमें विटामिन A, B3, C, D और E होते हैं, साथ ही साथ ये संक्रमणों से भी निजात दिलाता है।

    आईस टी

    आईस टी पीने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे बिना शुगर के लें। दिनभर में सिर्फ एक बार या फिर सप्ताह में कुछ आईस टी कप पीने से आप आने वाले खतरे को टाल सकते हैं.

    बिना शुगर की आई टी पीने के फायदे-

    • स्किन को इंप्रूव करता है.
    • ब्लड प्रेशर लो करने में मदद करता है.
    • हड्डियों को मजबूत करता है.
    • कै‍वेटिज से लड़ता है.
    • लंग कैंसर के खतरे से बचाता है.
    • हार्ट अटैक रिस्क को कम करता है

    रोजमेरी टी

    आपने ग्रीन टी, कैमोमाइल टी, जिंजर टी आदि कई तरह के हर्बल चाय का सेवन किया होगा, पर क्या कभी रोजमेरी टी (Rosemary tea in hindi) का सेवन किया है? रोजमेरी टी में कई तरह के ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर को कई फायदे पहुंचाते हैं। रोजमेरी चाय जड़ी-बूटी से बनी होती है, जिसमें एंटी-माइक्रोबियल, सैलिसेलिक एसिड, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल आदि कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। ये सभी देश शरीर को इंफेक्शन से बचाते हैं।

    1 त्वचा संबंधी समस्याओं से बचाए:

    रोजमेरी टी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटीऑक्सीडेंट त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन को सुधारता है। इस चाय को पीने से आप एग्जिमा और त्वचा से संबंधित समस्याओं से भी बचे रह सकते हैं। इससे ड्राइनेस दूर होती है और त्वचा में निखार आती है।

    2 ब्लड सर्क्युलेशन हो बेहतर:

    इसके एंटीकॉग्युलेंट गुण सर्क्युलेटरी सिस्टम को उत्तेजित करता है। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। ऊर्जा भी बूस्ट होता है। काम के बीच में यदि आप एक कप रोजमेरी टी पीते हैं, तो आप एनर्जी से भरपूर हो जाएंगे।

    3 पाचन रखे दुरुस्त:

    इसमें एंटी-स्पास्मोडिक और कार्मिनेटिव गुण होता है, जो डाइजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त रखता है। पाचन शक्ति मजबूत होती है। कब्ज, दस्त की समस्या से परेशान हैं, तो दिनभर में दो बार यह चाय पीने से आराम मिलेगा।

    4 लीवर रहे हेल्दी:

    बायोएक्टिव कंपाउंड होने के कारण रोजमेरी की चाय फ्री रेडिकल्स का सफाया करता है। लीवर में मौजूद विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

    हर्बल टी

    हर्ब, फ्रूट, सीड्स और रूट्स को गर्म पानी में डालकर तैयार किए गए ड्रिंक को हर्बल टी कहा जाता है। हर्बल टी में ग्रीन, व्हाइट, ब्लैक और ओलॉन्ग टी के मुकाबले एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा कम होती है। जिंजर, जैस्मिन, मिंट, हिबिस्कस हर्बल टी में शामिल होते हैं। कुछ स्टडीज में ऐसे संकेत मिले हैं हर्बल टी वजन कम करने, जुकाम से बचाने और अच्छी नींद में मदद कर सकती है। आइए जानते हैं कुछ हर्बल टी के फायदे-

    1. कैमोमाइल टी

    कैमोमाइल टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स डायबिटीज़, आंखों की रोशनी कम होने, किडनी के नुकसान और कैंसर सेल के ग्रोथ से बचा सकते हैं।

    2. इचिनेशिया टी

    इचिनेशिया टी को जुकाम ठीक करने की घरेलू औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ब्लड शुगर कम करने और ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने के गुण भी इसमें पाए जाते हैं।

    3. गुड़हल-हिबिस्कस टी 

    एक स्टडी में ये सामने आया था कि रोज़ तीन कप गुड़हल टी पीने से कुछ लोगों को ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिली। गुड़हल टी लीवर हेल्थ बेहतर करने और वजन घटाने में भी मददगार हो सकती है।

    4. रेड टी

    रेड टी दक्षिण अफ्रीका के फर्मेंटेड हर्ब रोइबॉस (Rooibos) से तैयार किया जाता है। रेड टी में फ्लेवोनॉयड्स कंपाउंड होते हैं जिसमें एंटी कैंसर गुण देखा गया है।

    पीपरमेंट टी (पुदीने का अर्क) : अगर आपको पीपरमेंट चाय पसंद है तो आप इसे ग्रीन टी के बदले कभी-कभी बदलकर पी सकते हैं। दोनों ही चाय पाचन को सुधारने में बहुत फायदेमंद है। पीपरमेंट के पत्तों का इस्तेमाल इस चाय को बनाने में किया जाता है। इसे गर्म या ठंडा पिया जा सकता है। इसे बनाने के लिए एक चम्मच ताजा या सूखी हुई पत्ती को उबलते हुए पानी में डाल दीजिए। इन्हें पानी में 4 से 5 मिनट के लिए रहने दीजिए और फिर छानकर चाहें तो शहद मिलाकर पीजिए।

