सेक्स टर्मिनोलाॅजी मुझे ज्यादा समझ नहीं आती। हिंदी मीडियम में पढ़ाई करने का एक नुकसान ये भी होगा कभी सोचा नहीं था। जब भी मेरे कलीग या इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई करने वाले फ्रेंड्स सेक्स से जुड़े किसी टर्म का यूज करते तो मैं उसे मन में ही नोट कर लेती और बाद में उसके बारे में पढ़ने की कोशिश करती। आखिर सेक्स से जुड़े टर्म के बारे में कौन नहीं जानना चाहता। इस तरह पढ़ते-पढ़ते मुझे सेक्स शब्दावली या कहें सेक्स ग्लोसरी के बारे में ठीक- ठाक जानकारी हो गई। मुझे लगता है कि सेक्स शब्दकोष (सेक्स ग्लोसरी) के बारे में सभी को जानकारी होनी चाहिए क्योंकि यह अच्छी सेक्शुअल हेल्थ को मेंटेन रखने के लिए जरूरी है।
दरअसल सेक्शुअल हेल्थ एक ऐसा विषय है इसके बारे में बात सभी करते हैं, लेकिन इस बारे में सही जानकारी नहीं होती। सेक्शुअल हेल्थ से जुड़े कुछ टर्म या कहें कि कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनका मतलब हमें पता नहीं होता। कई बार डॉक्टर के द्वारा हमें वे शब्द सुनने को मिलते हैं तो कभी किताबों में।
आपकी इस मुश्किल को आसान करने के लिए हैलो स्वास्थ्य ने एक सेक्स शब्दकोष या कहें तो सेक्स ग्लोसरी बनाई है। जिसमें सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी टर्मिनोलॉजी को शामिल किया है। इसमें सेक्स और सेक्शुअल हेल्थ से जुड़े शब्द उनका मतलब और उसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हिंदी में दी जा रही है।
बचपन में आपने A-Z तक के अल्फाबेट को जरूर याद किया होगा । A फॉर एप्पल और B फॉर बाॅय को आप आज भी नहीं भूले होंगे। इसी तर्ज पर सेक्शुअल हेल्थ पर यह शब्दकोष तैयार किया है। जिसमें A फॉर असेक्शुअल और B फॉर बाइसेक्शुअल के बारे में जानकारी दी जाएगी। अरे अरे… परेशान मत होइए हम आपकी बचपन की यादों में बदलाव नहीं कर रहे हैं। दरअसल यहां हम आपको बताने जा रहे हैं सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी टर्मिनोलॉजी के बारे में। वह भी A-Z तक। तो आइए शुरुआत करते हैं।
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A
Anal sex (एनल सेक्स)
जब कोई पुरुष पेनिस को किसी के एनस (बट होल) में डालता है तो उसे एनल इंटरकोर्स कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहे तो जब पेनिट्रेशन और स्टिमुलेशन किसी व्यक्ति के एनस में हो तो उसे एनल सेक्स कहा जाता है। इसमें कई बार सेक्स टॉयज का भी उपयोग किया जाता है।
एनल सेक्स हमेशा से एक टैबू रहा है। हालांकि, इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि इसकी पॉपुलैरिटी बढ़ रही है। सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार एनल सेक्स 45 उम्र के कपल्स के बीच में बेहद पॉपुलर हो रहा है। एक नेशनल सर्वे में 36% प्रतिशत महिलाओं और 44% पुरुषों ने इस बात को माना है कि उन्होंने अपोजिट सेक्स पार्टनर के साथ एनल सेक्स किया है।
अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि एनल सेक्स सेफ है या नहीं। अगर उचित सावधानियां रखी जाए तो एनल सेक्स सेफ होता है, हालांकि इसको लेकर कुछ रिस्क हमेशा रहती हैं। जैसे एनस वजायना की तरह लुब्रीकेंट रिलीज नहीं करता जिसकी वजह से डिसकंफर्ट और घर्षण संबधी परेशानियां होती हैं, जो स्किन इंजुरीज का कारण बन सकती है। एनस के टिशू वजायना की तुलना में पतले और सॉफ्ट होते हैं इसलिए उनमें टूटने की संभावना काफी ज्यादा होती है। इसलिए कई बार एनल सेक्स के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है। इसलिए एनल सेक्स करते वक्त निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें।
- वाटर बेस्ड लुब्रीकेंट का उपयोग करें ताकि फ्रिक्शन से संबंधित परेशानियां न हो।
- एनल सेक्स के बाद वजायनल सेक्स करने से पहले कंडोम को बदल लें ताकि बैक्टीरिया एक्सचेंज न हो।
- प्रॉसेस को धीरे-धीरे करें जब तक लुब्रिकेशन ठीक से नहीं हो जाता।
- अगर एनल सेक्स के दौरान किसी एक को भी पेन या डिसकंफर्ट फील होता है तो वहीं रुक जाएं।
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Asexuality (असेक्शुएलिटी)
जब किसी व्यक्ति को सेक्स करने की इच्छा न हो या सेक्स करने का मन न करें तो ऐसे व्यक्ति को असेक्शुअल और इस स्थिति को असेक्शुएलिटी कहते हैं। दरअसल कुछ लोगों में सेक्स को लेकर रुचि नहीं होती है और वे न ही इस ओर आकर्षित होते हैं। जो महिला या पुरुष दोनो में से किसी भी सेक्स की और फिजिकली अट्रेक्ट न हो उन्हें असेक्शुअल के अंतगर्त रखा जाता है। पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 22 से 28 अक्टूबर तक असेक्शुएलिटी अवेयरनेस वीक मनाया जाता है, जिससे लोग असेक्शुएलिटी के बारे में समझें। लोगों को यह समझना जरूरी है कि असेक्शुएलिटी कोई बीमारी नहीं है और न ही कोई डिसऑडर है। ऐसा होना सामान्य है और ऐसा किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है फिर वह चाहे महिला हो या पुरुष।
B
Bisexual (बाइसेक्शुअल)
ऐसे लोग जो महिला और पुरुष दोनों की और आकर्षित होते हैं उन्हें बाइसेक्शुअल कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर एक पुरुष है तो जरूरी नहीं कि उसे सिर्फ महिला में ही रुचि हो। हो सकता है कि वह महिला और पुरुष दोनों से अट्रेक्ट हो। इसलिए बाइसेक्शुअल्स शारीरिक, लैंगिक और भावनात्मक तौर पर महिला और पुरुष दोनों से आकर्षित होते हैं। कुछ अन्य मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि व्यक्ति का आकर्षण दोनों लिंग के व्यक्ति के लिए हो सकता है, लेकिन वह सेक्स सिर्फ एक के साथ करना पसंद करता है। कुछ लोगों को ये बात किशोरावस्था में पता चल जाती है, तो कुछ लोगों को वयस्क होने पर कि वे बाइसेक्शुअल हैं।
एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि लगभग 50 फीसदी लोग बाइसेक्शुअल होते हैं, लेकिन वे खुद को समाज के सामने जाहिर करने से डरते हैं। बाइसेक्शुअल लोगों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे एचआईवी के वाहक होते हैं। जबकि हकीकत ये है एचआईवी एड्स बाइसेक्शुअलिटी से नहीं, बल्कि अनसेफ सेक्स करने से होता है। हालांकि, बाइसेक्शुअल तनाव और अवसाद से जरूर गुजरते हैं। उन्हें लगता है कि पता नहीं समाज उन्हें स्वीकार करेगा या नहीं।
2019 में हुई एक स्टडी में अलग-अगल सेक्शुअल ओरिएंटेशन के लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थी। जिसमें पता चला कि जो महिलाएं बाइसेक्शुअल होती हैं, उनका स्वास्थ्य खराब रहता है। वहीं, पुरुषों में कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और कार्डियोवैस्कुलर आदि परेशानियां हो सकती हैं। वहां देखा गया कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या, अर्थराइटिस और मोटापा ज्यादातर बाइसेक्शुअल महिला और पुरुषों में था।
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C
Clitoris (क्लिटोरिस)
क्लिटोरिस वल्वा (Vulva) के सामने की ओर की छोटी संरचना। यह फीमेल वजायना और यूरेथ्रा तक फैला एक अंग है। क्लिटोरिस बहुत संवेदनशील होता है। यह महिला को ऑर्गेज्म तक पहुंचने में मदद करता है। इसे सेक्स ऑर्गन कहा जाता है और यह सेक्शुअल प्लेजर देने के लिए ही जाना जाता है। सेक्शुअल एक्साइटमेंट के समय क्लिटोरिस में खून भर जाता है और इसमें थोड़ी सूजन भी आ जाती है। इसका बाहरी भाग वल्वा के टॉप पर या सामने होता है जो कि यूरेथ्रा (वह होल जहां से यूरिन पास की जाती है) के ठीक बगल में होता है। क्लिटोरिस का आंतरिक भाग काफी बड़ा होता है जो योनि के दोनों तरफ शरीर में पांच इंच तक फैलते हुए प्यूबिक हड्डी से जुड़ता है।
इस स्थान पर स्पर्श कर महिला साथी को उत्तेजित किया जा सकता है। कुछ महिलाएं पेनेट्रेशन की क्रिया के दौरान पूरी तरह संतुष्टि का अनुभव नहीं कर पाती हैं। उन महिलाओं में क्लिटोरिस को छूना उन्हें पूरा यौन सुख दे सकता है। कुछ महिलाओं में यौन गतिविधि के दौरान इसका आकार थोड़ा बढ़ जाता है।
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Condom (कंडोम)
एक डिवाइस जो सामान्यत: लैटेक्स (रबर का एक प्रकार), प्लास्टिक और एनिमल मेम्ब्रेन से बनाई जाती है। इसका उपयोग सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज और बर्थ कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। मेल कंडोम का यूज इरेक्ट पेनिस पर किया जाता है। वहीं फीमेल कंडोम वजायना में इंसर्ट किए जाते हैं। सिर्फ लैटेक्स से बने कंडोम सेक्स डिजीज को रोक सकते हैं।
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Contraception (कॉन्ट्रासेप्शन)
प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए इस टर्म का उपयोग किया जाता है। कुछ तरह के कॉन्ट्रासेप्शन ऑव्युलेशन को रोकते हैं तो कुछ प्री एम्ब्रियो को यूटेरस में इम्प्लांट होने से। कुछ तरीके परमानेंट होते हैं तो कुछ में महिलाएं इनका उपयोग बंद करने के बाद प्रेग्नेंट हो सकती है। बर्थ कंट्रोल पिल्स, शुकाणुनाशक, डायाफ्राम, नसबंदी और कंडोम कॉन्ट्रासेप्शन (गर्भनिरोधन) के कुछ उदाहरण हैं।
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D
Dildo (डिल्डो)
डिल्डो एक सेक्स टॉय होता है जो पेनिस के आकार या राउंड शेप का होता है। यह प्लास्टिक या किसी दूसरे मटेरियल का बना होता है। जिसे वजायना या फिर एनस में इंसर्ट किया जाता है। यह सेक्शुअल प्लेजर देने के लिए जाना जाता है। लड़कियों के बीच यह सेक्स टॉय बेहद पॉपुलर है। सेक्स टॉयज जैसे कि डिल्डो को शेयर करना रिस्की हो सकता है। क्योंकि इसमें वजायनल फ्लूइड, ब्लड और वेस्ट पदार्थ लगा हो सकता है। सफाई किए बिना सेक्स टॉयज को शेयर करना सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज को आमंत्रित करना है। अगर आप सेक्स टॉयज का यूज और शेयर करते हैं तो हाइजीन का विशेष ध्यान रखें।
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Dyspareunia (डिस्पारोनिया)
डिसपिरोनिया एक पेन है जो सेक्शुअल इंटरकोर्स या पेनेट्रेशन के दौरान होने वाली किसी भी सेक्शुअल एक्टिविटी की वजह से होता है। यह दर्द ज्यादा या कम हो सकता है। इस पेन का कारण वजायनल ड्राइनेस और जेनिटल ऑर्गन डिसऑर्डर हो सकता है। इसके कारण का पता डायग्नोसिस के दौरान इसके लक्षण और पेल्विक एक्जामिनेशन से लगाया जा सकता है।
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Demisexual (डेमिसेक्शुअल)
ऐसे लोग जो किसी भी महिला या पुरुष से सिर्फ भावनात्मक रूप से ही आकर्षित होते हैं, उन्हें डेमिसेक्शुअल कहा जाता है। ऐसे लोगों के दिलों में शारीरिक आकर्षण के लिए कोई खास जगह नहीं होती है। डेमिसेक्शुअल लोग किसी भी व्यक्ति के प्यार में जल्दी नहीं पड़ते हैं। ऐसे व्यक्ति पहले अपने साथी के साथ भावनात्मक तौर पर जुड़ना पसंद करते हैं, उसके बाद ही रिश्ते में सेक्स के बारे में विचार करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है।
E
Ejaculation (इजैकुलैशन)
इंटरकोर्स या सेक्स के दौरान ऑर्गेज्म के समय जब पेनिस से स्पर्म और दूसरे फ्लूइड बाहर आते हैं तो इसे इजैकुलेशन कहा जाता है। जो फ्लूइड इजैकुलेशन के बाद बाहर आता है उसे सीमन और कम कहते हैं। ऐसा सेक्स के साथ ही मास्टरबेशन और स्वप्नदोष के दौरान भी हो सकता है। अगर कोई पुरुष सेक्शुअल कॉन्टैक्ट के दौरान इजैक्युलेट नहीं करता तो इसमें कोई हानि नहीं है। कई बार पुरुष ऑर्गेज्म फील किए बिना भी इजैक्युलेट हो सकते हैं और कई बार ऐसा भी होता है कि ऑर्गेज्म होने पर भी इजैकुलैशन नहीं होता। कई पुरुष जल्दी इजैक्युलेट होने की परेशानी का सामना करते हैं। जिसे हिंदी में शीघ्रपतन का जाता है। इसके लिए निम्न कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
