एल जी बी टी क्यू कम्यूनिटी हमेशा से चर्चा में ही रहती है। “प्यार तो हमेशा से सतरंगी था”, “प्यार किया है कोई चोरी नहीं”, “हम होंGAY कामयाब एक दिन”! ऐसे कई पोस्टर और कोट्स आपने सोशल मीडिया पर पढ़े ही होंगे। भारतीय समाज में एक लड़के-लड़की के बीच प्यार को ही स्वीकारा गया है, लेकिन समलैंगिक रिश्ते को नहीं स्वीकारा जा सका है। सन् 1860 में अंग्रेजी शासन के द्वारा बनाए गई धारा 377 को वर्ष 2018 में भारत में वैध करार दिया गया था, जिसके अंतर्गत देश में समलैंगिक रिश्ते को मान्यता मिले दो साल होने वाले हैं। एल जी बी टी क्यू कम्यूनिटी के बारे में हम इस आर्टिकल में बात करेंगे। यहां हम एल जी बी टी क्यू के लिए सेक्स गाइड बता रहे हैं जो एक अलग समुदाय के लोगों को एल जी बी टी क्यू सेक्स के बारे में पूरी जानकारी देगी।
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एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड से पहले जानें जेंडर के बारे में
हमारे समाज में सिखाया जाता है कि जेंडर दो तरह के होते हैं- महिला और पुरुष, लेकिन जेंडर की कोई सीमा नहीं है, यह विस्तृत है। कुछ लोग नॉनबाइनरी के रूप में पहचाने जाते हैं। नॉनबाइनरी को सात रंगों के अम्ब्रेला से प्रदर्शित किया जाता है। जिसका मतलब होता है कि एक ऐसी पहचान जो महिला और पुरुष दोनों से परे हो। इन्हें ही एल जी बी टी क्यू के रूप में जाना जाता है। जेंडर निम्न हैं :
सिसजेंडर (Cisgender)
सिसजेंडर शब्द ऐसे जेंडर को प्रदर्शित करता है, जो लोग जन्म से जिस सेक्स (मेल या फीमेल) के साथ पैदा होते हैं, उन्हें समाज उसी रूप में जानता है। सिसजेंडर के लोग ट्रांसजेंडर बिल्कुल नहीं होते हैं।
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ट्रांसजेंडर (Transgender)
ट्रांसजेंडर ऐसे लोग होते है, जो जिस सेक्स के साथ जन्म लेते हैं वो अंदर से वैसे नहीं होते हैं। ट्रांसजेडर लोग गे, लेस्बियन आदि कई सेक्शुएल ओरिएंटेशन से संबंधित हो सकते हैं। साथ ही इन्हें क्वीर, नॉनबाइनरी, ट्रांसफेमिनिन, ट्रांसमैस्कुलिन, एजेंडर आदि होते हैं। क्योंकि सेक्शुएल ओरिएंटेशन ही व्यक्ति की कामुक इच्छा या रोमांटिक अट्रैक्शन और जेंडर आईडेंटिटी व्यक्ति की रूचि को बताता है। जिससे एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी गे, लेस्बियन, स्ट्रेट या अन्य सेक्शुएल ओरिएंटेशन के साथ यौन संबंध स्थापित करने में इंटरेस्ट रख सकता है।
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क्वीर
क्वीर ऐसे लोग होते हैं जो एल जी बी टी की कम्यूनिटी को पूरा करते हैं। कहने का मतलब ये है कि एल जी बी टी लोगों में क्वीर सबसे अलग होते हैं, लेकिन एल जी बी टी में से कुछ भी हो सकते हैं। क्वीर लोगों को लेकर अपने सेक्सुएल ओरिएंटेशन के अंतर्गत अपनी कामुक इच्छा और रोमांटिक अट्रैक्शन को नहीं समझ पाते हैं। साथ ही ये खुद को न तो आदमी, न तो औरत और ना ही ट्रांसजेंडर, गे, लेस्बियन या बाइसेक्शुअल मानते हैं। ऐसे लोगों को क्वीर कहते हैं।
नॉनबाइनरी
नॉनबाइनरी एक ऐसा जेंडर होता है, जिसमें एक व्यक्ति दोनों जेंडर (महिला व पुरुष) दोनों तरह से प्रदर्शित कर सकता है। कहने का मतलब ये है कि नॉनबाइनरी मेल और फीमेल दोनों के रूप में पहचाने जा सकते हैं।
ट्रांसफेमिनिन
ट्रांसफेमिनिन अम्ब्रेला टर्म में इस्तेमाल होने वाला शब्द है। ट्रांसफेमिनिन ऐसे लोग होते हैं जो जन्म से मेल होते हैं और उनकी पहचान फीमेल के रूप में होती है। ऐसे लोग ट्रांस विमेन या फीमेल होते हैं।
