के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar
बांस (Bamboo) एक पौधा है, जिसके जूस से दवाइयां बनाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम बैम्बूसा वुलगारिस (Bambusa vulgaris) और हिंदी में इसे बांस का पौधा कहते हैं। ये एक अकेला ऐसा पौधा है जो हर वातावरण और मुश्किलों के बाद भी बहुत तेजी से बढ़ता है। बांस के शोट्स से जूस निकालकर दवाई बनाई जाती हैं। इसका इस्तेमाल अस्थमा, कफ और गॉलब्लेडर डिसऑर्डर के लिए किया जाता है। कुछ लोग इसकी सब्जी भी बनाकर खाते हैं। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसमें बहुत कम मात्रा में वसा और कोलेस्ट्रॉल होता है। इसके साथ ही फाइबर और कार्बोहाइड्रेट उच्च मात्रा में होते हैं।
आज हम आपको इस लेख में बताएंगे बांस के फायदे और नुकसान व इस औषधि से जुड़े कुछ आयुर्वेदिक तत्व। बांस एक ऐसा पौधा है जिसे भारत और और अन्य कई देशों में औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है।
बांस को कई रूप और तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग निम्नलिखित बीमारियों में किया जाता है –
यदि आप इसे किसी रोग को ठीक करने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं तो एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर ले लें। कई बार प्राकृतिक चिकित्सा से भी लोगों को साइड इफेक्ट्स पहुंच सकते हैं।
बांस कैसे काम करता है इस पर कोई स्टडी नहीं है लेकिन, इसमें मौजूद उच्च मात्रा में न्यूट्रिएंट्स की वजह से इसे कई बीमारियों के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद विटामिन और मिनिरल शरीर के लिए लाभकारी होता है।
डायटरी फाइबर:
बांस शोट्स में अच्छी मात्रा में डायटरी फाइबर होता है, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। हमारी डायट में ये फाइबर शुगर को नियंत्रित करते हैं। इसके सेवन से डायबिटीज जैसी बीमारी से बचना आसान होता है।
प्रोटीन
100 ग्राम बांस शोट्स में 2 – 2.5 ग्राम प्रोटीन होता है। हम सभी इस बात से अच्छे से वाकिफ हैं कि प्रोटीन शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। ये प्रोटीन मसल्स की ग्रोथ में भी मददगार है। वेजीटेरियन लोगों के लिए ये एक अच्छा ऑप्शन है। बांस में 17 जरूरी अमीनो एसिड होते हैं जो, सेल्स के विकास और मरम्मत के लिए जरूरी हैं।
कार्बोहाइड्रेट
बांस में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा उसकी अलग-अलग प्रजातियों पर निर्भर करती है। 100 ग्राम बांस में 3 से 5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है। शरीर में ऊर्जा प्रदान करने के लिए कार्बोहाइड्रेट मुख्य स्त्रोत है। ये दिल और पाचन संबंधित बीमारियों के साथ डायबीटिज से दूर रखता है।
विटामिन
बांस शोट्स पोटेशियम, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन बी6, थायमिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन का बहुत अच्छा स्त्रोत है। इसलिए इसके नियमित सेवन से त्वचा निखरी-निखरी रहती है।
मिनिरल
बांस शोट्स में मौजूद मिनिरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, सेलेनियम और आयरन आदि जो शरीर के उचित कार्य के लिए आवश्यक है।
बांस में मौजूद ये सभी खनिज तत्व शरीर को मजबूत बनाने के साथ बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
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अगर आप कच्चे बांस का सेवन करते हैं तो ये आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। क्योंकि, ये पेट में साइनाइड (cyanide) का उत्पादन करते हैं। बहुत कम जानवर जैसे पांडा साइनाइड को प्रोसेस कर सकते हैं। 2011 में किए गए एक अध्ययन में सामने आया था कि बाँस शोट्स का आचार बनाया गया तो उससे साइनाइड जहर फैलने का खतरा नजर आया।
बाँस शोट्स को सही से छिलकर नमक वाले पानी में आधे घंटे तक उबालने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने के लिए इसलिए कहा जाता है जिससे इसमें से टॉक्सिन और बैक्टीरिया निकल जाए। कई रिपोर्ट्स में पाया गया है कि बांस शोट्स की कुछ किस्मों में गर्भपात के गुण होते हैं।
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बांस को लेने की खुराक हर पेशेंट के लिए अलग होती है। ये मरीज की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों पर निर्भर करती है। फिलहाल इसकी निर्धारित खुराक को लेकर कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है। एक बात का खास ख्याल रखें कि हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए ओरिगैनो सप्लिमेंट को लेने से पहले अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से एक बार जरूर संपर्क करें।
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यह निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है। जैसे-
-बांस का अर्क
-बांस का तरल अर्क
अगर आप बांस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
डिस्क्लेमर
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Dr. Shruthi Shridhar