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क्या ग्रीन-टी या कॉफी थायरॉइड पेशेंट्स के लिए फायदेमंद हो सकती है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Hello Swasthya Medical Panel द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/07/2020

    क्या ग्रीन-टी या कॉफी थायरॉइड पेशेंट्स के लिए फायदेमंद हो सकती है?

    ग्रीन-टी के इतने स्वास्थ्य लाभ हैं कि कुछ लोग इसे थायरॉइड पेशेंट्स को भी लेने की सलाह देते हैं। लेकिन ये किस हद तक सही है, आप इस आर्टिकल में जानेंगे। दरअसल, थायरॉइड एक ग्रंथि है, जो हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को निंयत्रित करने में मदद करती है। इसमें सूजन आने से थायरॉइड की समस्या बढ़ सकती है। थायरॉइड की परेशानी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है।

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    थायरॉइड में मददगार है ग्रीन-टी?  

    ग्रीन-टी के फायदों पर बहुत से अध्ययन किए गए हैं, लेकिन अब तक ग्रीन टी और थायरॉइड संबंधी ज्यादा अध्ययन नहीं किया गया है। ग्रीन-टी में एंटीऑक्सिडेंट्स ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के आतंरिक कणों (रेडिकल्स) और ऑक्सीडेटिव तनाव को मुक्त करते हैं। लेकिन कोई भी रिसर्च इस बात को साबित नहीं कर पाई है, कि ग्रीन-टी का सेवन थायराइड के कार्यों या थायरोक्सिन के शोषण को प्रभावित करती है।

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    क्या ग्रीन-टी या कॉफी थायरॉइड के लिए फायदेमंद है?

    थायरॉइड रोगियों के लिए आमतौर पर ग्रीन-टी को सुरक्षित मानी जाती है। इससे कोई फायदा तो नहीं होता पर रोगी ग्रीन-टी ले सकते हैं। इस संबंध में, यह मोटापे के लिए कुछ दवाओं के साथ-साथ इफेड्रा जैसे हर्बल उत्पादों से अलग है, जो हृदय की दर और रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं और थायरॉइड पेशेंट्स के लिए इसकी सलाह नहीं दी जाती है।

    डॉक्टर शरयु माकणीकर कहती हैं, “ग्रीन-टी हायपोथायराइडिज्म को ठीक नहीं करती है लेकिन यह मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ा देती है जिससे हायपोथायराइडिज्म में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती है और कुछ समय तक वजन बढ़ने से रोका जा सकता है।”

    वहीं कई रिसर्च में दावा किया गया है कि ग्रीन-टी का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से रक्त में टी 3 और टी 4 के स्तर को कम किया जा सकता है। इससे टीएसएच का स्तर काफी बढ़ जाता है, जो थायरॉइड के लिए अच्छा नहीं है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह शोध चूहों पर किया गया था, इसलिए यह निष्कर्ष मनुष्यों पर जरूरी नहीं है। ग्रीन-टी या कॉफी का थायरॉइड की परेशानी होते हुए सेवन करना कितना सुरक्षित है इसकी जानकारी अपने डॉक्टर लें।

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    थायरॉइड क्या है?

    थायरॉइड (Throid) एक तरह की ग्रंथि होती है, जो गले में बिल्कुल सामने की ओर होती है। यह ग्रंथि तितली के आकार की होती है और आपके शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है। यह ग्रंथि आइयोडीन का इस्तेमाल कर कई जरूरी हार्मोन भी पैदा करती है। थायरॉक्सिन यानी टी-4 एक ऐसा ही प्रमुख हार्मोन इस ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। थायरॉक्सिन को खून के द्वारा शरीर के टिशुओं में पहुंचाने के बाद इसका कुछ हिस्सा ट्रायोडोथायरोनाइन यानी टी-3 नाम सबसे सक्रिय हार्मोन में बदल जाता है।

    थायरॉइड ग्रंथि पूरी तरह से दिमाग द्वारा नियंत्रित होती है। जब थायरॉइड हार्मोन का स्तर कम होता है तो दिमाग का हाइपोथैलामस hypothalamus नामक हिस्सा थाइरोट्रापिन (thyrotropin) नामक एक हार्मोन छोड़ता है। इसकी वजह से दिमाग के  निचले हिस्से में मौजूद पीयूष ग्रंथि (pituitary gland) थाइरॉइड उत्तेजक हार्मोन पैदा करती है जिसकी वजह से थाइरॉइड ग्रंथि ज्यादा थाइरॉक्सन छोड़ने लगती है।

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    थायरॉइड के लक्षण क्या है?