ट्रांसमैस्कुलिन
ट्रांसमैस्कुलिन वो लोग होते हैं, जो पैदा तो फीमेल सेक्स के साथ होते हैं लेकिन उनकी पहचान मेल के रूप में की जाती है। ऐसे लोगों को ट्रांस मैन या मेल कहा जाता है।
एजेंडर
एजेंडर शब्द ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जो लैंगिक तौर पर ना ही मेल होते हैं और ना ही फीमेल होते हैं। ऐसे लोगों को एसेक्सुअल भी कहा जाता है।
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एल जी बी टी क्यू सेक्स के लिए सेक्शुअल ओरिएंटेशन को समझें
एल जी बी टी क्यू सेक्स के लिए सेक्सुअल ओरिएंटेशन को समझना जरूरी है। क्योंकि सेक्सुअल ओरिएंटेशन में इमोशनल, रोमांटिक या सेक्सुअल अट्रैक्शन किसी अन्य व्यक्ति के लिए होता है। सेक्सुअल ओरिएंटेशन कभी भी व्यक्ति के सेक्स के प्रकार पर निर्भर नहीं करता है। कहने का मतलब है कि शारीरिक बनावट सेक्सुअल ओरिएंटेशन के लिए जरूरी नहीं है। इसमें भावनात्मक और यौन रूझान जरूरी है। कुछ सेक्सुअल ओरिएंटेशन निम्न हैं :
हेट्रोसेक्शुल (Heterosexual)
हेट्रोसेक्शुअल को ही स्ट्रेट भी कहा जाता है। जिसमें फिजिकल, इमोशनल और सेक्सुअल अट्रैक्शन ऐसे व्यक्ति से होता है, जो स्वयं से अलग हो या उस जैसा हो।
गे (Gay)
गे ऐसे पुरुष को कहा जाता है जो किसी पुरुष के साथ रिलेशनशिप में हो। वह इमोशनली, रोमांटिकली या सेक्सुअली किसी परुष की तरफ अट्रैक्ट हो। कभी-कभी ऐसा रिलेशनशिप ट्रांसमैस्कुलीन व्यक्ति के साथ भी हो जाता है।
लेस्बियन (Lesbian)
लेस्बियन ऐसी महिलाएं होती है जिनका संबंध किसी महिला साथी के साथ होता है। वे एक दूसरे के प्रति इमोशनली, रोमांटिकली या सेक्सुअली अट्रैक्ट हो। लेस्बियन ऐसा रिलेशनशिप ट्रांसफेमिनाइन के साथ भी हो सकता है।
बाइसेक्शुअल (Bisexual)
बाइसेक्शुअल सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाले लोग एक से ज्यादा लिंग के व्यक्तियों में इंटरेस्ट रखते हैं। उदाहरण के रूप में आप समझ सकते हैं कि अगर एक पुरुष है तो जरूरी नहीं कि उसे सिर्फ महिला में ही इंटरेस्ट हो। ऐसा भी हो सकता है कि उसे महिला और पुरुष दोनों में इंटरेस्ट हो। इसलिए बाइसेक्शुअल लोगों को शारीरिक, लैंगिक और भावनात्मक तौर पर महिला और पुरुष दोनों से आकर्षण होता है। कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि व्यक्ति का आकर्षण दोनों लिंग के व्यक्ति के लिए हो सकता है, लेकिन वह सेक्स सिर्फ एक के साथ करना पसंद करता है, लेकिन इससे इतर ऐसा भी होता है कि वे अपने आकर्षण, रूचि और लगाव के आधार पर समान या विपरीत लिंग के व्यक्ति के साथ जुड़ सकते हैं।
असेक्शुअल (Asexual)
जब किसी व्यक्ति को सेक्स करने की इच्छा न हो या सेक्स करने का मन न करें तो ऐसे व्यक्ति को असेक्शुअल कहते हैं। दरअसल कुछ लोगों में सेक्स की रुचि नहीं होती है और वे न ही इस ओर आकर्षित होते हैं। ब्लकि वे निम्न चीजों के प्रति आकर्षित होते हैं :
- रोमांटिक रिश्ते की किसी के साथ इच्छा करना।
- किसी के लुक्स को देखकर अट्रैक्शन होना।
- सामने वाले व्यक्ति को गले लगाने या स्पर्श करने की इच्छा होना।
- किसी से दोस्ती करने की इच्छा होना।
- असेक्शुएल व्यक्ति इमोशनल अट्रैक्शन चाहते हैं।
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एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड: सेफ सेक्स कैसे करें?