- पहले का सेक्शुअल एक्सपीरियंस
- सेक्शुअल अब्यूज
- डिप्रेशन
- प्रीमैच्योर इजैकुलेशन के लिए चिंतिंत रहना।
Erection (इरेक्शन)
जब पेनिस स्टिफ और हार्ड हो जाता है तो इसे इरेक्शन कहते हैं। ऐसा इसके अंदर होने वाले ब्लड फ्लो के कारण होता है। ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि इस समय पुरुष बहुत एक्साइटेड होते हैं। हार्ड पेनिस, ऑर्गेज्म और इजैकुलेशन के बाद फिर से सॉफ्ट हो जाता है। यह इसके पहले भी सॉफ्ट हो सकता है। प्रॉपर सेक्शुअल इंटरकोर्स के लिए पेनिस में इरेक्शन होना जरूरी है।
जब कोई पुरुष खुद को सेक्स के दौरान तैयार नहीं कर पाता या पेनिस में इरेक्शन नहीं हो पाता तो उस स्थिति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहा जाता है। इसे इंपोटेंस भी कहते हैं। कभी-कभी इरेक्शन न होना चिंता का विषय नहीं है लेकिन, ऐसा लगातार हो रहा है, तो यह तनाव, कॉन्फिडेंस की कमी और रिश्तों में अलगाव पैदा कर सकता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी जिम्मेदार हो सकती हैं जिनमें हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरलिपिडिमिया, डायबिटीज और हार्ट डिजीज शामिल हैं। कई बार बढ़ती उम्र और मोटापा भी इसके लिए जिम्मेदार होता है।
F
Foreplay (फोरप्ले)
फोरप्ले सेक्स से पहले उत्तेजना को बढ़ाने के लिए की जाने वाली सेक्शुअल एक्टिविटीज होती हैं। फोरप्ले के दौरान पार्टनर को सेक्स के लिए उत्साहित किया जाता है। ऐसा जरूरी नहीं कि केवल पुरुष ही महिलाओं को उत्तेजित करें, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं को सेक्स के लिए तैयार होने में समय लगता है, लेकिन फोरप्ले दोनों के द्वारा किया जाता है। इसमें किसिंग, रबिंग और टचिंग शामिल है। फोरप्ले लंबे समय के लिए हो सकता है या कम समय के लिए यह पार्टनर पर आधारित होता है। यह सेक्शुअल एक्साइटमेंट और प्लेजर को बढ़ाने का काम करता है।
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Fertile Period (फर्टाइल पीरियड)
महीने का वह समय जिसके दौरान एक महिला गर्भवती हो सकती है। यह आमतौर पर उसके मासिक धर्म के दौरान आठ दिनों की अवधि होती है। ऑव्युलेशन से पहले पांच दिनों तक (क्योंकि शुक्राणु शरीर के अंदर इस समय तक रह सकते हैं), वह दिन जब ऑव्युलेशन होता है, और दो दिन बाद (एक अंडे का जीवनकाल)। प्रेग्नेंसी न चाहने वाले कपल इस टाइम का ध्यान रखकर सेक्स करते हैं वहीं प्रेग्नेंसी चाहने वाले इस समय सेक्स करते हैं।
G
G-Spot (जी स्पॉट)
यह वजायना का एक ऐसा क्षेत्र जो छूने के लिए अत्यधिक संवेदनशील होता है। यह वजायना के ऊपर की और स्थित होता है। जी स्पॉट की उत्तेजना कई लोगों के लिए तीव्र यौन उत्तेजना बनकर उन्हें ऑर्गेज्म तक पहुंचा सकती है। इसे ग्राफेनबर्ग स्पॉट Grafenberg spot भी कहा जाता है। क्योंकि जर्मन गायनेकोलॉजिस्ट इरनस ग्राफेनबर्ग (Erns Grafenberg) ने इसके बारे में बताया था। इसलिए उनके नाम के अक्षर ‘जी’ पर इसका नाम जी स्पॉट हो गया। हालांकि जी स्पॉट को लेकर शोधकर्ताओं के बीच असहमति है। कुछ का मानना है कि वजायना में जी स्पॉट जैसी कोई जगह नहीं है जबकि कुछ इसको प्रमुख मानते हैं। अगर आप इसका पता लगा लेते हैं तो सेक्शुअल प्लेजर को कई गुना बढ़ाया जा सकता है।
Gay (गे)
गे ऐसे पुरुषों को कहा जाता है जो इमोशनली, रोमांटिकली या सेक्शुअली किसी परुष की तरफ अट्रैक्ट होते हैं या किसी पुरुष के साथ रिलेशनशिप में हो। इन लोगों को होमोसेक्शुअल और हिंदी में इनको समलैंगिक कहा जाता है। ऐसे लोगों को आज भी समाज में स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इन्हें कई प्रकार की शारीरिक, मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अक्सर परिवार के लोग भी इन्हें स्वीकार नहीं करते। हालांकि भारत में होमोसेक्शुअल रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिल चुकी है।
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H
Heterosexual (हेट्रोसेक्शुल)
हेट्रोसेक्शुअल को ही स्ट्रेट भी कहा जाता है। जिसमें फिजिकल, इमोशनल और सेक्सुअल अट्रैक्शन ऐसे व्यक्ति से होता है, जो अपोजिट जेंडर का हो। जो पुरुष महिलाओं से अट्रैक्ट होते हैं जो महिलाएं पुरुषों से अट्रेक्ट होती हैं उन्हें हेट्रोसेक्शुअल कहा जाता है।
(Homosexual) होमोसेक्शुअल
ऐसे लोग जो सेम सेक्स के प्रति अट्रैक्ट होते हैं उन्हें होमोसेक्शुअल कहा जाता है। जो पुरुष पुरुषों की तरफ और जो महिलाएं महिलाओं की तरफ अट्रैक्ट होती हैं उन्हें होमोसेक्शुअल कहा जाता है। जो पुरुष होमोसेक्शुअल होते हैं उन्हें गे और महिलाओं को लेस्बियन कहा जाता है।
Hymen (हाइमन)
त्वचा का एक पतला टुकड़ा जो योनि के खुलने पर फैलता है। पीरियड के दौरान जब ब्लड निकलना शुरू होता है तो इसके खुलने की शुरुआत होती है। लोग ऐसा सोचा करते थे कि हाइमन टूटी न होने का मतलब था कि लड़की कुंवारी है। अब हम जानते हैं कि इसमें एक छोटा सा छेद है जो दौड़ने, खेलने और टैम्पून का उपयोग करने से फैल सकता है। कुछ लड़कियां बिना हाइमन के भी पैदा होती हैं। कई बार पहली बार इंटरकोर्स करने के दौरान भी हाइमन टूटती है। जिससे हल्की ब्लीडिंग भी हो सकती है।
Hand Job (हेंड जॉब)
किसी दूसरे के लिंग को रगड़ने, उत्तेजित करने के लिए अपने हाथ का उपयोग करने के लिए इस टर्म का उपयोग किया जाता है।
I
Intercourse (इंटरकोर्स)
