Uterus (यूटेरस)
एक ऑर्गन जो महिला की बॉडी में पेल्विक एरिया के नीचे पाया जाता है। यह फैलोपियन ट्यूब और वजायना दोनों से जुड़ा रहता है। यह वही जगह है जहां महिला के गर्भवती होने पर भ्रूण का विकास होता है। हर महीने महिला के पीरियड के दौरान यूटेरस बेबी को ग्रो करने के लिए ब्लड की मोटी दीवार बनाकर तैयार हो जाता है। अगर महिला प्रेग्नेंट नहीं होती है तो यह ब्लड बॉडी से बाहर निकल जाता है।
V
Vagina (वजायना)
महिलाओं का वह अंग जो योनि को गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा से जोड़ा है। इसे बर्थ कैनाल भी कहा जाता है क्योंकि एक महिला बच्चे को जन्म यही से देती है। यही से पीरियड्स होते हैं। टैम्पून और मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग भी यहीं किया जाता है। वजायना वही स्थान है जहां सेक्स के दौरान इरेक्ट पेनिस जाता है।
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Virgin (वर्जिन )
जिस इंसान ने कभी सेक्स न किया हो उसको वर्जिन कहते हैं, लेकिन इसका मतलब हर इंसान के लिए अलग-अलग है। उदाहरण के लिए कई लोग सोचते हैं कि वर्जनिटी खोने का मतलब वजायनल सेक्स से हैं। वहीं कुछ मानते हैं कि अगर आप ओरल सेक्स और एनल सेक्स जैसी सेक्शुअल एक्टिविटीज में इनवॉल्व हैं तो आपने अपनी वर्जनिटी को खो दिया है और आप वर्जिन नहीं हैं। सेक्शुअल रिलेशन बनाने से पहले पार्टनर से पूछ लेना ही सही है कि वर्जिन होने से उनका मतलब क्या है। इससे आप सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन से बच सकते हैं।
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Vaginal discharge (वजायनल डिसचार्ज)
एक साफ और स्लिपरी फ्लूइड जो वजायना की वॉल्व से बाहर आता है। यह एक नैचुरल लूब्रिकेंट होता है जो सेक्स से पहले या सेक्स के दौरान बाहर आता है। यह पेनिस को वजायना के अंदर जाने में मदद करता है। साथ ही यह वजायना की लाइनिंग को प्रोटेक्ट करता है। यह फ्लूइड दूसरे के लिए सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। इससे बचने के लिए सेफ सेक्स जरूरी है।
Vaginoplasty (वजायनोप्लास्टी)
वजायनलोप्सास्टी में सर्जरी के जरिए वजायना में आए ढीलेपन को दूर किया जाता है। अक्सर डिलिवरी के बाद महिलाओं की वजायना और उसका ऊपरी हिस्सा जिसे लेबिया या वजायनल लिप्स कहते हैं में आए ढीलेपन को ठीक करने के लिए वजायनोप्लास्टी का सहारा लिया जाता है। प्लास्टिक सर्जरी के जरिए उन हिस्सों में फिर से कसाव लाया जाता है, लेकिन आजकल अनमैरिड लड़कियां भी वजायनोप्लास्टी करवा रही हैं। वजायनल प्लास्टिक सर्जरी दो प्रकार की होती है। वजायनोप्लास्टी और लेबियाप्लास्टी।
Vasectomy (वसेक्टमी)
पुरुषों के लिए एक स्थायी नसबंदी प्रक्रिया, जिसमें वेस डेफेरेंस को काटना और सील करना शामिल है, जो शुक्राणुओं को ले जाते हैं। प्रक्रिया शुक्राणु को लिंग से स्खलित वीर्य के साथ मिलाने से रोकती है। इसके बाद सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान स्पर्म यूरेथ्रा में प्रवेश नहीं कर पाते और फर्टिलाइजेशन नहीं होता और महिला प्रेग्नेंट नहीं होती। इसे प्रेग्नेंसी रोकने वाली सर्जरी भी कहा जाता है। यह सर्जरी 100% इफेक्टिव होती है। दुलर्भ मामलों में ट्यूब कभी रिजॉइन होती है और ऐसे में प्रेग्नेंसी हो सकती है।