एल जी बी टी क्यू सेक्स कई तरह से करते हैं। जिसमें ओरल सेक्स, एनल सेक्स और वजायनल सेक्स शामिल हैं। एल जी बी टी क्यू सेक्स जननांगों के द्वारा या सेक्स टॉयज के द्वारा भी किया जा सकता है। जानते हैं एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड के बारे में।
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड: ओरल सेक्स में रखें किन बातों का ध्यान?
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड में सबसे पहले बात करते हैं ओरल सेक्स हाइजीन की। ओरल सेक्स समलैंगिक और विषमलैंगिक जोड़ों में काफी आम है। जिसमें जीभ, होंठों, दात, मुंह या गले की मदद से सामने वाले पार्टनर के वजायना, पेनिस या एनस को उत्तेजित किया जाता है। लेकिन, इसके लिए आपको साफ-सफाई व सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। ओरल सेक्स करना जितना मजेदार हो सकता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। इससे कई तरह के इंफेक्शन या बीमारियों के चपेट में आने की आशंका होती है।
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड के अनुसार ओरल सेक्स के दौरान में बताई निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए :
- अगर आप सेक्शुअली एक्टिव हैं, तो कोशिश करें कि आप किसी एक के साथ ही सेक्शुअली एक्टिव रहें। क्योंकि, इससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने का चांस बढ़ जाता है।
- ओरल सेक्स के लिए सबसे पहले आपको अपने और अपने पार्टनर के गुप्तांगों की सफाई करनी होगी। क्योंकि, जेनाइटल ऑर्गन में कुछ खतरनाक बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं।
- अपने और अपने पार्टनर की यौन संचारित रोगों से संबंधित जांच नियमित करवाते रहें। इससे, गंभीर स्थिति से बचने में सहायता मिलेगी।
- ओरल सेक्स के दौरान भी डेंटल डैमस, कॉन्डम आदि सुरक्षा का उपयोग करते रहें।
- अगर आपके साथी को पीरियड्स या पार्टनर के एनल व पेनिस में किसी भी तरह का संक्रमण है, तो ओरल सेक्स करने से बचें।
- ओरल सेक्स के दौरान टंग कॉन्डम या ओरल कॉन्डम का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें, एचआईवी आदि यौन संचारित रोगों से बचाव के लिए उपयोग किया जाता है।
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड: एनल सेक्स में रखें किन बातों का ध्यान?