किसी भी प्रकार की सेक्शुअल गतिविधि जिसमें दो या अधिक लोगों के बीच बॉडी फ्लूइड को शेयर करना, या मुंह, योनि या एनल में पेनिस्ट्रेशन करना शामिल हो। सेक्शुअल इंटरकोर्स में ओरल सेक्स और एनल सेक्स भी शामिल है। लोग अगर सेफ सेक्स का विकल्प नहीं अपनाते हैं तो उनको एचआईवी सहित सेक्शुअल ट्र्रांसमिटेड डिजीज हो सकती हैं। क्योंकि सेफ सेक्स तरल पदार्थ को एक व्यक्ति से दूसरे में जाने से रोकता है। अन्य एसटीआई, जैसे हर्पीज और एचपीवी जैसी बीमारियां संभोग के दौरान अवरोधक का उपयोग करते हुए भी हो सकती है, क्योंकि ये सीधे त्वचा से त्वचा के संपर्क के माध्यम से ट्रांसफर होती हैं।
J
JERK OFF (जर्क ऑफ)
जर्क ऑफ से मतलब मास्टरबेशन करने से है। जो इंसान मास्टरबेट करता है उसे जर्क ऑफ कहा जाता है।
K
Klinefelter’s syndrome (क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम)
एक इंटरसेक्स कंडिशन जिसमें लड़का एक वाई और दो एक्स क्रोमोसोम (XXY) के साथ पैदा होता है। कभी-कभी प्यूबर्टी के दौरान इसके बारे में पता चल जाता है, तो कभी-कभी युवावस्था तक भी पता नहीं चल पाता। यह इसके लक्षणों पर डिपेंड करता है। इसके लक्षणों में छोटा लिंग, असामान्य शारीरिक अनुपात और बांझपन शामिल हो सकते हैं। इसकी वजह से पुरुषों में टेस्टेस्टोरोन का उत्पादन बहुत कम होता है। यह सिंड्रोम कम मसल मांस, बॉडी और चेहरे पर बाल कम होना, ब्रेस्ट टिशूज का बढ़ना आदि का भी कारण बनता है। इसके लक्षण सभी में अलग-अलग हो सकते हैं। इस सिंड्रोम से पीड़ित ज्यादातर पुरुषों में स्पर्म नहीं बनता या बहुत कम बनता है। ऐसे पुरुष दूसरे रिप्रोडक्टिव प्रॉसीजर का सहारा लेकर पिता बन सकते हैं।
बच्चों में लक्षण
- कमजोर मांसपेशियां
- स्लो मोटर डेवलपमेंट ( चलने, बैठने और घुटने के बल चलने में औसत से अधिक समय लगना)
- देर से बोलना शुरू करना
- जन्म के समय समस्याएं जैसे कि टेस्टिकल का स्क्रोटम में न जाना।
टीनएजर लड़को में लक्षण
- औसत स्ट्रक्चर से ज्यादा लंबा होना
- दूसरे लड़कों की तुलना में लंबे पैर, छोटा धड़ और चौड़े कूल्हे
- प्यूबर्टी का देर से या ना आना
- छोटे, कड़े टेस्टिकल्स
- छोटा पेनिस
- विचार को व्यक्त करने में असर्मथता और सामाजिक न होना
- शर्मीले और संवेदनशील होने की प्रवृत्ति
- कमजोर हड्डियां और लो एनर्जी लेवल
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L
Lubricant (लुब्रिक्रेंट)
लुब्रिकेंट तरल चिपचिपा और चिकना पदार्थ होता है, जिसे गुप्तांगों पर लगाने के बाद स्मूदली सेक्स किया जा सकता है। कई बार ड्राई वजायना या किसी दूसरी परेशानी के चलते इंटरकोर्स के समय फ्रिक्शन संबंधी परेशानी होती हैं। जिसे लुब्रिकेंट की मदद से दूर किया जा सकता है और सेक्स को एंजॉय किया जा सकता है। अक्सर सेक्स के समय जब पुरुष और महिला के बीच में फोरप्ले होता है तो पेनिस और वजायना से कुछ तरल पदार्थ निकलते हैं, जिसे प्रीकम कहते हैं। जिसके मदद से इंटरकोर्स के समय पेनिस आसानी से वजायना में चला जाता है, लेकिन कभी-कभी स्ट्रेस, हॉर्मोनल चेंज, नींद की कमी आदि कारणों से प्रीकम रिलीज नहीं होता। ऐसे में इंटरकोर्स के दौरान दोनों पार्टनर को दर्द और घर्षण महसूस होता है। जिससे दर्द और खिंचाव होता है। इसी दर्द और घर्षण को रोकने के लिए लुब्रीकेंट का इस्तेमाल पेनिस और वजायना पर किया जाता है।
Lesbian (लेस्बियन)
ऐसी महिलाएं जो महिलाओं की तरफ ही सेक्शुअली और रोमांटकली अट्रेक्ट हों। इन्हें होमोसेक्शुअल भी कहा जाता है।
Labia (लेबिया)
अंदर और बाहर से वजायना को ढकने वाला हिस्सा। इन्हें फीमेल लेग के बीच के लिप्स भी कहा जाता है। इसका बाहर का हिस्सा बड़ा होता है जिस पर बाल उगते हैं। जबकि अंदर का हिस्सा छोटा है जो म्यूकस मेम्ब्रेन से बना होता है। यह भाग वजायना और यूरेथ्रा को ढकने के साथ ही उसे सुरक्षित रखता है।
Libido (लिबिडो)
लिविडो यानी की सेक्स करने की इच्छा। इसे सेक्स ड्राइव भी कहा जाता है। हर व्यक्ति के लिए यह अलग-अलग हो सकती है। लो सेक्स ड्राइव होना एक समस्या नहीं है, लेकिन ये इंसान के रिलेशनशिप और सेल्फ इस्टीम को अफेक्ट कर सकता है। बता दें कि एंजायटी, कॉम्प्लेक्स रिलेशनशिप, स्वास्थ्य समस्याएं और उम्र लिबिडो को प्रभावित करती हैं। नीचे बताई गई बातों को फॉलो करके आप नैचुरल तरीके से लिविडो को बूस्ट कर सकते हैं।
- तनाव को कम करके
- हेल्दी डायट अपनाकर
- प्रॉपर नींद लेकर
- रेगुलर एक्सरसाइज करके
- रिश्तों में नया जोश भरकर
- नई सेक्शुअल एक्टिविटीज ट्राई करके
- वेट को मेंटेन करके
- हर्बल रेमेडीज अपनाकर
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M
Masturbation (मास्टरबेशन)
इसे हिंदी में हस्तमैथुन भी कहा जाता है। इस क्रिया में व्यक्ति अपने जननांगों को छूकर खुद को उत्तेजित करता है। इसमें पुरुष पेनिस को रब करके और महिलाएं क्लिटोरिस को छूकर प्लेजर का अनुभव करती हैं। इससे ऑर्गेज्म तक पहुंचा जा सकता है। कई बार पार्टनर एक साथ भी मास्टरबेट करते हैं। कई लोग मास्टरबेशन को घृणित कार्य की तरह देखते हैं, लेकिन यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इसके कई फायदे भी हैं, लेकिन ज्यादा हस्तमैथुन करने के नुकसान भी दिखाई देते हैं। अक्सर लोगों के मन में यह धारणा होती है कि मास्टरबेशन करने से स्पर्म काउंट घट जाता है, जो कि गलत है।
मास्टरबेशन के फायदे
- स्ट्रेस रिलीज करता है और मूड अच्छा करता है।
- मास्टरबेशन से कामोत्तेजना को बढ़ाया जा सकता है।
- इससे पीरियड के दर्द को कम किया जा सकता है। मास्टरबेशन के दौरान अगर यूट्राइन कॉन्ट्रैक्शन महसूस होता है तो इससे पीरियड ब्लड आसानी से बाहर आ जाता है।
मास्टरबेशन के नुकसान
- अधिक मास्टरबेट करने से इसकी लत लग जाती है जो पार्टनर के साथ शारीरिक संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
- मास्टरबेशन का तरीका सही नहीं होने से प्राइवेट पार्ट्स को चोट लग सकती है।
- मास्टरबेशन आपको अकेलेपन का आदी बना सकता है।