    चाय के नुकसान

    ज्यादातर चाय को हेल्थ के लिए अच्छा समझा जाता है। लेकिन एक दिन में 3-4 कप से अधिक चाय पीने पर कई साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। आइए जानते हैं चाय के प्रमुख साइड इफेक्ट्स –

    1. आयरन अब्जॉर्प्शन घटाती है

    चाय में टैनिस (Tannins) नाम का कंपाउंड काफी मात्रा में पाया जाता है। यह कंपाउंड खासकर प्लांट फूड से आयरन अब्जॉर्प्शन को कम कर देता है। अगर शाकाहारी खाना खाने वाले किसी व्यक्ति के शरीर में आयरन का लेवल कम है तो उसे अधिक चाय पीने से अधिक नुकसान हो सकता है। हालांकि, रोज 3 या इससे कम कप चाय सुरक्षित समझा जाता है।

    2. एंग्जाइटी और स्ट्रेस बढ़ा सकती है चाय

    चाय की पत्तियों में प्राकृतिक तौर से कैफीन की मात्रा होती है। चाय के जरिए अगर हम अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करते हैं तो इससे एंग्जाइटी और स्ट्रेस की कुछ समस्या हो सकती है। एक सामान्य कप चाय (240ml) में 11 से 61mg तक कैफीन होता है। वहीं, एक दिन में 200 mg तक कैफीन सेवन करने पर किसी परेशानी की आशंका कम रहती है। लेकिन इसकी मात्रा बढ़ने पर नुकसान हो सकता है। बता दें कि ब्लैक टी में ग्रीन और व्हाइट टी के मुकाबले कैफीन की मात्रा अधिक होती है। वहीं, हर्बल टी में कैफीन की मात्रा नहीं होती।

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    3. लग जाती है तो छूटती नहीं इसकी लत

    कैफीन में लत लगने के गुण होते हैं। इसलिए कुछ लोगों को चाय पीने की भी लत लग सकती है। इसकी वजह से चाय नहीं पीने पर उन्हें सिर दर्द और हार्ट बीट बढ़ने की समस्या हो सकती है।

    4. अच्छी नींद नहीं आती

    चाय में मौजूद कैफीन की वजह से आपकी स्लीप साइकिल प्रभावित हो सकती है और आपकी नींद कमजोर हो सकती है। वहीं, कुछ लोगों में अधिक कैफीन की वजह से सिर दर्द की समस्या भी हो सकती है। हालांकि, रेगुलर चाय पीने वाले लोगों में कैफीन से सिर दर्द ठीक होते भी देखा गया है।

    5. प्रेगनेंसी में दिक्कत

    प्रेग्नेंसी के दिनों में अधिक चाय पीने से दिक्कत हो सकती है। अधिक कैफीन के सेवन से प्रेगनेंसी के दिनों में मिसकैरेज और नवजात बच्चे का वजन कम हो सकता है। हालांकि, कुछ स्टडीज में ऐसे संकेत मिले हैं कि 200 से 300 mg तक रोज कैफीन से नुकसान होने के खतरे कम रहते हैं।

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    हर्बल चाय में नहीं होता कैफीन?

    चाय से जुड़े मिथक में हम सबसे पहले आपके अंदर से हर्बल चाय से जुड़े हुए मिथ को बस्ट करेंगे। हर्बल चाय को असली चाय नहीं माना जाता है क्योंकि वे कैमेलिया सिनेंसिस पौधे से प्रोसेस नहीं होते हैं। हर्बल चाय गर्म पानी में फूल, जड़ी बूटी, बीज, जड़ों या पौधे की छालों को मिलाकर बनाई जाती है। जहां तक ​​कैफीन की मात्रा की बात है, तो सभी हर्बल चाय कैफीन मुक्त नहीं हैं। ग्वाराना चाय और यर्बा मेट चाय में कैफीन होता है इसलिए हर्बल चाय खरीदने से पहले हमेशा लेबल पढ़ने की सलाह दी जाती है। चाय से जुड़े मिथक के बारे में आपके आसपास जो बातें प्रचलित है उनके बारे में जानने के लिए चाय खरीदते हुए लेबल जरूर पढ़ें।

    कैमोमाइल टी है नींद के लिए बेहतर?