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड में अब बात करेंगे एनल सेक्स के बारे में। एनस काफी सेंसटिव हिस्सा होता है, क्योंकि इसमें नर्व एंडिंग मौजूद होते हैं। इस वजह से भी यह यौन उत्तेजना या एक्साइटमेंट को बढ़ाने के लिए उपयोगी अंग होता है। एक अनुमान के मुताबिक, पुरुषों के साथ एल जी बी टी क्यू सेक्स करने वाले 90 प्रतिशत पुरुष या गे और 5 से 10 प्रतिशत महिलाएं एनल सेक्स एक्टिविटी में भाग लेती हैं।
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड के अनुसार एनल सेक्स के दौरान आपको निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए :
- एनल सेक्स के दौरान कॉन्डम जरूर पहना चाहिए। इससे सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज और संक्रमण से बचाव मिलेगा।
- एनल सेक्स करने के बाद ही ओरल और वजायनल सेक्स के लिए नया कॉन्डम का उपयोग करें। अगर आप कॉन्डम के बिना एनल सेक्स कर रहे हैं, तो पेनिस को अच्छी तरह साफ करें। इसके बाद ही ओरल या वजायनल सेक्स करें।
- ल्यूब्रिकेंट का इस्तेमाल करें, लेकिन ध्यान रहे कि आप वॉटर बेस्ड ल्यूब्रिकेंट का इस्तेमाल करें।
- एनल सेक्स के बाद हाथों को अच्छी तरह धो लें, ताकि बैक्टीरिया हाथों में लगे बैक्टीरिया खत्म हो जाए।
- एनल सेक्स के लिए आरामदायक सेक्स पुजिशन का इस्तेमाल करें।
- एनस को अच्छी तरह से साफ करने के लिए अपने लोकल ड्रग स्टोर से फ्लीट एनीमा को खरीद सकते हैं।
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड: वजायनल सेक्स में रखें किन बातों का ध्यान?
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड में अब नंबर है वजायनल सेक्स के लिए जरूरी बातों का। जब ट्रांसजेंडर, लेस्बियन आदि वजायनल सेक्स करते हैं तो उसमें महिलाओं की वजायना का विशेष ध्यान देना चाहिए। वजायनल सेक्स में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- वजायनल सेक्स करते समय कॉन्डम का इस्तेमाल करना जरूरी है। ऐसे में सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होने का खतरा कम हो जाता है।
- अपनी वजायना को सेक्स करने के बाद जरूर साफ करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जेनाइटल से खराब गंध नहीं आएगी।
- सेक्स के दौरान और बाद में भी पेशाब करने के लिये वॉशरूम जरूर जाएं।
- एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड में केवल महिलाओं को ही सतर्क रहने की जरूरत नहीं होती। पुरुषों को भी सेक्स हाइजीन का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है।
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड: सेक्स टॉय का इस्तेमाल करते समय किन बातों का ध्यान रखें?
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड में सेक्स टॉय चुनते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सेक्स टॉय सिलिकॉन, धातु या ABS प्लास्टिक, कड़े ग्लास से बने उत्पादों का ही चुनाव करना चाहिए। खराब मटैरियल से बनें सेक्स टॉय खरीदने और इस्तेमाल करने से परहेज करें।
वहीं, सेक्स टॉय के इस्तेमाल के बाद इसे अच्छी तरह से साबुन और पानी की मदद से साफ कर लें। क्योंकि सेक्स टॉय सेक्स डिजीज फैलाने के लिए काफी हो सकता है। एल जी बी टी क्यू सेक्स करते समय एक ही सेक्स टॉय का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में आपको कई तरह की समस्या हो सकती है। एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड में सेक्स टॉय को लेकर दी बातों का मानना चाहिए।
सेफ एल जी बी टी क्यू सेक्स न करने से हो सकती है बीमारियां
एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड में हम आपको बताएंगे कि सेफ एल जी बी टी क्यू सेक्स गाइड में बताई कई बातें फॉलो न करने से कौन सी यौन बीमारियां हो सकती हैं। एल जी बी टी क्यू सेक्स में आम लोगों की तरह ज्यादातर सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs or STDs) हो सकता है।
गोनोरिया (Gonorrhea)
गोनोरिया (Gonorrhea) सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (एसटीआई) है जो कि नीसेरिया या गोनोकोकस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। गोनोरिया बेहद सामान्य समस्या है। यह पुरुषों को अधिक प्रभावित करता है।
गोनोरिया के लक्षण क्या हैं?
- यूरिन पास करते समय दर्द
- वजायना या पेनिस से गाढ़ा हरा या पीला डिस्चार्ज
- वजायनल ब्लीडिंग
- एनल में किसी तरह की समस्या (पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए)
- एनल (गुदा) में खुजली
गोनोरिया का इलाज कैसे किया जाता है?