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N
Nocturnal Orgasm (नॉकटर्नल ऑर्गेज्म)
इसे वेट ड्रीम के नाम से जाना जाता है। नॉकटर्नल ऑर्गेज्म से तात्पर्य सोते समय ऑर्गेज्म का अनुभव करना और इजैकुलेशन होना है। यह महिलाओं और पुरुष दोनों में होता है। सोते वक्त सेक्स ऑर्गन हाइपरसेंसटिव होते हैं क्योंकि इस समय इस एरिया में ज्यादा बल्ड फ्लो होता है। वेट ड्रीम्स अक्सर टीनएज में आते हैं क्योंकि इस समय बॉडी में कुछ मेजर चेंजेस हो रहे होते हें जो सेक्शुअल मैच्योरिटी को अफेक्ट करते हैं, लेकिन एडल्ट्स को भी नॉकटर्नल ऑर्गेज्म का अनुभव होता है। खासकर जब वे सेक्शुअली एक्टिव हों। ऐसा कहा जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ नॉकटर्नल ऑर्गेज्म होना कम हो जाता है।
वेट ड्रीम्स आना या ना आना कोई चिंता की बात नहीं है, लेकिन आपको अगर हमेशा ऐसे सपने आते हैं और आप इनसे परेशान हो रहे हैं तो इस बारे में किसी करीबी से बात करें। आप डॉक्टर के पास भी जा सकते हैं। वे आपको थेरिपी की सलाह दे सकते हैं जिसे यह पता लगाया जाएगा कि इन सपनों की वजह क्या है? और आपको क्यों हर समय ये सपने आते हैं।
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O
Orgasm (ऑर्गेज्म)
एक स्ट्रॉन्ग, इंटेंस और अच्छी फीलिंग जो सेक्स के दौरान जेनिटल ऑर्गन में महसूस होती है। जब पुरुष ऑर्गेज्म का अनुभव करते हैं तो उनमें सामान्यत: इजैकुलेशन होता है। महिलाओं को इस दौरान एक ऐंठन सी महसूस होती है तो कुछ सेकेंड से लेकर एक मिनट तक हो सकती है। कई लोगों को ऑर्गेज्म का अनुभव सेक्स के बारे में सोचकर, मास्टरबेशन के दौरान भी हो सकता है। हर बार सेक्स करते समय ऑर्गेज्म का अनुभव नहीं होता है,जो कि चिंता का विषय नहीं है। महिलाएं ऑर्गेज्म फील नहीं होने पर भी प्रेग्नेंट हो सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं की वजायना में मौजूद क्लिरोटिस और जी स्पॉट ऑर्गेज्म तक पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।
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Oral Sex (ओरल सेक्स )
जब कोई व्यक्ति अपने पार्टनर के जेनिटल ऑर्गन को किस, लिक और सक करता है ताकि उसे अच्छा महसूस हो तो उसे ओरल सेक्स कहा जाता है। ओरल सेक्स से सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन हो सकता है अगर ब्लड या सेक्शुअल फ्लूइड दूसरे के मुंह में चले जाते हैं। साथ ही किसी प्रकार का घाव या इंफेक्शन जैसे हर्पीस, सिफसिल होने पर भी दूसरे को संक्रमण होने की पूरी संभावना होती है। एसटीआई होने के संभावना तब भी होती है जब इससे इंफेक्टेड व्यक्ति के मुंह से ब्लड किसी दूसरे व्यक्ति के एनस, वजायना या पेनिस में चला जाता है। ऐसे में कंडोम का उपयोग इंफेक्शन से बचा सकता है। अगर आप भी ओरल सेक्स को एंजॉय करना चाहते हैं तो हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
One night stand (वन नाइट स्टैंड)
जब कोई दो लोग सिर्फ एक रात के लिए मिलते हैं और सेक्स करते हैं और इसके बाद दोबारा नहीं मिलते। उसे वन नाइट स्टैंड कहा जाता है। आजकल युवाओं में इसकी पॉपुलैरिटी बढ़ रही है। इसके कई नुकसान भी हैं अगर आप किसी बिलकुल स्ट्रेंजर के साथ रात बिताने वाले हैं तो हो सकता है कि आपका सामना किसी बुरे आदमी या औरत से हो जाए। ऐसे में हो सकता है रोमांच के लिए किया गया यह फैसला बुरे एक्सपीरियंस में तब्दील हो जाए।
इसके अलावा यह भी हो सकता है कि जो पार्टनर वन नाइट स्टैंड में आपसे मिलने आया है वह प्रोटेक्शन लेकर न आया हो या वो प्रोटेक्शन यूज करने से पक्ष में न हो। ऐसे में प्रेग्नेंसी के साथ ही सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होने का खतरा है। सेफ सेक्स बेहद जरूरी है। इस पर किसी प्रकार का नेगोसिएशन नहीं किया जाना चाहिए।
P
Penis (पेनिस)
मेल सेक्स ऑर्गन जो बॉडी के बाहर पैरों के बीच स्थित होता है। इसमें स्क्रॉटम और टेस्टिकल्स शामिल होते हैं। यह सॉफ्ट स्पॉन्जी टिशूज और ब्लड वेसल्स से मिलकर बना होता है। पेनिस के ऊपर का हिस्सा बेहद सेंसटिव होता है और जब इसे छुआ जाता है तो यह पुरुषों को प्लेजर का अहसास दिलाता है।
Porn (पोर्न)
यौन क्रियाओं का दृश्य चित्रण। इसका उपयोग कुछ लोग खुद को एक्साइट करने के लिए करते हैं तो कुछ इसके लती हो जाते हैं। पोर्न एडिक्शन कई बार डेली लाइफ, रिलेशनशिप और काम करने की क्षमता को भी प्रभावित कर देता है। हालांकि रिसर्चर इसको लेकर सहमत नहीं है। पोर्न देखने का एडिक्शन को निम्न लक्षणों से समझा जा सकता है।
- उस व्यक्ति की सेक्स लाइफ सेटिस्फाई नहीं रह जाती।
- पोर्नोग्राफी देखने वाले लोग अपने पार्टनर से सेटिस्फाई नहीं होते। उनके दिमाग में कंपेरिजन चलता रहता है।
- वे लोग पोर्न देखने पर फस्ट्रेट और शर्मनाक महसूस करते हैं, लेकिन इसे देखना जारी रखते हैं। इसे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
Phone sex (फोन सेक्स)
फोन पर उत्तेजित करने वाली बातचीत जिसमें लोग एक दूसरे के साथ सेक्स और हस्तमैथुन करने की कल्पना करते हैं। लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहने वाले लोग फोन सेक्स को एंजॉय करते नजर आते हैं।
Q
Queer (क्वीर)
एलजीबीटी कम्युनिटी में क्वीर सबसे अलग होते हैं। वैसे यह एक अम्ब्रेला टर्म है जिसमें गे, लेस्बियन और बाइसेक्शुअल लोग आते हैं। इसमें हेट्रोसेक्शुअल लोगा शामिल नहीं होते हैं। क्वीर कई बार अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन के अंतर्गत अपनी कामुक इच्छा और रोमांटिक अट्रैक्शन को समझ नहीं पाते हैं। पहले क्वीर शब्द का उपयोग बदनाम लोगों के लिए किया जाता है। जिससे आज भी कुछ लोग अक्रामक हो सकते हैं। हालांकि बहुत से लोग इस शब्द का उपयोग अपने लिए गर्व के साथ करते हैं। किसी को भी क्वीर बुलाने से पहले एक बार जरूर सोच लें।