इस सर्जरी के साइड इफेक्ट्स नहीं है। इससे टेस्टेस्टोरोन के लेवल, इरेक्शन, ऑर्गेज्म और सेक्स लाइफ पर कोई असर नहीं पड़ता। यह सर्जरी काफी सेफ है। कॉम्प्लीकेशन सामान्य नहीं हैं, लेकिन अगर ये होते हैं तो इनमें सूजन, लालिमा, इंफेक्शन और इंफ्लामेशन हो सकता है। ये गंभीर नहीं होते, लेकिन अगर कोई शंका होती है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
रिकवरी
घर पहुंचने के बाद कम से कम एक दिन पूरी तरह रेस्ट करें। इस सर्जरी के बाद एक हफ्ते के अंदर पूरी तरह रिकवरी हो जाती है। कई पुरुष इस सर्जरी को शुक्रवार को कराते हैं और सोमवार से काम करना शुरू कर देते हैं। सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक दर्द का अहसास हो सकता है। सूजन और दर्द का उपचार आइस पैक की मदद से किया जा सकता है। सेक्स से थोड़े दिन के लिए ब्रेक लेना होगा। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो रिकवरी जल्दी होगी।
W
Withdrawal (विड्रॉल)
जब कोई पुरुष पेनिस को वजायना, एनस और मुंह से इजैकुलैशन से पहले बाहर निकाल लेता है ताकि सीमन दूसरे इंसान के अंदर ना चला जाए तो इसे विड्रॉल कहते हैं। विड्रॉल प्रेग्नेंसी को रोकने और सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज को फैलने से रोकने में सहायक नहीं है। इसे पुलिंग आउट (Pulling out) (Pull out) मेथड भी कहते हैं।
बर्थ कंट्रोल के लिए विड्रॉल मेथड अपनाने के लिए सेल्फ कंट्रोल की जरूरत होती है। हालांकि बर्थ कंट्रोल के लिए यह काम नहीं करता। अगर विड्रॉल को सही समय पर और सही तरीके से न किया गया तो स्पर्म वजायना के अंदर जा सकते हैं। साथ ही प्री इजैक्युलेशन फ्लूइड में भी स्पर्म हो सकता है। जो वजायना में चला जाता है। लोग प्रेग्नेंसी रोकने के लिए इस मेथड का उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि इसके कोई साइड-इफेक्ट्स नहीं है। साथ ही इसके लिए कोई दूसरे कॉन्ट्रासेप्शन की तरह कुछ बॉडी में कुछ लगाने या सेट करने की जरूरत नहीं होती। कई कपल्स का मानना है कि विड्रॉल से सेक्शुअल प्लेजर में रुकावट आती है।
Wet Dreams (वेट ड्रीम्स)
सेक्शुअल ड्रीम्स जो इजैक्यूलेशन और वजायनल लुब्रीकेशन का कारण बनते हैं। प्यूबर्टी के दौरान ऐसे सपनों का आना सामान्य माना जाता है। इसे नोकर्टनल इमिशन और नॉकर्टनल ऑर्गेज्म भी कहा जाता है।
X
XX chromosomes- (एक्स एक्स क्रोमोसोम)
मानव कोशिका में क्रोमोसोम जिसे हिंदी में गुणसूत्र कहा जाता है कि संख्या 46 होती है जो 23 के पेयर में होते हैं। इनमें से 22 क्रोमोसोम नर और मादा में समान और अपने-अपने जोड़े के समजात होते हैं। इन्हें सम्मिलित रूप से समजात गुणसूत्र (Autosomes) कहते हैं। 23वें जोड़े के क्रोमोसोम महिला और पुरूष में समान नहीं होते जिन्हें विषमजात गुणसूत्र (heterosomes) कहते हैं। XX क्रोमोसोम लिंग को डिफाइन करने वाले गुणसूत्रों की वह जोड़ी जो यह तय करती है कि बेबी वजायना, वल्वा, यूट्रस और ओवरीज के साथ पैदा होगी। XX क्रोमोसोम के साथ पैदा होने वालों का जेंडर फीमेल होता है।
XY chromosomes- (एक्स वाय क्रोमोसोम)
सेक्स का निर्धारण करने वाले क्रोमोसोम जो यह तय करते हैं कि बच्चा पेनिस और स्क्रॉटम के साथ पैदा होगा। XY chromosomes के साथ पैदा होने वाले बच्चों का जेंडर मेल होता है।
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Y