गोनोरिया का आमतौर पर एक एंटीबायोटिक टैबलेट और एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिया जाता है।
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क्लैमाइडिया (Chlamydia)
क्लैमाइडिया में गुप्तांगों से पस जैसा पीला पदार्थ निकल सकता है। इसमें पेशाब करने में लगातार दर्द, सेक्स के दौरान ब्लीडिंग या दर्द के लक्षण रहते हैं। क्लैमाइडिया आगे चलकर क्रॉनिक पैल्विक पेन, पैल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, बांझपन का कारण बन सकती है। एल जी बी टी क्यू सेक्स के मामलों में क्लैमाइडिया लेस्बियन लोगों को होने का खतरा ज्यादा होता है। क्लैमाइडिया एक संक्रमण है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया के कारण होता है।
क्लैमाइडिया के लक्षण क्या हैं?
क्लैमाइडिया से पीड़ित लोगों को लक्षण नहीं पता चलते हैं। अगर कई हफ्तों बाद लक्षण दिखते हैं तो वो निम्न प्रकार होंगे:
- बुखार
- पेशाब करते समय जलन
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- कमर के निचले हिस्से में दर्द
- सेक्स के दौरान दर्द
- असामान्य वजायनल डिस्चार्ज
कुछ गंभीर मामलों में क्लैमाइडिया संक्रमण का असर आंखों पर भी दिखने लगता है। इसे क्लैमाइडिया कंजंक्टिवाइटिस के रूप में जाना जाता है। यह तब होता है जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संभोग करते हैं जिसकी आंख में क्लैमाइडिया संक्रमण हो।
- आंखों में जलन
- आंखों की रोशनी में कमी
- आंखों में लालिमा
क्लैमाइडिया का इलाज कैसे किया जाता है?
क्लैमाइडिया के लिए डॉक्टर सबसे पहले एंटीबायोटिक्स दवाएं देते हैं।
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सिफिलिस (Syphilis)
सिफिलिस एक सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज (STDs)है, जो बैक्टीरिया के कारण होता है।सिफिलिस ट्रिपैनोमा पैलिडियम नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह त्वचा, मुंह, गुप्तांगों और नर्वस सिस्टम को संक्रमित कर सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सन् 2010 के बाद से महिलाओं में सिफिलिस की दर में कमी आई है, लेकिन पुरुषों में विशेष रूप से एल जी बी टी क्यू सेक्स यानी कि गे-रिलेशनशिप के पुरुषों में, इस बीमारी का स्तर बढ़ा है।
सिफिलिस के लक्षण क्या हैं?
सिफिलिस के लक्षण निम्न हैं :
- बुखार
- सिरदर्द
- जोड़ों का दर्द
- दर्द रहित घाव बनते हैं, जहां से बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है। यह घाव अक्सर गुप्तांगों पर होता है।
- गुप्तांगों पर दानें निकलना
- भूख न लगना
- मुंह पर लाल चकत्ते पड़ना
- खराश
- ब्रेस्ट में सूजन
- कमर दर्द और गर्दन में दर्द
- मस्तिष्क और हृदय की क्षति
- याद्दाश्त की समस्या
सिफिलिस का इलाज कैसे किया जाता है?
सिफिलिस अगर शुरुआती स्टेज में है तो पेनिसिलीन इंजेक्शन से ठीक हो सकता है। इसके अलावा कुछ एंटीबायोटिक्स जैसे- डॉक्सिसाइकलिन (doxycycline), एजिथ्रोमाइसिन (azithromycin) और सेफट्राएक्सॉन (ceftriaxone) भी डॉक्टर दे सकते हैं।
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हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C)
हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) लिवर में होने वाला एक संक्रामक रोग है। हेपेटाइटिस सी वायरस यानी एचसीवी (HCV) के कारण होता है। यूं तो इसके लक्षण बहुत धीमी गति के साथ विकास करते हैं। जिसकी वजह से इसके उपचार में देरी हो जाती है। STIs होने के मामलों में हेपेटाइटिस सी एल जी बी टी क्यू सेक्स असुरक्षित तरीके से होने पर हो जाता है।
हेपेटाइटिस सी के लक्षण क्या हैं?