R
Reproductive organs (रिप्रोडक्टिव ऑर्गन)
प्रजनन या रिप्रोडक्शन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव अपने जैसे और जीव बनाते हैं। ह्यूमन रिप्रोडक्टिव प्रॉसेस में दो प्रकार की सेक्स कोशिकाएं या गेमेट्स शामिल होते हैं। जिसमें मेल गेमेट्स, स्पर्म और फीमेल जीमेट, एग और ओवम होता है। इस रिप्रोडक्शन में जो अंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं उनको रिप्रोडक्टिव ऑर्गन कहा जाता है। फैलोपियन ट्यूब, ओवरीज, यूटरस, वजायना, पेनिस और टेस्टिकल्स रिप्रोडक्शन ऑर्गन में शामिल हैं।
Rimming (रिमिंग)
किसी व्यक्ति के एनस (बट होल) या इसके आसपास मुंह, होंठ, जीभ से स्पर्श करना रिमिंग कहलाता है। यह भी एक तरह का ओरल सेक्स है। ऐसा करने से आप सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का शिकार हो सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन कर रहा है और किसके साथ हो रहा है। इंफेक्शन को रोकने के लिए आप एनस के बीच बैरियर का उपयोग कर सकते हैं।
Rape (रेप)
एक ऐसी स्थिति जब किसी के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं। रेप को क्राइम माना जाता है और हर देश में इसके लिए सजा और कानून बनाए गए हैं। शादी के बाद पत्नि की इच्छा के बिना उससे शारीरिक संबंध बनाना भी रेप की केटेगरी में आता है।
S
Semen (सीमन)
स्पर्म (मेल रिप्रोडक्टिव सेल) युक्त फ्लूइड जो इजैकुलेशन के दौरान पेनिस से रिलीज होता है, जब पुरुष ऑर्गेज्म का अनुभव करते हैं, सीमन कहलाता है। इस फ्लूइड में सेमिनल वेसिकल्स, प्रोस्टेट और टेस्टिस से निकला फ्लूइड शामिल होता है। यह क्लियर, व्हीटिश , स्टिकी लिक्विड होता है। सीमन के ड्रॉप में एक लाख से अधिक स्पर्म होते हैं। सीमन स्पर्म को स्विम करने के योग्य बनाता है। इसके बिना वे मूव नहीं कर सकते।
Sex toys (सेक्स टॉयज)
सेक्स टॉयज जिन्हें लोग सेक्स के दौरान यूज करने के लिए खरीदते हैं। वे इनका उपयोग अकेले में या किसी के साथ सेक्स करते समय यूज कर सकते हैं। इसमें डिल्डो, वाइब्रेटर्स और दूसरे आइटम्स शामिल होते हैं। सेक्स टॉयज का यूज करना रोमांचक हो सकता है, लेकिन इनको शेयर करना नहीं। इनको शेयर करने से सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs) का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप सेक्स टॉयज को शेयर करते हैं तो कंडोम का यूज करना चाहिए, लेकिन सबसे अच्छा यही है कि आप इन्हें शेयर न करें।
Sperm (स्पर्म)
पुरुष की छोटी सेक्स कोशिकाएं जो अंडकोष में बनती हैं। जब पुरुष इजैक्युलेट करता है तो स्पर्म पेनिस से बाहर आ जाता है। अगर यह स्खलन महिला की योनि के पास होता है तो स्पर्म स्विम करते हुए एग की खोज करता है। अगर यह स्पर्म महिला के एग से मिल जाता है तो महिला प्रेग्नेंट हो जाती है। स्पर्म महिला की वजायना में पांच दिन तक जीवित रह सकता है। अगर पुरुष इजैक्युलेट नहीं करता तो स्पर्म शरीर में ही रह जाता है।
Sexual transmitted disease STD (सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज)
सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज को शॉर्ट में एसटीडी (STDs) कहा जाता है। इन्हें यौन संचारित रोग भी कहते हैं।सेक्शुअल एक्टिविटीज के दौरान माउथ, एनस या वजायना के द्वारा ये बीमारियां एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं। संक्रमित व्यक्ति के स्तनपान से, इंफेक्टेड निडिल, इंफेक्टेड ब्लड चढ़ाने और खुले घावों या छिली हुई त्वचा के संपर्क में आने से भी एसटीडी का खतरा रहता है। (STDs) के अंतर्गत निम्न बीमारियां आती हैं।
- क्लेमाइडिया
- गोनोरिया
- सिफलिस
- ट्राइकोमोनस
- एसपीवी
- हर्पीस
- हेपेटाइटिस-बी
- हेपेटाइटिस-सी
- एचआईवी
T
Transgender (ट्रांसजेंडर)
ऐसे लोग जो जिस सेक्स के साथ जन्म लेते हैं लेकिन अंदर से वैसे नहीं होते। ट्रांसजेडर, गे, लेस्बियन आदि कई सेक्शुअल ओरिएंटेशन से संबंधित हो सकते हैं। सेक्शुअल ओरिएंटेशन ही व्यक्ति की कामुक इच्छा या रोमांटिक अट्रैक्शन और जेंडर को लेकर रूचि को बताता है। एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति गे, लेस्बियन, स्ट्रेट या अन्य सेक्सुअल ओरिएंटेशन के साथ यौन संबंध स्थापित करने में इंटरेस्टेड हो सकता है।
Testosterone (टेस्टेस्टोरेन)
नैचुरली बनने वाला मेल हॉर्मोन, जो स्पर्म के प्रोडक्शन और पुरुषों की विशेषताओं के लिए आवश्यक होता है। जिसमें मसल मांस, स्ट्रेंथ, फैट डिस्ट्रीब्यूशन, बोन मास, चेहरे के बालों का विकास, आवाज का बदलना और सेक्स ड्राइव शामिल है। अगर इसे एक ड्रग के रूप में लिया जाता है तो यह लीन बॉडी मास गेन करने, सेक्स ड्राइव को बढ़ाने में मदद करता है। हालांकि इसकी वजह से व्यवहार आक्रामक भी हो सकता है। यह हॉर्मोन मनुष्य और जानवरों में पाया जाता है।
पुरुषों में यह हॉर्मोन टेस्टिकल्स में बनता है वहीं महिलाओं की ओवरीज भी इस हॉर्मोन को बनाती है, लेकिन यहां पर इसकी मात्रा काफी कम होती है। टेस्टोस्टेरोन के लो लेवल को लो टी लेवल भी कहा जाता है। पुरुषों में इसके लक्षण निम्न हैं।
- सेक्स ड्राइव में कमी
- कम एनर्जी का अहसास होना
- वजन का बढ़ना
- डिप्रेशन
- बार-बार मूड का बदलना
- लो सेल्फ इस्टीम
- बॉडी पर बालों का कम होना
- हड्डियों का पतला होना
Tubectomy (ट्यूबेक्टॉमी)
