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क्या हैं पाचन समस्याएं कैसे करें इन समस्याओं का निदान?

क्या हैं पाचन समस्याएं कैसे करें इन समस्याओं का निदान?

कब्ज, दस्त, सीने में जलन, एसिडिटी और ब्लोटिंग जैसी पाचन समस्याएं (Digestion problem) बहुत आम हैं। भारत की एक प्रमुख हेल्थ केयर कंपनी में से एक ने हाल ही में देश में कब्ज पीड़ितों की स्थिति का आंकलन करने के लिए एक गट हेल्थ सर्वे किया। निष्कर्ष बताते हैं कि लगभग 22 प्रतिशत वयस्क पाचन तंत्र के रोग से पीड़ित है, जबकि 13 प्रतिशत को गंभीर कब्ज की शिकायत रहती है। ज्यादातर पाचन समस्याएं एक खराब जीवनशैली की वजह से होती हैं। इसका मतलब है कि लाइफस्टाइल को संतुलित रूप में लाकर पाचन तंत्र सम्बंधित रोगों से बचा जा सकता है। लेकिन कुछ पाचन तंत्र से जुड़े रोग ऐसे भी हैं, जिनका मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरी होता है। इसलिए आइए आज हम ‘हैलो स्वास्थ्य’ के इस लेख में जानते हैं कि पाचन समस्याएं क्या हैं? पाचन तंत्र के रोगों के लक्षण और उपचार क्या हैं?

पाचन समस्याएं (Digestion problems) क्या हैं?

पाचन तंत्र शरीर का एक जटिल और व्यापक हिस्सा है। इसमें मुंह से लेकर मलाशय यानी रेक्टम तक के सारे रास्ते, यानी भोजन नली, पेट, छोटी और बड़ी आंत शामिल होती हैं। साथ ही डायजेस्टिव सिस्टम के लिवर, गॉलब्लैडर और अग्नाशय भी भाग होते हैं, क्योंकि ये सभी खाने को पचाने के लिए डायजेस्टिव एंजाइम (Digestive enzyme) बनाते हैं। पाचन तंत्र आपके शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार होता है। डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive system) से जुड़े किसी भी अंग में अगर कोई समस्या आती है, तो उसे पाचन रोग कहते हैं। पाचन तंत्र से जुड़े रोग भी अलग-अलग होते हैं, जो इस प्रकार हैं।

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पाचन समस्याएं: ये हैं पाचन तंत्र से जुड़े रोग (Diseases related to the digestive system)

पाचन समस्याएं: कॉन्स्टिपेशन (Constipation)

कब्ज यानी अपशिष्ट पदार्थों के बाहर निकलने से जुड़ी हुई हुई ये समस्या, जो कि सबसे आम पाचन समस्याओं में से एक है। इस पाचन संबंधी समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को स्टूल पास करने में बहुत कठिनाई होती है। कॉन्स्टिपेशन की वजह से पेट में गैस, पेट में दर्द और सूजन के साथ-साथ आप कम मल त्याग का अनुभव भी कर सकते हैं। पर्याप्त फाइबर, पानी और व्यायाम को अपनी लाइफस्टाइल में शामिल करके कब्ज पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।

कब्ज होने के लक्षण हैं (Constipation Symptoms)

  • पेट में दर्द होना
  • अपच (खाना न पचना)
  • जी मिचलाना
  • पेट फूलना
  • शरीर में भारीपन लगना
  • शौच के दौरान गुदा क्षेत्र में दर्द होना
  • भूख कम लगना आदि।

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पाचन समस्याएं : फूड इन्टॉलरेंस (Food Intolerance)

फूड इन्टॉलरेंस तब होता है, जब आपका पाचन तंत्र कुछ खाद्य पदार्थों को सहन नहीं कर पाता है। यह फूड एलर्जी से अलग होता है। इससे किसी तरह का एलर्जिक रिएक्शन न होने के बजाय केवल पाचन तंत्र प्रभावित होता है।

फूड इन्टॉलरेंस के लक्षणों में शामिल हैं (Food Intolerance Symptoms)

इसी प्रकार सीलिएक डिजीज एक ऑटोइम्यून विकार और एक प्रकार का फूड इन्टॉलरेंस है। यह पाचन समस्याओं का कारण बनता है जब आप ग्लूटेन (गेहूं, जौ और राई में मौजूद एक प्रोटीन) का सेवन करते हैं। सीलिएक रोग वाले लोगों को लक्षणों को कम करने के लिए ग्लूटेन-फ्री फूड्स का सेवन करना चाहिए।

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पाचन समस्याएं : गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (गर्ड/GERD)

गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) एक पाचन संबंधी विकार है, जिसमें पेट में बनने वाला एसिड भोजन नली (Esophagus) में वापस आ जाता है। नतीजन, भोजन नली में जलन होने लगती है। यह पाचन तंत्र रोग किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। किसी-किसी को यह समस्या कभी-कभी होती है। लेकिन यदि ऐसी समस्या अक्सर रहती है, तो इससे आपकी अन्नप्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है। एक क्षतिग्रस्त अन्नप्रणाली खाना निगलने में कठिनाई पैदा कर सकती है और पाचन तंत्र के बाकी हिस्सों को भी बाधित कर सकती है।

गर्ड के लक्षणों में शामिल हैं (GERD Symptoms)

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पाचन समस्याएं : इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory bowel disease)

पाचन तंत्र में किसी भी वजह से आई सूजन से डायजेशन संबंधी समस्या के होने की स्थिति को इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory bowel disease) कहा जाता है। यह पाचन तंत्र के अधिक हिस्सों में से एक को प्रभावित करता है। आईबीडी की वजह से दो तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं जैसे-

आईबीडी (IBD) एब्डॉमिनल पेन (Abdominal Pain) और डायरिया (Diarhhea) जैसी सामान्य पाचन बीमारियों का कारण बन सकता है। अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • थकान
  • पेट पूरी तरह से साफ न होना
  • भूख में कमी और बाद में वजन कम होना
  • रात को पसीना आना
  • मलाशय से रक्तस्राव

जितनी जल्दी हो सके आईबीडी का निदान और उपचार कराना जरूरी होता है। प्रारंभिक उपचार से जीआई ट्रैक्ट को कम नुकसान होगा।

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अन्य पाचन समस्याएं

पाचन रोग एक स्वास्थ्य समस्या है, जो डाइजेस्टिव सिस्टम में होती है। ये पाचन समस्याएं माइल्ड से लेकर गंभीर तक हो सकती हैं।

अन्य पाचन रोगों (Digestion problem) में शामिल हैं:

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पाचन समस्याएं : पाचन तंत्र के रोगों के लक्षण और उपचार (Digestive Diseases symptoms)

संभावित गंभीर स्थितियां

पाचन तंत्र खराब होने के सामान्य लक्षण पेट साफ न होना, पेट में भारीपन, भूख कम लगना, कब्ज, निगलने में समस्या, मतली और उल्टी आदि शामिल हैं। लेकिन पाचन समस्याओं के कुछ संकेत अधिक गंभीर होते हैं और इसका मतलब इमरजेंसी मेडिकल प्रॉब्लम हो सकती है। इन संकेतों में शामिल हैं:

  • स्टूल में खून आना
  • लगातार उल्टी होना
  • पेट में गंभीर ऐंठन
  • पसीना आना

ये लक्षण एक संक्रमण, पित्त की पथरी, हेपेटाइटिस, आंतरिक रक्तस्राव या कैंसर का संकेत हो सकते हैं। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

पाचन समस्याएं का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Digestive Disease)

पाचन समस्याओं के लिए निदान के लिए, डॉक्टर आपके द्वारा अनुभव किए गए लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर समस्या का पूरी तरह से मूल्यांकन करेंगे। इसके लिए वे एक फिजिकल टेस्ट, प्रयोगशाला परीक्षण, इमेजिंग टेस्ट, एंडोस्कोपिक प्रोसेस और अन्य प्रक्रियाएं शामिल कर सकते हैं।

लैब टेस्ट (Lab Test)

फीकल ऑकल्ट ब्लड टेस्ट

मल में छिपे (गुप्त) ब्लड की जांच के लिए फेकल ऑकल्ट ब्लड टेस्ट किया जाता है। इसमें एक विशेष तरह के कार्ड पर स्टूल की बहुत कम मात्रा डाली जाती है, जिसे बाद में लैब में परीक्षण किया जाता है।

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स्टूल कल्चर

पाचन तंत्र में असामान्य बैक्टीरिया (जो दस्त और अन्य समस्याओं का कारण हो सकते हैं) की उपस्थिति की जांच के लिए स्टूल कल्चर कराया जाता है। इसमें स्टूल का एक छोटा सा सैंपल लिया जाता है और प्रयोगशाला में भेजा जाता है।

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इमेजिंग टेस्ट (Imaging Test)

अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)

अल्ट्रासाउंड एक नैदानिक ​​इमेजिंग तकनीक है जो रक्त वाहिकाओं, ऊतकों और अंगों की इमेज को बनाने के लिए हाई फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्सका उपयोग करती है। अल्ट्रासाउंड से पाचन तंत्र में होने वाली असमानता का पता आसानी से लगाया जा सकता है।