अगर आपका हेपेटाइटिस सी का संक्रमण शुरूआती चरण में है, तो आपमें निम्नलिखित लक्षणों के संकेत देखे जा सकते हैंः
- पेट में तकलीफ
- बुखार
- मितली आना
- जोड़ों में दर्द
- थकान
- पीलिया
- भूख न लगना
- उल्टी की समस्या
हेपेटाइटिस सी का इलाज कैसे होता है?
हेपेटाइटिस सी एंटीवायरल दवाओं के जरिए इसका इलाज किया जा सकता है। कुछ गंभीर मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए भी डॉक्टर सलाह दे सकते हैं।
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एड्स (AIDS)
एक्वायर्ड इम्यूनो-डिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) की वजह से होने वाली बीमारी है। एड्स पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने लगता है। HIV वायरस इम्यून सिस्टम पर निगेटिव इफेक्ट डालना शुरू कर देता है।
AIDS के लक्षण क्या हैं?
- बुखार
- वजन का तेजी से घटना
- ज्यादा पसीना आना
- थकान महसूस होना
- डायरिया
- ओरल, एनस और जेनाइटल एरिया पर घाव होना
- निमोनिया
- न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के साथ-साथ अन्य बीमारी होना
AIDS का इलाज कैसे किया जाता है?
AIDS का इलाज एंटी रेट्रोवायरल थेरिपी और अन्य दवाओं से किया जाता है।
हर्पीस (Herpes)
हर्पीस इंफेक्शन हर्पीस सिम्प्लेक्स नामक वायरस के कारण होता है। हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस HSV-1 और हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस HSV-2 दो प्रकार के वायरस होते हैं।
हर्पीस के लक्षण क्या हैं?
- खाते और निगलते समय दर्द होना
- मुंह के बाहर या होंठ पर, मुंह के अंदर या बाहर छाले के रूप में दिखाई देना
- गले में खराश होना
- घावों की खुजली होना
- पानी पीने में दिक्कत होना
- जननांग में खुजली
हर्पीस का इलाज कैसे करते हैं?
हर्पीस का इलाज एंटी वायरल दवाओं से किया जाता है। एसे में कुछ सावधानियां अपना कर एल जी बी टी क्यू सेक्स कर सकते हैं और हर्पीस से बच सकते हैं :
- घावों को छूनें से बचें।
- अपने जीवनसाथी से बात करें और हमेशा कंडोम का उपयोग करें।
- फोड़े को सूखा और साफ रखें।
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV)
एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (human papillomavirus) मस्सा होता है जिसे वार्ट्स (warts) कहते हैं। सामान्य तौर पर यह एल जी बी टी क्यू सेक्स में पुरुष व महिलाओं में किसी को भी हो सकता है वहीं ज्यादातर यह गर्दन या फिर प्राइवेट पार्ट के आसपास देखने को मिलता है।
इसका इलाज न कराने पर यह एल जी बी टी क्यू सेक्स में गे को एनस या फिर लेस्बियन को यूट्रस के कैंसर का कारण बन सकता है। एचपीवी में सबसे ज्यादा खतरनाक एचपीवी 16 और एचपीवी 18 को माना जाता है।
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ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के लक्षण क्या हैं?
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) बीमारी के लक्षणों में व्यक्ति के शरीर में बहुत ज्यादा मस्सा हो जाता है। वहीं 80 फीसदी लोगों में यह बीमारी खुद ब खुद ही ठीक हो जाती है। यह बीमारी एल जी बी टी क्यू सेक्स के लोगों में 20 से 50 साल के बीच में होती है।
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) का इलाज कैसे किया जाता है?
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) का इलाज लक्षणों के आधार पर होता है। वहीं यूट्रस में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) होने पर क्रायोसर्जरी के द्वारा ही उसका इलाज किया जाता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल जानकारी नहीं दे रहा है। एल जी बी टी क्यू सेक्स से संबंधित अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या सेक्सोलॉजिस्ट से संपर्क कर सकते हैं।
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