महिला और पुरुषों में फर्टिलिटी एक निश्चित समय तक रहती है। बायोलॉजिक क्लॉक फैमिली बनाने के लिए बहुत मायने रखती है। प्रेग्नेंसी की एज में गहरा संबंध है। एक महिला में प्रेग्नेंसी की एज 35 की मानी जाती है। वहीं पुरुष के लिए 40 की उम्र के पहले पिता बनना बेहतर होता है। ये बात नैचुरल प्रेग्नेंसी के साथ ही असिस्टेड रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट के लिए लागू होती है। अधिक उम्र में माता-पिता बनना बच्चे के साथ ही मां के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि आखिर क्यों प्रेग्नेंसी की एज फैमिली बढ़ाने के लिए मायने रखती है?
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प्रेग्नेंसी और एज का संबंध
आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में किसी भी महिला या पुरुष के लिए 30 से 32 की उम्र के पहले शादी करना थोड़ा कठिन हो जाता है। शादी के बाद भी करियर, फाइनेंस, हाउसिंग, ट्रैवल आदि के कारण कपल्स के लिए जल्दी बच्चे के लिए सोचना आसान नहीं होता है। 35 की उम्र के बाद महिलाओं के लिए प्रेग्रेंट होना थोड़ा कठिन होता है। महिलाओं को शारीरिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। डॉक्टर्स के अनुसार 30 की उम्र के पहले प्रेग्नेंसी की एज महिलाओं के लिए सबसे बढ़िया समय होता है। अधिक उम्र में मां या पिता बनने की कोशिश करना कठिन साबित हो सकता है।
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महिलाओं में एग का फॉर्मेशन
महिलाओं में एग का फॉर्मेशन एक उम्र तक होता है। 20 से 30 की उम्र में महिलाओं के एग की क्वालिटी को अच्छा माना जाता है। टाइम बीतने के साथ ही एग की क्वालिटी के साथ क्वांटिटी पर भी इफेक्ट पड़ता है। जो महिलाएं किसी कारणवश 30 से 35 की उम्र तक प्रेग्नेंट नहीं हो पाती हैं, उनके लिए स्थितियां कठिन हो जाती हैं। महिलाओं को कंसीव करने के लिए प्रेग्नेंसी की एज को ध्यान में रखना चाहिए।
40 की उम्र के बाद बढ़ सकती है ये दिक्कतें
ऐसा नहीं है कि महिला 40 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट नहीं हो सकती हैं। 40 की उम्र के बाद महिलाओं के तीन महीने में कंसीव करने के चांस केवल 7 परसेंट ही रहते हैं। 40 की उम्र के बाद भी महिला स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे सकती है। साथ ही उसे कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है जैसे,
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पुरुष की उम्र से क्या पड़ता है असर?
अधिक उम्र में पिता बनना रेयर होता है। पिता की उम्र भी प्रेग्नेंसी की एज और संभावना को प्रभावित करती है। 40 से अधिक उम्र के पुरुष को कंसीव करने में समस्या हो सकती है। उम्र के बढ़ने के साथ ही पुरुष के स्पर्म काउंट में कमी आ जाती है। अगर महिला और पुरुष की उम्र 25 है तो पांच महीने में प्रेग्नेंट होने के चांसेज रहते हैं। अगर पुरुष की उम्र 40 की है तो महिला को दो प्रेग्नेंट होने में दो साल से अधिक का समय लग सकता है। 40 की उम्र के बाद समय बढ़ जाता है। अगर आईवीएफ का सहारा लिया जा रहा है तो पुरुष का 41 साल की उम्र मे पिता बनना आसान हो जाता है।
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30 से 35 की उम्र में कंसीव करने में अगर एक साल से ज्यादा लग रहा है तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर पार्टनर के साथ ही आपकी जांच भी करेगा। किसी और समस्या के कारण भी आपको कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रोजेस्टेरोन हारमोन का प्रेग्नेंसी की एज पर पड़ता है असर
एनसीबीआई में ‘इफेक्ट ऑफ एजिंग ऑन दि फीमेल रीप्रोडक्टिव फंक्शन’ नाम से प्रकाशित शोध के मुताबिक, कॉर्पस ल्यूटियम (सी एल) एक विशेष एंडोक्राइन स्ट्रक्चर है। यह एक ऐसा स्ट्रक्चर है, जिससे इसके विकास, रखरखाव और रिग्रेसन को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। इसका प्रमुख कार्य प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन को प्रोड्यूस करना है। यह हॉर्मोन गर्भ ठहरने और उसके रखरखाव में सबसे ज्यादा जरूरी होता है।
ऑव्युलेशन के बाद 8-10 दिनों के भीतर यह हाॅर्मोन तेजी से बनता है। प्रेग्नेंसी की एज के हिसाब से इसका प्रोडक्शन कम हो जाता है। उम्र के बढ़ने से शरीर की कोशिकाएं और अंग सामान्य तरीके से कार्य नहीं करते हैं। इस स्थिति में ओवरियन, ओविडक्ट, यूट्रस और इम्यून सिस्टम की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
ऐसे में सेल्युलर सेंसेशन बढ़ने से महिला की प्रजनन क्षमता ओवरी की कोशिकाओं की गुणवत्ता कम होने से प्रभावित हो सकती है। प्रेग्नेंसी की एज बीतने के साथ इनफर्टिलिटी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या के रूप में इंगित किया है। प्रेग्नेंसी की एज बीतने पर फर्टिलिटी की समस्या का यह एक बड़ा कारण है।
उम्र के बढ़ने से घटते हैं फॉलिकल्स
फॉलिकल्स का प्रोडक्शन उम्र के हिसाब से घट जाता है। आमतौर पर 32 वर्ष की उम्र तक आते-आते इसमें गिरावट शुरू हो जाती है और 37 वर्ष की उम्र के बाद इनकी संख्या गिरने लगती है। हालांकि, 20 से 30 वर्ष की उम्र के बीच मासिक आधार पर फॉलिकल्स के प्रोडक्शन का आंकड़ा करीब 25 प्रतिशत रहता है, जिसमें 35 वर्ष की उम्र के बाद 10 प्रतिशत गिरावट आती है। यह गर्भधारण में समस्या पैदा करते हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी की एज रहते हुए प्रेग्नेंट होना ज्यादा बेहतर है।
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क्यों जरूरी है प्रेग्नेंसी की एज का ध्यान रखना?
- प्रेग्नेंसी की एज बीतने की वजह से गर्भवती महिला में गर्भावस्था के दौरान शुगर लेवल बढ़ने की संभावना ज्यादा हो जाती है जिसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। जेस्टेशनल डायबिटीज की वजह से जन्म से ही शिशु को कई जटिल बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
- जन्म से ही बच्चे का कमजोर होना, इम्युनिटी पॉवर कम होना, दिल कमजोर होना, आंखों और चेहरा सामान्य से अलग होना।
- बच्चे में हाइपरटेंशन के लक्षण, जैसे जरुरत से ज्यादा बच्चे का परेशान होना या बेचैन होना।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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