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कोलोरेक्टल ट्रांजिट स्टडी

इस परीक्षण से पता चलता है कि भोजन बड़ी आंत से कितना आगे बढ़ता है? इसमें गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट की इंटरनल इमेजेज ली जाती हैं। इसके लिए आपको छोटे मार्कर (जिन्हें एक्स-रे पर देखा जा सकता है) वाले कैप्सूल को निगलना होता हैं। यह कैप्सूल डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में जाता है, जिससे पेट, इसोफैगस और स्मॉल इंटेस्टाइन की सटीक स्थिति पता लगाना आसान हो जाता है। टेस्ट के दौरान आपको एक हाई फाइबर डाइट लेना रहती है। कैप्सूल को निगलने के 3 से 7 दिन बाद यह प्रोसेस कई बार किया जाता है। इसे कैप्सूल एंडोस्कोपी (capsule endoscopy) भी कहा जाता है।

सीटी स्कैन (CT Scan)

इस इमेजिंग टेस्ट में एक्स-रे और कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है ताकि शरीर की डिटेल में इमेजेज बनाई जा सकें। एक सीटी स्कैन (CT scan) हड्डियों, मांसपेशियों और अंगों का विवरण दिखाता है। सीटी स्कैन सामान्य एक्स-रे की तुलना में अधिक डिटेल में होता है।

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डिफेकोग्रफी (Defecography)

यह परीक्षण एनल और रेक्टल एरिया का एक्स-रे है। इस टेस्ट से यह जांचा जाता है कि रेक्टल मसल्स ठीक से काम कर रही है या नहीं। इससे एनल या रेक्टल एरिया में किसी भी तरह की असामान्यताएं भी पता लगाई जा सकती हैं।

लोअर जीआई (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) सीरीज

इस परीक्षण को बेरियम एनीमा भी कहा जाता है। यह मलाशय, बड़ी आंत और छोटी आंत के निचले हिस्से में मौजूद समस्या को दिखाता है। बेरियम (एक तरह का केमिकल) को एनीमा के रूप में मलाशय में दिया जाता है। इसे कोलन एक्स-रे (colon x-ray) भी कहा जाता है। एक्स-रे से सख्त (संकुचित क्षेत्रों), अवरोध और अन्य समस्याओं का पता लगाया जाता है।

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एमआरआई स्कैन (MRI scan)

इस परीक्षण में शरीर के भीतर अंगों और संरचनाओं की डिटेल में इमेज बनाने के लिए बड़े मैग्नेट, रेडियोफ्रीक्वेंसी और कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। विभिन्न गैस्ट्रोइंटेस्टिनल डिजीज के मूल्यांकन की एमआरआई का इस्तेमाल किया जाता है।

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रेडियोआइसोटोप गैस्ट्रिक-एमपेटिंग स्कैन

इस परीक्षण के दौरान, आप एक रेडियो आइसोटोप युक्त भोजन का सेवन करते हैं। यह थोड़ा-सा रेडियोएक्टिव पदार्थ है जो स्कैन पर दिखाई देगा। आपको बता दें कि यह हानिकारक नहीं है। इस टेस्ट से पता चलता है कि आपका पेट भोजन को कितनी जल्दी पचाता है?

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अपर जीआई (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) सीरीज

इसे बेरियम स्वैलो टेस्ट भी कहा जाता है। इस परीक्षण से पाचन तंत्र के ऊपरी हिस्से के अंगों का निरीक्षण किया जाता है। इसमें अन्नप्रणाली, पेट और ग्रहणी (छोटी आंत का पहला भाग) शामिल है। डिसफैगिया (dysphagia), हाइटल या हाइटस हर्निया जैसे कई पाचन तंत्र रोगों के निदान के लिए यह टेस्ट किया जाता है।

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एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं

कोलॉनोस्कोपी (Colonoscopy)

कोलॉनोस्कोपी टेस्ट बड़ी आंत, कोलन और रेक्टम में मौजूद समस्याओं की जांच करने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया है। इससे अक्सर असामान्य वृद्धि, सूजन वाले ऊतक, अल्सर और रक्तस्राव की जांच करने में मदद मिलती है।

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इंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेजनोपैंक्रीटोग्राफी (ईआरसीपी)

इस टेस्ट से लिवर, पित्ताशय की थैली, पित्त नलिकाओं और अग्न्याशय में होने वाली समस्याओं का निदान किया जाता है। यह परीक्षण प्रशिक्षित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है।

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एसोफैगोगैस्ट्रोडोडेनोस्कोपी (ईजीडी या अपर एंडोस्कोपी)

अन्नप्रणाली, पेट और छोटी आंत के पहले भाग की परत की जांच करने के लिए यह परीक्षण किया जाता है।

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सिग्मयोडोस्कोपी

इस प्रोसेस से बड़ी आंत के एक हिस्से के अंदर की जांच की जाती है। यह दस्त, पेट दर्द, कब्ज, असामान्य वृद्धि और रक्तस्राव के कारणों का पता लगाने में सहायक है।