    चाय से जुड़े मिथक के बारे में अगर आप जानते हैं तो उसमें कैमोमाइल टी को कैसे भूल सकते हैं। कैमोमाइल टी को आमतौर पर इसके शांत प्रभावों के लिए जाना जाता है और अक्सर इसे नींद की सहायता के रूप में उपयोग किया जाता है। दो अध्ययनों ने मनुष्य में नींद की समस्याओं पर कैमोमाइल चाय या अर्क के प्रभाव की जांच की है।

    नींद के मुद्दों का सामना कर रहे 80 प्रतिशत महिलाओं के एक अध्ययन में, दो सप्ताह के लिए कैमोमाइल चाय पीने से नींद की गुणवत्ता में सुधार और अवसाद के कम लक्षण देखे गए। अनिद्रा के साथ 34 रोगियों में एक अन्य अध्ययन में रात के दौरान जागने में सुधार पाया गया, सुबह उठने के समय और दिन में नींद में भी सुधार देखा गया। दो बार कैमोमाइल टी पीने के बाद दिन के कामकाज के समय व्यक्ति को ज्यादा एक्टिव देखा गया। इसके अलावा कैमोमाइल टी सिर्फ नींद बढ़ाने के लिए उपयोगी नहीं हैं बल्कि इसके बहुत से फायदे हैं। यह एंटी-बैक्टिरियल, एंटी इन्फ्लेमेट्री और लिवर को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके अलावा चूहों पर किए गए शोध में पता चला है कि कैमोमाइल दस्त और पेट के अल्सर से लड़ने में मदद कर सकता है। चाय से जुड़े मिथक में कैमोमाइल को लेकर लोगों के दिमाग में बहुत से सवाल होते हैं जिसके लिए हमने ऊपर कुछ बातें आपको बताई हैं।

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    अदरक वाली चाय है बेहतर एंटीऑक्सिडेंट

    अदरक की चाय एक मसालेदार और स्वादिष्ट पेय है जो रोग से लड़ने वाले एंटीऑक्सिडेंट का एक पंच पैक है। यह सूजन से लड़ने में मदद करता है और इम्यूनिटी सिस्टम को उत्तेजित करता है लेकिन यह सबसे अच्छी तरह से मतली के लिए एक प्रभावी उपाय होने के लिए जाना जाता है। अध्ययनों से लगातार पता चलता है कि अदरक मतली से राहत देने के लिए प्रभावी है खासकर शुरुआती गर्भावस्था में। हालांकि यह कैंसर के उपचार और मोशन सिकनेस के कारण होने वाली मतली से राहत दे सकती है। साक्ष्य यह भी बताते हैं कि अदरक पेट के अल्सर को रोकने और अपच या कब्ज को दूर करने में मदद कर सकता है। चाय से जुड़े मिथक में अदरक की चाय को लेकर लोगों के मन में सवाल होता है कि अदरक से एसिडिटी होती है लेकिन सच कुछ और ही है।

    अदरक पेट के दर्द या पीरियड के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि अदरक कैप्सूल मासिक धर्म से जुड़े दर्द को कम करता है।

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    टी बैग से बेहतर है खुली चाय?

    टी बैग का उपयोग करके चाय तैयार करना स्वाभाविक रूप से आसान है। लेकिन, याद रखें कि खुली चाय हमेशा टी बैग से बेहतर होती है। टी बैग में चाय की पत्तियां टूटी और रेत की कंसीटेंसी में होती है। इस तरह चाय की टूटी पत्तियों में आवश्यक तेल और सुगंध की कमी होती है। इसलिए चाय की खुली पत्तियों का उपयोग करना बेहतर है। 

    ग्रीन टी से ज्यादा बेहतर है ब्लैक टी?

    ग्रीन टी वास्तव में ब्लैक टी की तुलना में अधिक लोकप्रिय है। हालांकि, रंग के अलावा इसमें कोई और ज्यादा अंतर नहीं है। दोनों में स्ट्रॉन्ग और लाभकारी एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ऑक्सीडेशन प्रक्रिया से गुजरने के बाद चाय की पत्तियां हरी से काली हो जाती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान ग्री टी में एंटीऑक्सिडेंट, जैसे कैटेकिंस, थिफ्लेविन में बदल जाते हैं, जो ब्लैक टी में पाया जाता है।

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    दूध मिलाने से चाय के स्वास्थ्य लाभ होते हैं कम?

    यह एक बहुत ही आम धारणा है और अंधविश्वास के अलावा और कुछ नहीं है। किसी भी तरह की चाय में दूध मिलाने से इसके स्वास्थ्य लाभ कम या खत्म नहीं होते। दूध में कैल्शियम होता है, जो आपकी हड्डियों के लिए अच्छा है। जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड केमिस्ट्री में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, चाय से मिलने वाला कैटेकिन की संख्या दूध के बिना और दूध मिलाने में एक जैसी ही रहती है।  

    ग्रीन टी से घटता है वजन?

    वेट वॉचर्स के बीच एक बात मशहूर है कि ग्रीन टी आपको वजन कम करने में मदद कर सकती है। दुर्भाग्य से यह सिर्फ एक मिथक है। ग्रीन टी में एक उत्तेजक तत्व होता है, जो आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। लेकिन, इसकी मात्रा बहुत कम होती है। अगर आपको लगता है कि एक दिन में 4-5 कप ग्रीन टी पीने से आपको वजन कम करने में मदद मिलेगी, तो आप गलत हैं।

    अब आपने जाना कि चाय सिर्फ एक तरह की नहीं, बल्कि तरह-तरह की होती हैं!

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    Dr Sharayu Maknikar


    Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2020

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