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    थायरॉइड होने के कारण क्या हैं?

    थायरॉइड के कई कारण हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

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    थायरॉइड का इलाज क्या है?

    थायरॉइड का इलाज आमतौर पर दवाई और कई बार सर्जरी की मदद से होता है। उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि थायरॉइड किस प्रकार का है।

    थायरॉइड की दवा

    हाइपोथायरोडिज्म के मामले में दवाई के जरिए कम हुए हार्मोन की भरपाई की जाती है। वहीं हाइपरथायरोडिज्म के मामले में दवाई हार्मोन का स्तर कम करने के लिए खिलाई जाती है। इसके अलावा हाइपरथायरोडिज्म में कुछ अन्य दवाईयां इसके अन्य लक्षणों को कम करने के लिए दी जाती हैं।

    थायरॉइड की सर्जरी

    कई बार थायरॉइड ग्रंथि में गांठ आदि को निकालने के लिए ऑपरेशन का सहारा लिया जाता है। सर्जरी तब जरूरी हो जाती है, जब इससे कैंसर की संभावना हो। ऐसे मामलों में पूरी थायरॉइड ग्रंथि भी हटा दी जाती और  ऐसे में मरीज को जिंदगी भर थायरॉइड की गोलियों के सहारे जीवन बिताना पड़ता है।

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    ग्रीन-टी के अलावा थायरॉइड में क्या खाना चाहिए?

    आयोडीन (Iodine)

    थायरॉइड हॉर्मोन के बनने के लिए आयोडीन एक महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। आयोडीन की कमी होने पर हायपोथायरॉइडिस्म की समस्या हो सकती है। समुद्री वीड्स, मछली , दूध से बनी हुई चीजें खाने से और रोज के खाने में अंडे लेने से आपको थायरॉइड की समस्या नहीं होगी। वहीं इसके उलट हायपरथायरॉइड में आयोडीन और आयोडीन युक्त भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि यह थायरॉइड के स्तर को और ज्यादा बढ़ा सकता है।

    सेलीनियम (Selenium)

    सेलीनियम शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन्स को सक्रिय करने का काम करता है, जिससे कि शरीर में आयोडीन की मात्रा में कोई कमी न हो। 

    जिंक ( Zinc)

    सेलीनियम की तरह जिंक भी आयोडीन की मात्रा को शरीर में बनाए रखने का काम करता है। विश्व की पूरी जनसंख्या में से लगभग एक तिहाई लोग आयोडीन की कमी से पीड़ित हैं। 

    अगर आपको थायरॉइड की समस्या है तो आपको कौन सा खाना नहीं खाना चाहिए?

    डॉक्टर की सलाह के बिना सेलेनियम या जिंक सप्लीमेंट न लें।  इससे शारीरिक कमजोरी और विकार हो सकते हैं। 

    गोईट्रोजन ऐसे पदार्थ होते हैं जिन्हें खाने से शरीर में कैंसर होता है और हार्मोनल गड़बड़ी भी हो सकती है। खाने की इन चीजों में गोईट्रोजन की मात्रा अधिक होती है :

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    थायरॉइड को ठीक करने के लिए ये फूड्स खाएं

    अंडे : अंडों में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और ये शरीर को मजबूती देते हैं। 

    मछली : समुद्री खाना, टूना और श्रिम्प आपकी सेहत के लिए सही हैं। 

    सब्जियां : हरी सब्जियां लाभदायक हैं लेकिन गोईट्रोजन युक्त सब्जियां कम खाएं। 

    दूध : दूध से बनाया गया  फर्मेन्टेड खाना भी सेहत के लिए लाभकारी है। 

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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