इन सब टेस्ट के अलावा भी कई और अन्य परीक्षण जैसे एनोरेक्टल मैनोमेट्री, गैस्ट्रिक मैनोमेट्री, एसोफैगल मैनोमेट्री, एसोफैगल पीएच मॉनीटरिंग आदि भी किए जा सकते हैं।

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पाचन तंत्र की बीमारी का इलाज

पाचन समस्यायों का इलाज कैसे किया जाता है? डाइजेस्टिव डिजीज के प्रकार को देखते हुए ही डॉक्टर उसका उपचार करते हैं। एक तरफ जहां पाचन संबंधी कुछ बीमारियां सिर्फ लाइफस्टाइल में बदलाव करने पर ठीक हो जाती हैं तो दूसरी तरफ कुछ डाइजेस्टिव प्रॉब्लम्स को दवाओं की जरूरत होती है। अगर ये पाचन समस्यायें दवा से ठीक नहीं होती हैं तो डॉक्टर सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं। यह पूरी तरह से आपकी समस्या और उसकी स्थिति पर निर्भर करता है।

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पाचन समस्याएं से बचने के लिए क्या करें?

बड़ी आंत और रेक्टम के कई रोगों को एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर रोका या कम किया जा सकता है। जैसे-

पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें

फाइबर स्वाभाविक रूप से फल, सब्जियों, फलियों और साबुत अनाज में पाया जाता है। 50 वर्ष से कम आयु के पुरुषों के लिए 38 ग्राम और महिलाओं के लिए 25 ग्राम फाइबर लेने की सलाह दी जाती है। 50 से अधिक उम्र वालों को थोड़ा कम फाइबर की आवश्यकता होती है, पुरुषों के लिए 30 ग्राम और महिलाओं के लिए 21 ग्राम फाइबर लेने की सलाह दी जाती है। इसलिए पाचन समस्याएं से बचने के लिए इनका सेवन करें ।

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हाइड्रेटेड रहें

पानी आपके पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। यह कब्ज को रोकने में विशेष रूप से सहायक है क्योंकि पानी आपके स्टूल को नरम करने में मदद करता है। इसके अलावा, पानी आपके पाचन तंत्र को पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद कर सकता है। एक दिन में आठ गिलास पानी पीना चाहिए। हालांकि, यह मात्रा हर इंसान के लिए अलग-अलग हो सकती है। इसके लिए आप एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं।

खाना चबाकर खाएं

पाचन क्रिया मुंह से शुरू हो जाती है। इसलिए, अपने भोजन को ज्यादा से ज्यादा चबाएं ताकि इसको पचाना पेट के लिए और आसान हो जाए। भोजन को चबाकर खाने से डाइजेशन प्रक्रिया जल्दी होती है।

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रखें इन बातों का भी ध्यान

पाचन समस्याएं (Digestion problem)

पाचन समस्याएं से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का रखें ध्यान-

  • पाचन समस्याएं से बचने के लिए एल्कोहॉल, स्मोकिंग और अधिक कैफीन के सेवन से दूर रहें। साथ ही आइस्ड और कार्बोनेटेड पेय पदार्थ को न लें।
  • पाचन समस्याएं से बचने के लिए रोजाना एक ही समय पर भोजन करना सुनिश्चित करें।
  • पाचन समस्याएं से बचने के लिए दिनभर सक्रिय रहें।
  • स्पाइसी, जंक, फास्ट फूड और अनहेल्दी फैट फूड्स से दूर रहें।
  • गलत फूड कॉम्बिनेशन से बचें। जैसे-दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अच्छे पाचन के लिए आपको पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। इसलिए, रोजाना भरपूर नींद लें।
  • स्टूल या यूरिन पास करने की इच्छा को रोके नहीं।
  • पाचन समस्याएं से बचने के लिए प्रोबायोटिक फूड्स ज्यादा लें।
  • पाचन समस्याएं से बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
  • एक बार में खाने की जगह कई मील्स थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें।
  • पाचन समस्याएं से बचने के लिए स्ट्रेस मैनेज करें।
  • खड़े होकर कभी भी खाना न खाएं इससे पाचन शक्ति कमजोर होती है।
  • पाचन समस्याएं से बचने के लिए विटामिन और मिनरल्स युक्त आहार का सेवन करें।
  • यदि आवश्यक हो तो डॉक्टर की सलाह से दवा लें।

पाचन तंत्र को मजबूत रखना आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। पाचन समस्याएं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की एक बड़ी वजह बन सकती है। इसलिए, अपने पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए एक उचित जीवन शैली अपनाएं। यदि कोई भी पाचन संबंधी समस्या के लक्षण (जैसे; गैस बनना, एसिडिटी, अपच, पेट फूलना आदि) ज्यादा समय के लिए रहते हैं तो बिना देर किए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

27/01/2022

Shikha Patel द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/01/2022

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