सर्जरी के द्वारा फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक करना या हटाना ट्यूबेक्टॉमी कहलाता है। इसे महिला नसबंदी कहा जा सकता है। यह कॉन्ट्रासेप्शन का परमानेंट तरीका है। फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक करने से ओवरी से एग रिलीज होने के बाद यूटेरस में नहीं पहुंच पाते और फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया नहीं हो पाती जिससे महिला प्रेग्नेंट नहीं हो पाती। जब महिला भविष्य में कंसीव नहीं करना चाहती तो इस प्रॉसेस को अपनाया जाता है। ट्यूबेक्टॉमी के बाद महिला को उसी दिन छुट्टी दी जा सकती है। हालांकि, सर्जरी के बाद इन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- पहले चार से आठ घंटों में दर्द और मिचली (अल्पकालिक दर्द की दवा की आवश्यकता हो सकती है)
- पेट दर्द और ऐंठन
- थकान
- सिर चकराना
आमतौर पर एक सप्ताह या दस दिनों के बाद टांके निकाले जाते हैं। छह सप्ताह के बाद फॉलो-अप चेक-अप के लिए डॉक्टर पर जाना जरूरी है।
इस सर्जरी के बाद महिलाओं को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- एक हफ्ते का कठिन व्यायाम नहीं करना चाहिए।
- एक हफ्ते तक सेक्स से परहेज करें।
- दर्द से राहत के लिए डॉक्टर से द्वारा बताई गई दवाएं ली जा सकती हैं।
- किसी प्रकार की ब्लीडिंग, तेज बुखार या चक्कर आने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
Urethra (यूरेथ्रा)
एक छोटी ट्यूब जो ब्लैडर से यूरिन को बाहर ले जाती है। पुरुषों के लिए यूरेथ्रा पेनिस के ऊपर छोटा सा होल है। महिलाओं में यह वजायना के ओपनिंग के ठीक ऊपर और क्लिटोरिस के ठीक नीचे होता है। सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार जर्म यूरेथ्रा (मूत्रमार्ग) से शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं।
Uterus (यूटेरस)
एक ऑर्गन जो महिला की बॉडी में पेल्विक एरिया के नीचे पाया जाता है। यह फैलोपियन ट्यूब और वजायना दोनों से जुड़ा रहता है। यह वही जगह है जहां महिला के गर्भवती होने पर भ्रूण का विकास होता है। हर महीने महिला के पीरियड के दौरान यूटेरस बेबी को ग्रो करने के लिए ब्लड की मोटी दीवार बनाकर तैयार हो जाता है। अगर महिला प्रेग्नेंट नहीं होती है तो यह ब्लड बॉडी से बाहर निकल जाता है।
V
Vagina (वजायना)
महिलाओं का वह अंग जो योनि को गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा से जोड़ा है। इसे बर्थ कैनाल भी कहा जाता है क्योंकि एक महिला बच्चे को जन्म यही से देती है। यही से पीरियड्स होते हैं। टैम्पून और मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग भी यहीं किया जाता है। वजायना वही स्थान है जहां सेक्स के दौरान इरेक्ट पेनिस जाता है।
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Virgin (वर्जिन )
जिस इंसान ने कभी सेक्स न किया हो उसको वर्जिन कहते हैं, लेकिन इसका मतलब हर इंसान के लिए अलग-अलग है। उदाहरण के लिए कई लोग सोचते हैं कि वर्जनिटी खोने का मतलब वजायनल सेक्स से हैं। वहीं कुछ मानते हैं कि अगर आप ओरल सेक्स और एनल सेक्स जैसी सेक्शुअल एक्टिविटीज में इनवॉल्व हैं तो आपने अपनी वर्जनिटी को खो दिया है और आप वर्जिन नहीं हैं। सेक्शुअल रिलेशन बनाने से पहले पार्टनर से पूछ लेना ही सही है कि वर्जिन होने से उनका मतलब क्या है। इससे आप सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन से बच सकते हैं।
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Vaginal discharge (वजायनल डिसचार्ज)
एक साफ और स्लिपरी फ्लूइड जो वजायना की वॉल्व से बाहर आता है। यह एक नैचुरल लूब्रिकेंट होता है जो सेक्स से पहले या सेक्स के दौरान बाहर आता है। यह पेनिस को वजायना के अंदर जाने में मदद करता है। साथ ही यह वजायना की लाइनिंग को प्रोटेक्ट करता है। यह फ्लूइड दूसरे के लिए सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। इससे बचने के लिए सेफ सेक्स जरूरी है।
Vaginoplasty (वजायनोप्लास्टी)
वजायनलोप्सास्टी में सर्जरी के जरिए वजायना में आए ढीलेपन को दूर किया जाता है। अक्सर डिलिवरी के बाद महिलाओं की वजायना और उसका ऊपरी हिस्सा जिसे लेबिया या वजायनल लिप्स कहते हैं में आए ढीलेपन को ठीक करने के लिए वजायनोप्लास्टी का सहारा लिया जाता है। प्लास्टिक सर्जरी के जरिए उन हिस्सों में फिर से कसाव लाया जाता है, लेकिन आजकल अनमैरिड लड़कियां भी वजायनोप्लास्टी करवा रही हैं। वजायनल प्लास्टिक सर्जरी दो प्रकार की होती है। वजायनोप्लास्टी और लेबियाप्लास्टी।
Vasectomy (वसेक्टमी)
पुरुषों के लिए एक स्थायी नसबंदी प्रक्रिया, जिसमें वेस डेफेरेंस को काटना और सील करना शामिल है, जो शुक्राणुओं को ले जाते हैं। प्रक्रिया शुक्राणु को लिंग से स्खलित वीर्य के साथ मिलाने से रोकती है। इसके बाद सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान स्पर्म यूरेथ्रा में प्रवेश नहीं कर पाते और फर्टिलाइजेशन नहीं होता और महिला प्रेग्नेंट नहीं होती। इसे प्रेग्नेंसी रोकने वाली सर्जरी भी कहा जाता है। यह सर्जरी 100% इफेक्टिव होती है। दुलर्भ मामलों में ट्यूब कभी रिजॉइन होती है और ऐसे में प्रेग्नेंसी हो सकती है।
इस सर्जरी के साइड इफेक्ट्स नहीं है। इससे टेस्टेस्टोरोन के लेवल, इरेक्शन, ऑर्गेज्म और सेक्स लाइफ पर कोई असर नहीं पड़ता। यह सर्जरी काफी सेफ है। कॉम्प्लीकेशन सामान्य नहीं हैं, लेकिन अगर ये होते हैं तो इनमें सूजन, लालिमा, इंफेक्शन और इंफ्लामेशन हो सकता है। ये गंभीर नहीं होते, लेकिन अगर कोई शंका होती है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
रिकवरी
घर पहुंचने के बाद कम से कम एक दिन पूरी तरह रेस्ट करें। इस सर्जरी के बाद एक हफ्ते के अंदर पूरी तरह रिकवरी हो जाती है। कई पुरुष इस सर्जरी को शुक्रवार को कराते हैं और सोमवार से काम करना शुरू कर देते हैं। सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक दर्द का अहसास हो सकता है। सूजन और दर्द का उपचार आइस पैक की मदद से किया जा सकता है। सेक्स से थोड़े दिन के लिए ब्रेक लेना होगा। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो रिकवरी जल्दी होगी।