Yeast infection (यीस्ट इंफेक्शन)
कैंडिडा यीस्ट के कारण होने वाले इंफेक्शन को यीस्ट इंफेक्शन कहते हैं। किसी महिला को यीस्ट इंफेक्शन तब होता है जब वजायना में ग्रो होने वाले यीस्ट का विकास बहुत अधिक होने लगता है। यीस्ट इंफेक्शन का इलाज दवाइयों के जरिए किया जा सकता है। यीस्ट जल्दी ग्रो कर सकते हैं जब महिला एंटीबायोटिक्स और बर्थ कंट्रोल पिल्स का उपयोग लंबे समय तक करती है या उसे यीस्ट से एलर्जी होती है। अपनी डायट को चेंज करना और अधिक मात्रा में शुगर का सेवन भी यीस्ट के जल्दी ग्रो होने का कारण बन सकता है। यीस्ट इंफेक्शन पेनिस और मुंह में भी हो सकता है। मुंह और गले में होने वाले यीस्ट इंफेक्शन को थ्रस कहा जाता है। ध्यान रखें कि वजायनल यीस्ट इंफेक्शन सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन नहीं है।
यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण
- वजायना में ईचिंग और लालिमा और सूजन
- वजायना के आस-पास रैशेज
- वजायना से गाढ़ा, सफेद, गंधहीन डिसचार्ज
- यूरिन या फिर सेक्स करते समय जलन महसूस होना
- वाटरी डिसचार्ज
गंभीर यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण
- गंभीर सूजन और लालिमा और अत्यधिक दर्द और खुजली
- साल में चार बार से अधिक यीस्ट इंफेक्शन होना
- टिपिकल टाइप के फंगस से इंफेक्शन होना
अगर ये लक्षण ओवर द काउंटर एंटीफंगल वजायनल क्रीम आदि लगाने के बाद नहीं जा रहे हैं या नए लक्षण विकसित हो रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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Z
Zygote (जायगोट)
जायगोट का निमार्ण तब होता है जब पुरुष का स्पर्म महिला के एग को फर्टिलाइज कर देता है। यह पहला स्टेप होता है। इसके बाद एम्ब्रियो का निमार्ण होता है फिर फीटस और आखिर में बेबी। रिप्रोडक्शन के लिए एक स्पर्म को अंडे की बाहरी सतह तक पहुंचना जरूरी होता है। ज्यादातर मामलों में ऑव्युलेशन के दौरान एक अंडा रिलीज होता है और हजारों स्पर्म इस सिंगल एग सेल को पेनिट्रेट करने का प्रयास करते हैं। अगर एक भी स्पर्म आउटर सरफेस पर टूट जाता है तो एग के सरफेस पर केमिकल चेंजेस होते हैं जो दूसरे स्पर्म को एंट्री करने से रोकते हैं। यह प्रॉसेस सामान्यत: सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान होती है।
हालांकि, चिकित्सकीय सहायता से भी फर्टिलाइजेशन जिसे हिंदी में निषेचन कहते हैं संभव है। इंट्रायूट्राइन इंसेमिनेशन आईयूआई (IUI) इन विट्रो फर्टिलाइजेशन आईवीएफ IVF दो सहायक तकनीक हैं। आईयूआई में कैथेटर के जरिए सीमन को गर्भाशय में डाला जाता है ताकि महिला की बॉडी में फर्टिलाइजेशन हो। वहीं आईवीएफ में एग्स को अंडाशय से निकालकर लेब में फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद जायगोट को यूट्रस में इंप्लांट कर दिया जाता है।
तो यहां पर हमारी सेक्स ग्लॉसरी खत्म होती है। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। हम आशा करते हैं कि अब आप सेक्स टर्म को आसानी से समझ पाएंगे। यहां हमने प्रमुख सेक्स टर्म और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है। टर्मिनोलॉजी या सेक्स टर्म से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए आप एक्सपर्ट से संपर्क कर सकते हैं।
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