W
Withdrawal (विड्रॉल)
जब कोई पुरुष पेनिस को वजायना, एनस और मुंह से इजैकुलैशन से पहले बाहर निकाल लेता है ताकि सीमन दूसरे इंसान के अंदर ना चला जाए तो इसे विड्रॉल कहते हैं। विड्रॉल प्रेग्नेंसी को रोकने और सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज को फैलने से रोकने में सहायक नहीं है। इसे पुलिंग आउट (Pulling out) (Pull out) मेथड भी कहते हैं।
बर्थ कंट्रोल के लिए विड्रॉल मेथड अपनाने के लिए सेल्फ कंट्रोल की जरूरत होती है। हालांकि बर्थ कंट्रोल के लिए यह काम नहीं करता। अगर विड्रॉल को सही समय पर और सही तरीके से न किया गया तो स्पर्म वजायना के अंदर जा सकते हैं। साथ ही प्री इजैक्युलेशन फ्लूइड में भी स्पर्म हो सकता है। जो वजायना में चला जाता है। लोग प्रेग्नेंसी रोकने के लिए इस मेथड का उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि इसके कोई साइड-इफेक्ट्स नहीं है। साथ ही इसके लिए कोई दूसरे कॉन्ट्रासेप्शन की तरह कुछ बॉडी में कुछ लगाने या सेट करने की जरूरत नहीं होती। कई कपल्स का मानना है कि विड्रॉल से सेक्शुअल प्लेजर में रुकावट आती है।
Wet Dreams (वेट ड्रीम्स)
सेक्शुअल ड्रीम्स जो इजैक्यूलेशन और वजायनल लुब्रीकेशन का कारण बनते हैं। प्यूबर्टी के दौरान ऐसे सपनों का आना सामान्य माना जाता है। इसे नोकर्टनल इमिशन और नॉकर्टनल ऑर्गेज्म भी कहा जाता है।
X
XX chromosomes- (एक्स एक्स क्रोमोसोम)
मानव कोशिका में क्रोमोसोम जिसे हिंदी में गुणसूत्र कहा जाता है कि संख्या 46 होती है जो 23 के पेयर में होते हैं। इनमें से 22 क्रोमोसोम नर और मादा में समान और अपने-अपने जोड़े के समजात होते हैं। इन्हें सम्मिलित रूप से समजात गुणसूत्र (Autosomes) कहते हैं। 23वें जोड़े के क्रोमोसोम महिला और पुरूष में समान नहीं होते जिन्हें विषमजात गुणसूत्र (heterosomes) कहते हैं। XX क्रोमोसोम लिंग को डिफाइन करने वाले गुणसूत्रों की वह जोड़ी जो यह तय करती है कि बेबी वजायना, वल्वा, यूट्रस और ओवरीज के साथ पैदा होगी। XX क्रोमोसोम के साथ पैदा होने वालों का जेंडर फीमेल होता है।
XY chromosomes- (एक्स वाय क्रोमोसोम)
सेक्स का निर्धारण करने वाले क्रोमोसोम जो यह तय करते हैं कि बच्चा पेनिस और स्क्रॉटम के साथ पैदा होगा। XY chromosomes के साथ पैदा होने वाले बच्चों का जेंडर मेल होता है।
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Y
Yeast infection (यीस्ट इंफेक्शन)
कैंडिडा यीस्ट के कारण होने वाले इंफेक्शन को यीस्ट इंफेक्शन कहते हैं। किसी महिला को यीस्ट इंफेक्शन तब होता है जब वजायना में ग्रो होने वाले यीस्ट का विकास बहुत अधिक होने लगता है। यीस्ट इंफेक्शन का इलाज दवाइयों के जरिए किया जा सकता है। यीस्ट जल्दी ग्रो कर सकते हैं जब महिला एंटीबायोटिक्स और बर्थ कंट्रोल पिल्स का उपयोग लंबे समय तक करती है या उसे यीस्ट से एलर्जी होती है। अपनी डायट को चेंज करना और अधिक मात्रा में शुगर का सेवन भी यीस्ट के जल्दी ग्रो होने का कारण बन सकता है। यीस्ट इंफेक्शन पेनिस और मुंह में भी हो सकता है। मुंह और गले में होने वाले यीस्ट इंफेक्शन को थ्रस कहा जाता है। ध्यान रखें कि वजायनल यीस्ट इंफेक्शन सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन नहीं है।
यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण
- वजायना में ईचिंग और लालिमा और सूजन
- वजायना के आस-पास रैशेज
- वजायना से गाढ़ा, सफेद, गंधहीन डिसचार्ज
- यूरिन या फिर सेक्स करते समय जलन महसूस होना
- वाटरी डिसचार्ज
गंभीर यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण
- गंभीर सूजन और लालिमा और अत्यधिक दर्द और खुजली
- साल में चार बार से अधिक यीस्ट इंफेक्शन होना
- टिपिकल टाइप के फंगस से इंफेक्शन होना
अगर ये लक्षण ओवर द काउंटर एंटीफंगल वजायनल क्रीम आदि लगाने के बाद नहीं जा रहे हैं या नए लक्षण विकसित हो रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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Z
Zygote (जायगोट)
जायगोट का निमार्ण तब होता है जब पुरुष का स्पर्म महिला के एग को फर्टिलाइज कर देता है। यह पहला स्टेप होता है। इसके बाद एम्ब्रियो का निमार्ण होता है फिर फीटस और आखिर में बेबी। रिप्रोडक्शन के लिए एक स्पर्म को अंडे की बाहरी सतह तक पहुंचना जरूरी होता है। ज्यादातर मामलों में ऑव्युलेशन के दौरान एक अंडा रिलीज होता है और हजारों स्पर्म इस सिंगल एग सेल को पेनिट्रेट करने का प्रयास करते हैं। अगर एक भी स्पर्म आउटर सरफेस पर टूट जाता है तो एग के सरफेस पर केमिकल चेंजेस होते हैं जो दूसरे स्पर्म को एंट्री करने से रोकते हैं। यह प्रॉसेस सामान्यत: सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान होती है।
हालांकि, चिकित्सकीय सहायता से भी फर्टिलाइजेशन जिसे हिंदी में निषेचन कहते हैं संभव है। इंट्रायूट्राइन इंसेमिनेशन आईयूआई (IUI) इन विट्रो फर्टिलाइजेशन आईवीएफ IVF दो सहायक तकनीक हैं। आईयूआई में कैथेटर के जरिए सीमन को गर्भाशय में डाला जाता है ताकि महिला की बॉडी में फर्टिलाइजेशन हो। वहीं आईवीएफ में एग्स को अंडाशय से निकालकर लेब में फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद जायगोट को यूट्रस में इंप्लांट कर दिया जाता है।
तो यहां पर हमारी सेक्स ग्लॉसरी खत्म होती है। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। हम आशा करते हैं कि अब आप सेक्स टर्म को आसानी से समझ पाएंगे। यहां हमने प्रमुख सेक्स टर्म और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है। टर्मिनोलॉजी या सेक्स टर्म से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए आप एक्सपर्ट से संपर्क कर सकते हैं।
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